जब मैंने अपने बेटे से उसके ‘अफेयर’ के बारे में पूछा!
एक दिन मेरा बेटा, जो की अभी चौदह साल का है – खूब बातें करने के मूड में था — स्कूल में क्या चल रहा है, कौन क्या कर रहा है वगैरह-वगैरह। बस, मेरे अंदर की शरारती मॉम जाग गई और मैंने उससे पूछा, “क्या तुम्हारा किसी से अफेयर चल रहा है?”
वह मुझे ऐसे देखने लगा जैसे मैंने कुछ अजीब पूछ लिया हो। उसकी आंखों में अचरज था। उसने कहा, “माँ, अफेयर क्या होता है?” अब मेरी बारी थी हैरान होने की। मैंने कहा, ” अरे, किसी लड़की के साथ अफेयर होना, मतलब रिश्ते में होना।”
वह हंस पड़ा और बोला, “ओह, मुझे लगा कि अफेयर का मतलब कानूनी चीजें होती हैं, जैसे कि मैंने सिविक्स की किताब में पढ़ा था। नहीं माँ, मेरा कोई ‘अफेयर’ नहीं है।” फिर उसने कहा, “आजकल इसे किसी से ‘डेटिंग’ करना या ‘कफिंग’ कहते हैं।” और बात वहीं खत्म हो गई। मैंने एक नया शब्द सीखा और उ चाहते हुए भी यह एहसास दिला दिया की मैं थोड़ी बूढ़ी हो गयी हूँ या फिर आज की ज़माने की तो नहीं हूँ! उसके बाद उसने जो भी उसके स्कूल में चल रहा था, मुझे सब बता दिया।
वह तो उठकर फुटबॉल खेलने चला गया, लेकिन मैं वहीं बैठी रह गई और अपने किशोरावस्था के दिनों में खो गई (अगर आप सोच रहे हैं तो 90 के दशक की बात है)। उस समय जब मैं अपनी माँ से काफी बेरुखी से पेश आती थी।
एक बार मैं खुद को स्कूल के सबसे कूल ग्रुप का हिस्सा दिखाने की कोशिश कर रही थी। मैं ‘गन्स एन रोज़ेज’ बैंड का एक गाना सुनकर, जोर-जोर से सिर हिला रही थी (जैसे बैंड वाले करते हैं)। मैंने अपनी जेब खर्च से उनका कैसेट खरीदा था, गाने के बोल याद किए और पूरे दिन आइने के सामने सिर हिलाने की प्रैक्टिस की। मेरे बाल बिखरे हुए थे और मैं खुद को बड़े स्टेज पर परफॉर्म करता हुआ सोच रही थी, तभी मेरी माँ कमरे में आ गईं।
इतना तो तय है कि उस दिन मेरी माँ ने अपने कई एहसास अंदर ही रोक लिए होंगे। शायद वो हंसी रोक रही थीं, या हैरान थीं कि उनकी बेटी जो थोड़ी देर पहले पर्यायवाची शब्द पढ़ रही थी, अब ये क्या कर रही है।
मुझे याद है कि मैं शर्म से लाल हो गई थी, फिर भी कूल बनने की कोशिश करते हुए कहा था, “माँ, ये नया ट्रेंड है, आपको नहीं पता होगा, आप बहुत बूढ़ी हैं।” माँ ने इस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझसे पूछा कि क्या वह भी इस बैंड के बारे में जान सकती हैं। मुझे याद है कि मैंने उनका कितना मजाक उड़ाया था, ये कहते हुए कि वो तो सिर्फ जवान दिखने का नाटक कर रही हैं। आह! काश मैं उस पल वापस जा सकती और उनसे माफी मांग सकती, क्योंकि मुझे लगता है कि मैंने उस दिन उनकी भावनाएं आहत की थीं।बाद में उन्होंने समझाया कि ऐसा कहने की वजह ये थी कि वो मेरे जीवन में हो रही बातों को समझना चाहती थीं।
मैंने उनसे माफी तब मांगी जब मैं बड़ी हो गई और मेरा खुद का बच्चा हो गया, लेकिन इस घटना ने मुझे सिखाया कि हम अक्सर अपनी जरूरतें और डर दूसरों पर थोपते हैं।
आजकल मुझे अपने बेटे के कुछ कमेंट्स, बॉडी लैंग्वेज, मूड स्विंग्स या अजीब व्यवहार पर ध्यान न देना थोड़ा आसान लगता है। कई बार उसका रवैया रुखा लग सकता है, लेकिन मैं समझती हूं कि वह ऐसा जानबूझकर नहीं करता। शायद यह उसकी अपनी भावनाओं और बदलावों का हिस्सा है, और मैं इसे समझने लगी हूं। अब मैं उसे थोड़ा और स्पेस और समय देने की कोशिश करती हूं ताकि वह खुद को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सके।
मैं थोड़ा समय लेती हूं, रुकती हूं और अपने ‘गन्स एन रोज़ेज’ वाकये को याद करती हूं। मैं देखती हूं कि समय के साथ चीजें कैसे बदलीं और मुझे भरोसा है कि मेरे बेटे के साथ भी सब ठीक हो जाएगा। जैसे हम बदले, वैसे ही हमारे बच्चे भी बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए कभी-कभी खुद को थोड़ा बूढ़ा और अलग महसूस करना हमें परेशान नहीं करना चाहिए।
और मुझे उम्मीद है कि हमारे सभी टीन पाठक सहमत होंगे कि हम सिर्फ यही चाहते हैं कि वो खुश रहें, अच्छे और प्यार करने वाले इंसान बनें। जब हम उनसे कुछ पूछते हैं तो हम कूल बनने की कोशिश नहीं कर रहे होते, हम बस अब भी ये जानना चाहते हैं कि उनके जीवन में क्या हो रहा है 😊
कनिका कुश, टीनबुक की पैरेंट एक्सपर्ट, टीनएजर्स को एक मजेदार और रिलेटेबल तरीके से पैरेंट्स की सोच समझने का मौका देती हैं, जिससे हम जान सकें कि हमारे माता-पिता के मन में क्या चल रहा है।
एडिटर का नोट:
टीनबुक के हमारे नए कॉलम में आपका स्वागत है, जहाँ अब मम्मी पापा को मिल रहा है माइक! टीनबुक जहाँ भारतीय किशोरों की मदद करता है, वहीं यहाँ मम्मी पापा भी अपनी बातें शेयर कर सकते हैं, अनुभव बाँट सकते हैं, और अपने किशोर बच्चों के साथ कदम मिलाने की कोशिश में सलाह भी दे सकते हैं। यह वो पैरेंट्स का नज़रिया है जिसकी आपको ज़रूरत थी, पर शायद आपको पता नहीं था! चाहे टीन स्लैंग समझना हो, मूड स्विंग्स से निपटना हो, या बस नए ट्रेंड्स के साथ चलना हो—यहाँ सब आसान है!