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कैंटीन में सुना

‘मुझे फ़िल्टर की लत है!’

जब रूही ने मोनिका को स्कूल के प्रोजेक्ट के लिए एक फोटो भेजने के लिए कहा, तो वह संकोच कर रही थी। वो अपनी फोटो सबसे अच्छे फ़िल्टर लगाके भेजना चाहती थी। उनके एक सीनियर ने ये बात सुनी और उनके साथ अपना अनुभव शेयर किया। चलिए सुनते हैं उनकी कैंटीन की बात।

फोटो: शटरस्टॉक/StockImageFactory.com/तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है.

सबसे अच्छी तस्वीर

“मोनिका, मैं स्कूल प्रोजेक्ट के लिए एक कोलाज बना रही हूँ। और तुम्हारे अलावा सब ने अपनी तस्वीर भेज दी है। और अगर तुमने आज अपनी फ़ोटो नहीं भेजी तो मैं उसे अपने कोलाज में नहीं डाल पाऊँगी”, रूही ने लंच ब्रेक के समय मोनिका पर चिल्लाया।

“अरे नहीं नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा रूही। मैं आज घर जाकर अपने पसंदीदा फ़िल्टर के साथ तुम्हे एक स्नैप भेज दूँगी”, मोनिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“फ़िल्टर क्यों? बस एक फ़ोटो खीचों और भेज दो। कोलाज में फ़िल्टर की क्या ज़रूरत?” रूही ने पूछा।

“मैं अपनी फ़ोटो ग्लिटर वाले फ़िल्टर के साथ खींचना चाहती हूँ। उससे मैं ज़्यादा सुंदर और गोरी लगती हूँ। उस कोलाज में आदि भी है ना, इसलिए मुझे अच्छा दिखना है”, मोनिका ने जवाब देते हुए कहा।

“अरे आदि तो तुम्हे लगभग रोज़ ही देखता है। वो तुम्हे जानता है। और अगर तुम उसे पसंद करती हो तो सीधा उसे बता क्यों नहीं देती?” रूही ने पूछा।

“नहीं नहीं, मुझे नहीं लगता कि मुझमे इतनी हिम्मत है। मैं उससे बस फेसबुक पर ही चैट करती हूँ, असलियत में नहीं। और वैसे भी स्नैपचैट ने हमे इतने अच्छे फ़िल्टर दिए हैं तो हम उनका पूरा फायदा क्यों ना उठाएं?” मोनिका मुस्कुरा दी।

“मैं तुम्हारा मतलब समझती हूँ। हालाँकि, मैंने इसके बारे में कभी बात नहीं की, लेकिन इन फिल्टर्स की वजह से मुझे ऐसा लगता है कि मैं असल में अच्छी नहीं दिखती और मुझे सुंदर बनने के लिए इनके जैसा दिखना होगा”, रूही ने उदास स्वर में कहा।

“मुझे भी यार और फिर भी मुझे इनकी लत लग गई है। ऐसा लगता है इनपर क्लिक कर के मैं कही न कही थोड़ी रेसिस्ट भी बन रही हूँ। मुझे वो मुलायम स्किन, भरे पिंक होठ और गालों पर वो रंग बहुत अच्छा लगता है।”

“लेकिन यह असली नहीं है मोनिका। मुझे असली पसंद है”, रूही ने कहा।

“बिना फ़िल्टर के फोटो खींचे तो शयद मुझे बहुत समय हो गया है”, मोनिका ने कबूल किया, “मुझे लगता है कि इस फिल्टर के बिना कोई भी मुझे पसंद नहीं करेगा।”

#कोईफिल्टरनहीं

जब वे इस बातचीत में लगे हुए थे, उनकी सीनियर, पूर्वा ने उनकी बातचीत को सुना, और उन्हें अपनी मेज पर शामिल कर लिया। वह यह जानने के लिए बहुत उत्सुक थी कि इन लड़कियों को फिल्टर के बारे में क्या कहना है और लंबे समय तक खुद को चुप नहीं रख पायी।  

“हेलो, मैं पूर्वा हूँ। कक्षा 12 में आपकी सीनियर और प्रतिज्ञा हाउस  की कप्तान। अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं कुछ कहूँ?” पूर्वा ने पूछा।

“हेलो दी। ऐसा कुछ नहीं है, आप बताइए”, रूही ने जवाब दिया।

“ठीक है, तुम्हे यकीन नहीं होगा कि इस विषय पर हमारी क्लास में प्रेजेंटेशन थी। हमें दिखाया गया कि फ़िल्टर हमें और खुद को लेकर हमारे नज़रिये को कैसे प्रभावित करते हैं। और तुम लोग भी उन्हीं मुद्दों पर बात कर रहे थे!” पूर्वा ने कहा।

“वाह, ये तो कितना अच्छा है ना? फ़िल्टर पर प्रेजेंटेशन? इसमें क्या बताया? कि कौन से फ़िल्टर सबसे अच्छे हैं?” मोनिका ने जिज्ञासा के साथ पूर्वा से पूछा।

“नहीं नहीं, बल्कि इसका उल्टा बताया। ये एक तरह से हमारे लिए सच्चाई का सामना था। मोनिका, तुम्हे पता ही होगा कि किसी की भी त्वचा इतनी सॉफ्ट नहीं होती है। ये इन्फ्लुएंसर और क्रिएटर जब #नोफ़िल्टर कहते हैं तो वो सच नहीं होता है। इनकी कोई भी फोटो बिना फ़िल्टर के नहीं होती है, मेरा यकीन करो। वीडियो में कई ऐसे लोग थे जिन्होंने ये स्वीकार भी किया!” पूर्वा ने समझाया।

“क्या? तो यह सब नकली है? रूही ने पूछा।

“हाँ, हाँ ज़्यादातर। तुम्हें खुद पर और अपनी सारी कमियों पर गर्व होना चाहिए। आखिर ये दाने, निशान और बाल ही तो तुम्हे सबसे अलग बनाते हैं, हैना? मेरा विश्वास करो, आगे जाकर तुम इस उम्र को याद करोगे पर अगर तुम इन सभी फोटो पर फ़िल्टर लगा दोगे तो अपना चेहरा कैसे याद करोगे?” पूर्वा ने कहा।

“मुझे लगता है कि कोई भी मुझे फ़िल्टर के बिना पसंद नहीं करेगा, और इस डर ने फ़िल्टर के बिना सेल्फी क्लिक करने का मेरा आत्मविश्वास छीन लिया है। मैं कभी कभी इसके बारे में बहुत सोचती हूँ”, मोनिका ने बताया।

“सच में, मुझे भी यही लगता है”,रूही ने कहा।

असली आप

“लड़कियों, तुम्हें पता है क्या, मुझे भी बहुत अच्छा लगता है जब किसी फोटो पर सब मेरी तारीफ करते हैं और मुझे डीएम करते हैं। पर जब मैं शीशे के सामने खुद की उस फोटो से तुलना  करती हूँ तो मैं बहुत बुरा महसूस करती हूँ”, पूर्वा ने बताया।

“आपने  जैसे कहा मुझे सच में ऐसा ही लगता है”, मोनिका ने कबूल करते हुए कहा, “लेकिन मुझे मुझे अब इसकी आदत हो गई है।”

“जितना ज़्यादा हम उनका उपयोग करते हैं, हम असलियत से उतनी ही नफरत करने लगते हैं। मेरी बहन की प्रोफाइल पर एक भी फोटो बिना फ़िल्टर के नहीं है। हम तो उसको बहुत चिढ़ाते हैं की लोग उसे सामने से देख कर तो पहचानेंगे ही नहीं!’’ रूही ने मजाक में कहा।

“हाहा, सच में! मेरी क्लास में भी ऐसे कई लोग हैं जिनकी फोटो पर फ़िल्टर और नकली पलकें होती हैं। हमने तो उनके सीक्रेट नाम भी रखे हैं, पर प्लीज उन्हें मत बताना”, पूर्वा ने हँसते हुए कहा।

“मुझे बहुत खुशी है कि आपने हमारी बातचीत सुनी, और हमारे हमारे सारे डाउट दूर कर दिए”, रूही मुस्कुराई।

“मैं भी वो प्रेजेंटेशन देखना चाहती हूँ। आप प्लीज मैम को बताना कि ये प्रेजेंटेशन उन्हें सारे बच्चों को दिखानी चाहिए!” मोनिका ने अनुरोध किया।

“मैं ज़रूर कहूँगी। अगर तुम मुझसे वादा करोगी कि तुम रूही को उसके प्रोजेक्ट के लिए एक बिना फ़िल्टर की फोटो भेजेगी” पूरवा ने कहा और सभी लोग हँस पड़े! उनका लंच ब्रेक खत्म हो गया और सभी वापस अपनी कक्षाओं की ओर चल दिए

फोटो: शटरस्टॉक/StockImageFactory.com/तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं। 

क्या आप कभी  ऐसी स्थिति में आए हैं? आपने कैसा महसूस किया? क्या आपने इसके बारे में कुछ किया? नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ शेयर करें।याद रखें, कोई भी व्यक्तिगत जानकारी कमेंट बॉक्स में न डालें।  

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