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दिशा से पूछें

ये रिश्ता क्या कहलाता है!! ” चलिए बात करते हैं ‘सिचुएशनशिप’ और ‘नैनोशिप’ की

दिशा,
मैं बहुत कंफ्यूज़ हूँ! मेरी दोस्त ने कहा कि वो “सिचुएशनशिप” में है और किसी और ने “नैनोशिप” का ज़िक्र किया! क्या ये सच में कुछ है या बस नए शब्द हैं जो चीज़ों को और भी कंफ्यूज़िंग कर देते हैं? प्लीज़ समझाओ!
— मायरा, 16, दिल्ली

हे क्यूटी,
आजकल प्यार, दोस्ती और बीच की जो चीज़ें हैं… उनके लिए भी नए-नए नाम आ गए हैं। चलो बात करते हैं इन “बेनाम रिश्तों” की। 

सिचुएशनशिप – दोस्त से ज़्यादा, कपल से कम?

जब आप और कोई एक-दूसरे से रोज़ बात करते हो, एक-दूसरे का बहुत ख्याल रखते हो, साथ समय बिताते हो — लेकिन किसी ने भी अभी तक ये नहीं कहा कि “हम कपल हैं” या “हम डेट कर रहे हैं”। 

इसमें क्या होता है?

  • दोनों एक-दूसरे से घंटों बात करते हैं
  • फ्लर्टिंग होती है, एक-दूसरे का खास ख्याल
  • कभी-कभी कपल जैसा बिहेव — साथ घूमना, बातें शेयर करना, वीडियो कॉल्स
  • लेकिन… कोई लेबल नहीं!
  • न “बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड”, न “डेटिंग”, बस “देखते हैं क्या होता है”

इसे ऐसे समझो जैसे सामने वाला कुछ लिख रहा हो, लेकिन भेज ही नहीं रहा। आप बस इंतजार कर रहे हो, पर ये पक्का नहीं कि मैसेज आएगा भी या नहीं। हो सकता है वो लिखना बंद कर दे और आप कुछ नहीं कर पाओगे।

यह क्यों होता है:

कई बार लोग चीज़ों को नाम नहीं देना चाहते क्योंकि वो रिश्ते का प्रेशर नहीं लेना चाहते या “वाइब” बिगड़ने से डरते हैं। 

नैनोशिप

एकतरफा वाला दिल लग जाना। अब सोचो, तुम्हें कोई बहुत पसंद है। तुम उसकी स्टोरी बार-बार देखते हो, वो जब टेक्स्ट करे तो दिल धड़कने लगता है। लेकिन… वो शायद जानता ही नहीं कि तुम उसे पसंद करते हो! ये होता है नैनोशिप। एक ऐसा रिश्ता जो सिर्फ तुम्हारे दिमाग में है।

यह हो सकता है:

  • ज़्यादा बात नहीं होती
  • एक बार हाय-हैलो हुआ, और तुमने अपनी शादी तक सोच ली
  • वो शायद जानता भी नहीं कि तुम उसके लिए क्या महसूस करते हो
  • तुम्हारा पूरा ध्यान उसी पर रहता है, लेकिन कोई असली रिश्ता नहीं

ये  क्रश ज़ोन का नया नाम है।

यह क्यों होता है:
क्योंकि फीलिंग्स तो सच्ची होती हैं, चाहे रिश्ता कभी था ही नहीं! खासकर टीनेज में, हमारा दिमाग चीज़ों को रोमांटिक बना देता है। और कभी-कभी एकतरफा सपने देखना दिल टूटने से बेहतर लगता है।

तो… क्या ये बुरे हैं?

ज़रूरी नहीं! ये सिर्फ इस बात का हिस्सा हैं कि रिश्ते कैसे बदल रहे हैं — और लोग सीख रहे हैं कि उन्हें क्या चाहिए और क्या नहीं।
लेकिन यहाँ मेरे अंदर की बड़ी बहन की एक सलाह है:

अगर तुम सिचुएशनशिप में हो तो:

  • खुद से पूछो — क्या मैं इस वाले रिश्ते में खुश हूँ?
  • क्या मुझे साफ-साफ चीज़ें चाहिए?
  • अगर हाँ, तो बात करना ज़रूरी है। वरना ऐसे ही कन्फ्यूज़ और टेंशन में रहोगे।

अगर तुम नैनोशिप में हो तो:

  • समझ लो, किसी पे दिल आ जाना तो नॉर्मल है।
  • पर ध्यान रखना — बस अपने दिमाग में ही सोचते मत रहो।
  • अपने रियल दोस्तों और उन लोगों को मत भूलो जो सच में तुम्हारे साथ हैं।

चलिए देखते हैं: क्या आप इनमें से किसी एक में हैं?

 आप कितनी बार बात करते हो?
A. रोज़ या लगभग रोज़
B. कभी-कभी (आमतौर पर जब वो पहले टेक्स्ट करते हैं)

क्या आप साथ रहते हो या कपल जैसी चीज़ें करते हो?
A. हाँ, लेकिन इसका कोई नाम नहीं है
B. नहीं, बस वही एक मुस्कान जो उन्होंने छह महीने पहले दी थी, उसे याद करता हूँ

क्या आपने उनके साथ रिश्ते के बारे में सोचा है?
A. हाँ, और कभी-कभी मुझे लगता है कि हम पहले से आधे रास्ते पर हैं
B. मैंने इसे 100 बार सोचा है… सिरफ मेरे दिमाग में… अकेले

क्या वे जानते हैं कि आप कैसा महसूस करते हो?
A. हाँ शायद?…
B. LOL नहीं। उनका बेस्ट फ्रेंड भी मेरे बारे में नहीं जानता

ज़्यादातर A’s? आप एक सिचुएशनशिप में हो – दोस्त से कुछ ज़्यादा, लेकिन रिलेशनशिप से कुछ कम। अब समय है यह तय करने का कि क्या आप स्पष्टता चाहते हो या इसे छोड़ना चाहते हो।

ज़्यादातर B’s? यह एक नैनोशिप है – एक छोटा क्रश, लेकिन ज्यादा कल्पना। पूरी तरह से नॉर्मल, लेकिन शायद अब तुम्हे खुद पर फोकस करना चाहिए।

दोनों का मिक्स? तो आप एक सिचुएशनशिप की तरह इमोशनली इन्वेस्टेड हो, लेकिन दूसरा व्यक्ति इसे बैकग्राउंड टैब की तरह ट्रीट कर रहा है — खुला, लेकिन बिना किसी काम के। आप वो फीलिंग्स महसूस करते हो, लेकिन उनकी तरफ से कोई असल कदम, स्पष्टता या प्रयास नहीं है। यह एक ट्रेलर की तरह है जो कभी पूरी फिल्म नहीं बन पाती।

आख़िर में:

रिश्तों को समझना आसान नहीं होता, पर एक बात हमेशा याद रखो —
तुम्हारी फीलिंग्स बिलकुल सही हैं। लेकिन साथ-साथ साफ़ बात और इज़्ज़त भी ज़रूरी है।

चाहे वो दोस्ती हो, क्रश हो या कोई ऐसा रिश्ता जिसका कोई नाम ही नहीं —
खुद को हमेशा पहली जगह दो।

अगर दिल टूट जाए तो?
एक बढ़िया चॉकलेट खाओ, अपनी बेस्ट फ्रेंड से दिल की बात करो, और याद रखो — तुम अकेले नहीं हो।

प्यार के इस थोड़े क्रेज़ी सफ़र में,
मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ,
– दिशा

#दिशासेपूछें एक सलाह कॉलम है जो कि टीनबुक इंडिया की संपादकीय टीम द्वारा चलाया जाता है। कॉलम में दी गई सलाह विज्ञान पर आधारित है लेकिन सामान्य है। माता-पिता और किशोरों को विशिष्ट चिंताओं या मुद्दों के लिए किसी विशेषज्ञ से मदद लेनी चाहिए

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