मुझे नए लोगों से बात करने में घबराहट होती है
दिशा, मुझे लोगों से बात करने में घबराहट होती है। मैं अपनी क्लास में किसी भी सवाल का जवाब देने से भी घबराती हूँ, चाहे मुझे उत्तर पता भी होता है। मुझे किसी अनजान इंसान से बात करने में भी डर लगता है। समस्या इतनी बढ़ गई है कि अगर मैं बहार खाना खाने जाने को बोल दे तो मेरे हाथ पाओं फूलने लगते हैं। मुझे इस प्रॉब्लम से बहार आना है! प्लीज मेरी हेल्प करो। आन्या, 15, ठाणे।
हेलो, आन्या! थैंक यू की तुम ने मेरे मेरे साथ यह प्रॉब्लम शेयर की। मुझे पता है कि यह तुम्हारे लिए मुश्किल है, लेकिन सबसे पहले एक बात ब्रो – तुम अकेले नहीं हो। सच बात बताऊँ, मैंने भी इस प्रॉब्लम का सामना किया है और देखो आज मैं कहाँ हूँ!
चाहे फिर वो क्लास में बोलना हो या अपने पसंदीदा भोजन को मेन्यू से पढ़ कर बोल कर मंगवाने की हिम्मत करनी हो, इन चीज़ों से मैं भी बहुत घबराती थी। लेकिन चिंता न करो, क्योंकि मैं यहाँ हूँ तुम्हारी हेल्प के लिए।चलो मिल जुल कर इस प्रॉब्लम का हल ढूँढ़ते है तुम्हारे लिए!
तैयारी जीत की
जब हम किसी बड़े काम या मान लो किसी स्कूल ट्रिप के लिए जाते हैं तो हम क्या करते हैं? उसकी तैयारी – हैना? जैसे की कुछ दिन पहले से लिस्ट बना लेते हैं की यह सामान ले के जाना है, यह नहीं। यह बैग जायेगा, इसमें वो चीज़ रखेंगे, इतने दिन पहले पैकिंग करेंगे वगेरा वगेरा। सो तुम भी सोचो लो की तुम्हे अपनी समस्या पर भी इसी तरह काम करना है – छोटी छोटी तैयारी कर के।
मान लो तुम्हे अगले हफ्ते पूरे स्कूल के सामने ‘आज का विचार’ बोलना है असेंबली में।किसी भी ऐसी परिस्थिति से पहले जहाँ तुम्हे लोगों के सामने बोलना है, आईने के सामने अभ्यास करो या किसी करीबी दोस्त के साथ बातचीत करो इस बारे में।
और तो और अपनने दोस्त को अगली बार टेक्स्ट की बजाय एक फ़ोन कॉल करो अपनी बात करने के लिए, ताकि तुम्हे कुछ प्रैक्टिस करने का मौका मिले। इससे तुमको अपनी आवाज़ के साथ सहज होने में मदद मिलेगी और दूसरों के साथ बातचीत करने में आसानी होगी। यह प्रक्टिस करने से तुमको अपने फाइनल दिन इतनी घबराहट महसूस नहीं होगी जितनी की बिना प्रैक्टिस किये होती थी।
छोटे लक्ष्य
अब हमने विराट कोहली की तरह खूब प्रैक्टिस कर ली हो अपने मैच की तो आगे बढ़ते हैं, ठीक है?
अपने लिए छोटे छोटे लक्ष्य बनाओ – जैसे की – आज तो मैं क्लास मैं हाथ उठा के कम से कम एक सवाल पुछूंगी या फिर अपने लिए कैंटीन मैं खुद खाना मँगवाउंगी। जब ऐसा कर लो तो अपनी पीठ थपथपाओ और ऐसी छोटी छोटी जीत होने से तुम्हारा आत्मविशवास बढ़ेगा और धीरे धीरे तुम्हे लगेगा की तुम्हारा डर थोड़ा कम हो रहा है। रोज़ ऐसा कुछ न कुछ करने से तुम अपने इस डर पर धीरे धीरे काबू पा लोगी।
गहरी सांस लो
मुझे पता है की तुम क्या सोच रही होगी की यह सब तो ठीक है पर जो उलझन मेरे दिमाग के अंदर चल रही होती है – उसका क्या? अरे दिशा बाबा है न ! लम्बी गहरी सांस लो दोस्त!
सुनो यही सांस लेने वाली एक तरकीब है तो तुम्हारी चिंता को कम करने के लिए जादू की तरह काम करेगी। किसी शांत जगह बैठ जाओ – 4 की गिनती तक साँस लो, 4 की गिनती तक साँस रोको और 4 की गिनती तक साँस छोड़ो। यह तुम्हारे अशांत मन को तुरंत शांत कर सकता है और तनावपूर्ण स्थिति में तुमको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकता है।
अपने आप से बात करो
अब खुद पर काम करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अपना खुद का चीयरलीडर बनना है। उन नेगटिव विचारों को सुनने के बजाय जो कहते हैं, “मैं यह नहीं कर सकती,” अपने अंदर के रॉक स्टार को जगाओ और अपने आप से कहो, “मैं यह कर सकती हूं!”। किसी भी मुश्किल घड़ी मैं यह लाइन्स काम बार दोहराओ।
अपने आप से इस तरह बात करने से कॉन्फिडेंस बढ़ता है तुम खुद महसूस करोगी की तुम्हे कितना अच्छा लग रहा है। इससे बहुत फर्क पड़ेगा।
हर जीत का जश्न मनाओ
और हाँ – अपनी हर जीत, हर उपलब्धि की पार्टी करो ( अपना कुछ पसंदीदा खाना खा के या फिर कुछ डांस करके), चाहे वो कितनी भी छोटी क्यों न हो। हर बार जब तुम अपनी क्लास में कुछ सवाल पूछती हो या किसी टीचर से खुद से बात करती हो – या फिर किसी अजनबी से बात करते हो, तो तुम अपनी उपलब्धियों में बहुत कुछ जोड़ रही हो। इन छोटी छोटी जीतों को लेकर खुश हो, क्योंकि हर उपलब्धि, चाहे वो कितनी भी छोटी क्यों ना हो, तुम्हारी इस कोशिश में एक महत्वपूर्ण कामयाबी है!
मदद मांगो
और अंत में सबसे जरूरी बात, मदद मांगने से कभी न डरो। यदि तुमको ऐसा लगता है कि तुम्हारी चिंता, बेचैनी और स्ट्रेस तुम्हारे रोज़ के जीवन में बाधा बन रही है और मेरी सुझाई गई कोई भी चीज़ तुम्हारी मदद नहीं कर रही है, तो किसी ऐसे व्यक्ति से बात करो जिस पर तुम भरोसा करते हो। यह कोई भी हो सकता है – तुम्हारे भाई-बहन, मम्मी पापा या यहां तक कि तुम्हारे स्कूल की कॉउंसलर भी हो सकते हैं।
आखिरकार हम सब को अपनी लाइफ में मुन्नाभाई और सर्कट जैसे लोग तो चाहिए न!
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#दिशासेपूछें एक सलाह कॉलम है जो कि टीनबुक इंडिया की संपादकीय टीम द्वारा चलाया जाता है। कॉलम में दी गई सलाह विज्ञान पर आधारित है लेकिन सामान्य है। माता-पिता और किशोरों को विशिष्ट चिंताओं या मुद्दों के लिए किसी विशेषज्ञ से मदद लेनी चाहिए।
फोटो: शटरस्टॉक/फोटो में व्यक्ति मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
इसके बारे में और जानने के लिए नीचे दी गयी वीडियो ज़रूर देखें :