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मेरी डायरी

सही जवाब पता होने के बावजूद मैं क्लास में हाथ नहीं उठाती!

रितिका (15) अजनबियों से बोलने या बड़े ग्रुप में बात करने के विचार से घबरा जाती है। पहले तो उसे लगा कि यह सिर्फ कुछ दिनों की ही बात है लेकिन उसके साथ ऐसा रोज़ रोज़ होने लग गया। वह किसी सवाल का जवाब देने के लिए कक्षा में हाथ भी नहीं उठा सकती थी या मौसम की रिपोर्ट पढ़ने के लिए स्कूल के मंच पर नहीं जा सकती थी। वह अपनी डायरी का एक पन्ना हमारे साथ शेयर करती है।

प्रिय डायरी,

 मैंने आज स्कूल काउंसलर से बात कर ही ली। मैं इसके बारे में लंबे समय से सोच रही थी और आखिरकार मैंने इसे कर दिखाया। यह इतना बुरा अनुभव भी नहीं था! मुझे वास्तव में लगा कि उन्होंने मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया।  

इस विषय में और जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखें। बाकी का आर्टिकल वीडियो के नीचे हैः

मैंने उन्हें उस घटना के बारे में बताया जो मेरे साथ कल हुई जब मैं अपने दोस्तों के साथ एक कैफे में गयी थी और सभी के लिए खाना आर्डर नहीं कर सकी। यह मेरी पार्टी थी फिर भी मुझे अपने एक मित्र को खाना आर्डर करने के लिए कहना पड़ा।  मुझे बहुत शर्म आयी। मुझे ऐसा लग रहा था कि हर कोई मुझे जज कर रहा है।

और कल तो बस हद्द ही हो गयी थी। अजनबियों के साथ या सार्वजनिक रूप से बात करने का डर मेरे मन में कुछ टाइम से है अब। जब मुझे सही उत्तर पता होता है तब भी मैं कक्षा में हाथ उठाकर उत्तर देने के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाती। मुझे ऐसा लगता है कि लोग हमेशा मुझे देख रहे हैं, चुपके से मेरी पीठ पीछे मुझे जज कर रहे हैं। मेरे अच्छे दोस्तों के इलावा किसी और का फ़ोन आ जाये तो यह भी आजकल मुझे तनाव देता है।

कुछ महीने पहले हमारी टीचर ने एक अंतर-शाखा डिबेट प्रतियोगिता की घोषणा की और मैं इसमें इतनी शिद्दत से भाग लेना चाहती था लेकिन उन सभी लोगों के सामने बोलने और शिक्षकों से बात करने के विचार ने मुझे इतना डरा दिया कि मैंने कोशिश ही नहीं की।  

मैंने इंटरनेट पर पढ़ा है कि ये सामाजिक चिंता/सोशल एंग्जायटी के लक्षण हैं लेकिन जब मैंने अपनी बहन को इसके बारे में बताने की कोशिश की, तो उसने कहा कि मैं बस इस बारे में ज्यादा सोच रही थी और अपने लिए समस्याएं पैदा कर रही थी। लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने इसके बारे में सामान्य होने की बहुत कोशिश की। मैंने स्कूल के एक छोटे से कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भी खुद को मजबूर किया, लेकिन जब मंच पर जाने की मेरी बारी आई, तो मैं इतना घबरा गया कि मुझे वास्तव में पेट में दर्द हो गया। यह बहुत तनावपूर्ण है।

ऐसा नहीं है कि मुझे इस तरह रहना पसंद है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मुझे नहीं पता क्या करना है। पहले तो काउंसलर ने सोचा कि शायद यह हाल ही में हुआ बदलाव है लेकिन मुझे याद है कि मैं पिछले काफी समय से इस स्थिति में हूँ। इस वजह से मैंने अब स्कूल के कार्यक्रमों में भाग लेना बंद कर दिया है।

अपने अलावा किसी और के द्वारा सुनना अच्छा लगा। मेरी काउंसलर ने कहा कि मुझे इस बारे में अपने माता-पिता से बात करनी चाहिए और वह इससे बेहतर तरीके से निपटने में मेरी मदद करने के लिए मेरे साथ कुछ गतिविधियां करेंगी। सच कहूं, तो मैं उससे इस बारे में बात करने से डर रही थी, लेकिन इससे बात करने में वाकई मदद मिली। हो सकता है कि मैं जल्द ही अपने माता-पिता से भी बात करूं लेकिन मुझे इसके लिए कुछ समय चाहिए। लेकिन अभी के लिए, मैं खुद की मदद करने की दिशा में पहला कदम उठाना बेहतर महसूस कर रही हूं।

फोटो: शटरस्टॉक / paffy/ फोटो में व्यक्ति एक मॉडल है।

गोपनीयता का ध्यान रखते हुए नाम बदल दिए गए हैं और फोटो में मॉडल् है।

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1 comment

  1. Mai bhi tumhari Tarah aaisi hi mujhe bhi lagta hai ki koi mujhe piche se jaj kar raha hai isliye mujhe question ka answer pta hote hue bhi mai us question ka answer nhi se pati

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