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अपनी भावनाओं को समझना क्यों ज़रूरी है?

आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं? आप खुश हैं, उदास हैं, उत्तेजित हैं, एनर्जेटिक हैं, व्याकुल हैं या फिर डरा हुआ  महसूस कर रहे हैं? भावनाएं कई तरह की होती हैं! आप इन फीलिंग्स को कैसे पहचान सकते हैं? और जब आपकी ज़िंदगी इनसे प्रभावित होने लगे, तब आप इन्हे कैसे साथ कंट्रोल कर सकते हैं? गुड़गांव के एक प्रतिष्ठित स्कूल में मनोवैज्ञानिक और टीन काउंसलर, अर्शी आलम, से जानिए टिप्स।

हैलो फीलिंग्स

हम सभी को पूरे दिन बहुत सारी फीलिंग्स आती हैं। हमारे शरीर और दिमाग में अलग-अलग तरह की भावनाएं पैदा होती हैं। इनमें से कुछ स्थायी होती हैं, कुछ मेहमान की तरह आती हैं और चली जाती हैं जबकि कुछ भावनाएं अनचाही भी होती हैं।

जब बिन बुलाए मेहमान घर में आते हैं, तब हम उनका भी स्वागत करते हैं, उनके साथ बैठते हैं, उन्हें चाय या कॉफी के लिए पूछते हैं और उनके समय बिताते हैं। क्या हम ऐसा नहीं करते? क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि जीवन में हमें उनकी कब और किस रूप में जरूरत पड़ जाए? इसलिए उनसे जुड़े रहना ही अच्छा है।

फीलिंग्स के साथ भी कुछ-कुछ ऐसा ही होता है। हमें अपनी फीलिंग्स से जुड़ना चाहिए ताकि हम यह उन्हें बेहतर तरीके से समझ सकें। क्योंकि ये भावनाएं अक्सर हमें यह याद दिलाने के लिए पैदा होती हैं कि हमें अपने शरीर और मस्तिष्क पर ध्यान देने की जरूरत है। 

क्या आप भूख के कारण सुस्ती महसूस कर रहे हैं या परीक्षा में नंबर कम आने से निराश हैं? क्या आप अपनी व्यस्त और भागदौड़ भरी रूटीन से थक जाते हैं या आप पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं? क्या आपका अपने शरीर में होने वाले बदलावों के कारण रोने का मन करता है या फिर घर की हालात के कारण आप ऐसा महसूस करते हैं? 

अपनी भावनाओं को समझना और उन्हें पहचानना जरूरी है ताकि आप अपने तरीके से अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की दिशा में काम कर सकें।

अपनी फीलिंग्स को कैसे समझें?

  • अपनी फीलिंग से जुड़कर आप उन्हें बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। नीचे दी गई टिप्स आपके लिए सहायक हो सकती हैं।
  • खुद से पूछें – क्या आपको दिन के किसी विशेष समय में कोई फीलिंग आती है? क्या ऐसा स्कूल में होता है? क्या ऐसा घर में होता है? या फिर ट्यूशन क्लास में? इससे आपको अपनी फीलिंग्स के मूल कारण को समझने में मदद मिलेगी।
  • थोड़ा क्रिएटिव बनें और खुद से पूछें कि आपकी फीलिंग्स दिखती कैसी है। उनका रंग क्या है, वह कितनी बड़ी है, क्या उनमे आवाज भी है, क्या उनमे गर्माहट भी है, क्या वह ठंडी, खुरदुरी या चिकनी है? 
  • इससे आपको अपनी फीलिंग की तीव्रता का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, लाल और खुरदुरी बनावट वाली फीलिंग व्यक्ति को यह इशारा करती है कि उसकी फीलिंग काफी तीव्र है और उसे तुरंत मदद की ज़रूरत है। नीली और गर्म फीलिंग आपको बताती है कि यह वक्त भी गुजर जाएगा। ये रंग, उनका महत्व और तीव्रता अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकते हैं।
  • तीव्रता के आधार पर, आप खुद ही अपनी कुछ फीलिंग को कंट्रोल कर सकते हैं। जैसे कि यदि स्कूल में आपका दिन खराब बीत रहा है और आप अकेला महसूस कर रहे हैं, तो आप लंच के दौरान अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ कुछ समय बिता सकते हैं।

कब मदद लें

कभी -कभी, कुछ अधिक तीव्र फीलिंग हमारे साथ बनी रहती हैं। ऐसे में आपको अपने किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करना चाहिए।  वह व्यक्ति कोई भी हो सकता है जैसे आपके टीचर, मम्मी-पापा या काउंसलर। निराशा, हताशा, हीन भावना महसूस होना या घबराहट होने पर अपने करीबी को इस बारे में बताना ज़रूरी होता है। ये फीलिंग्स बहुत मजबूत हो सकती हैं और हमारे दैनिक जीवन जैसे स्कूल, घर, रिश्ते, आदि को प्रभावित कर सकती हैं।

बार-बार वाली फीलिंग्स से निपटने के टिप्स 

  • आइने में देखकर रोज अपनी तारीफ़ करें, ख़ुद के बारे में अच्छा महसूस करके अपने दिन की शुरूआत करें। अगर मन में कोई हीन भावना आए तो आप ख़ुद से पूछिए कि आप किस चीज में सबसे अच्छे हैं।
  • कोई ऐसी एक्टिविटी करें जो आपको सुकून दे, जैसे डांसिंग, पेंटिंग करने, या अपने मम्मी-पापा, टीचर, काउंसलर या दोस्त से बात करने से आपका मूड अच्छा हो  सकता है और आप सही तरीके से सोच सकते हैं।
  • अपनी दिनचर्या को डायरी में लिखें, इससे आपको स्पष्टता आएगी और आप अपनी फीलिंग को सही तरीके से व्यक्त कर सकेंगे।
  • यह देखें कि आपके शरीर के किस हिस्से में बहुत तेज या भारी फीलिंग आ रही है। कभी- कभी इन फीलिंग्स को इग्नोर कर देने से भी आप काफी हल्का महसूस कर सकते हैं और आगे की सोच सकते हैं।

किसी भी फीलिंग के पीछे जो मूल कारण होता है उसे पहचानना सीखें। थोड़ा रूक कर उस पर आराम से सोचें और जो फिर जो सही लगे वो करें। तो अब देर नहीं, आज से अपनी भावनाओं को तराशना शुरू करें।

फोटो: शटरस्टॉक/रौपिक्सेल

अर्शी आलम गुड़गांव के एक प्रतिष्ठित स्कूल में मनोवैज्ञानिक और टीन काउंसलर हैं।

क्या आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं? हमारे विशेषज्ञों से पूछें! इस कॉलम में, हम किशोरों और उनके माता -पिता से पालन पोषण, किशोरावस्था और तरुण अवस्था से जुड़े सवाल उठाते हैं; और उन्हें विषय विशेषज्ञों के सामने रखते हैं।

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