मुझे बहुत…बुरा लगा।
17 साल की सिया स्कूल में अपनी फेयरवेल पार्टी के लिए तैयार हो रही है, लेकिन उसे अपने कपड़ों में कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। उसने अनगिनत कपड़े बदले, लेकिन सिर्फ़ एक चीज़ जो खराब हो रही है, वह है उसका मूड। आओ “उफ़ ये उलझन” के इस संस्करण में पढ़ें किउसे क्या हुआ आखिर।
सिया को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह शीशे में अपने आप को देख रही थी, और उसे कुछ न कुछ…बुरा ही लग रहा था। उसने बहुत सारे कपडे बदले, लेकिन उसे कुछ भी सही नहीं लगा। उसने पार्टी में जाने के बजाय घर पर रहने के बारे में भी सोचा।
और यह पहली बार नहीं था जब सिया को ऐसा महसूस हुआ था। इसलिए “मेरे पास पहनने के लिए कुछ भी नहीं है” की परेड से ब्रेक लेते हुए, उसने अपना इंस्टाग्राम स्क्रोल करना शुरू किया, जहाँ उसे टीनबुक का एक पोस्ट दिखाई दिया। यह आत्म-सम्मान टॉपिक के बारे में था।
आपकी अपनी बैटरी
पोस्ट में बताया गया है कि आत्म-सम्मान बताता है कि आप खुद को कैसे देखते हैं, और यह आपकी अपनी बैटरी की तरह होता है। यह आपको अच्छा और सक्षम महसूस कराता है, चाहे आपकी लाइफ में कुछ भी हो रहा हो। अगर बैटरी कम है, तो आप सुस्त, उदास या छोटी-छोटी बातों पर इमोशनल महसूस कर सकते हैं, और यह आपकी एनर्जी को भी प्रभावित कर सकता है। अगर आपकी बैटरी पूरी तरह से चार्ज से आप अच्छा महसूस करेंगे और दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे। आपको खुद पर भरोसा होगा, आसानी से हार को संभाल पाएंगे, और खुद पर गर्व करेंगे।
पोस्ट में यह भी बताया गया था कि आत्म-सम्मान का मतलब हर समय खुश रहना नहीं है। इसका मतलब यह जानना है कि आप अभी भी काबिल हैं, चाहे आपके बाल बिखरे हों या आपका पेपर अच्छा नहीं हुआ हो।
सिया का आत्म-सम्मान
सिया अपने बिस्तर पर लेट कर, फिर से पार्टी के बारे में सोचने लगी। “शायद मैं अच्छा फील नहीं कर रही हूँ क्योंकि मैं इस बात से परेशान हूँ कि दूसरे मेरे बारे में क्या सोचते हैं”।
उसे याद आया कि कैसे उसकी सबसे अच्छी दोस्त मीरा हमेशा उसके सेंस ऑफ ह्यूमर की तारीफ करती थी और कैसे उसकी अंग्रेजी टीचर को उसकी क्रिएटिव राइटिंग बहुत पसंद है। लेकिन जब भी कोई उसकी तारीफ करता था, तो सिया उसे अनदेखा कर देती थी, यह सोचकर कि, “वे बस मुझे अच्छा लगे, इसलिए बोलते होंगे।”
पोस्ट में कहा गया था कि आत्म-सम्मान आत्म-स्वीकृति से शुरू होता है। आप जैसे हो – वैसे अपने आप को एक्सेप्ट करो। अपना फेवरेट बनो। आपको खुद को कहना है, “हाँ, मैं परफेक्ट नहीं हूँ, लेकिन कोई बात नहीं। लेकिन मैं जैसी हूँ अच्छी हूँ।”
पोस्ट में लिखा था कि आत्म-सम्मान बढ़ाने की शुरुआत खुद को अपनाने से होती है। जैसे कहना, “हाँ, मैं परफेक्ट नहीं हूँ, लेकिन कोई बात नहीं। मैं अपनी तरह से खास हूँ।” सिया को एहसास हुआ कि वह सोशल मीडिया और स्कूल में दूसरों से खुद की तुलना करके बहुत समय खराब कर रही थी, और हमेशा खुद को कम महसूस करती थी। लेकिन क्या होगा अगर वह यह सब करना ही छोड़ दे? अगर वह अपनी खामियों के साथ खुद को ठीक मान ले?
आत्म-सम्मान और 5G
सिया ने सीखा कि आत्म-सम्मान सिर्फ कुछ समय के लिए अच्छा महसूस करना नहीं है। यह 5G नेटवर्क जैसा है – जो हर समय सबकुछ ठीक रखने में मदद करता है। वजह ये है:
- आप बेहतर फैसले लेते हैं: जब आपको खुद पर भरोसा होता है, तो आप वही चुनते हैं जो आपके लिए सही है, न कि जो दूसरों को पसंद आए।जैसे, अगर दोस्त आपको क्लास बंक करने के लिए कहें, लेकिन आप मना कर दें क्योंकि आप पढ़ाई में पीछे नहीं रहना चाहते। या फिर स्कूल प्ले में एक मुश्किल रोल चुनना क्योंकि आपको भरोसा है कि आप उसे निभा सकते हैं। यह ऐसा है जैसे आपके पास एक मजबूत सिग्नल हो, जो आपको मुश्किल हालात में सही रास्ता दिखाता है।
- बुराई से निपटना: अच्छा आत्म-सम्मान रखने का मतलब है कि जब लोग आपकी बुराई करें या ताने मारें, तो आप उसे ज़्यादा सीरियसली न लें। आप मजबूत टावर की तरह हैं, और वो बस कनेक्शन की दिक्कत झेल रहे हैं।
- रिस्क लेने का आत्मविश्वास: सिया को एहसास हुआ कि उसका कम आत्मसम्मान उसे नई चीज़ें आज़माने से रोक रहा था। चाहे वह क्लास में कोई सवाल पूछना हो या किसी सोशल इवेंट में जाना हो, वह हमेशा खुद पर “पॉज़” लगाती थी। एक मजबूत आत्मसम्मान बफरिंग से फुल-स्पीड स्ट्रीमिंग पर स्विच करने जैसा होगा – बिना किसी हिचकिचाहट के।
- मजबूत रिश्ते: जब आप खुद को पसंद करते हैं और अपना सम्मान करते हैं, तो आपको हर समय दूसरों से अपनी तारीफ या सहमति की जरूरत नहीं होती। इससे आपके रिश्ते और बेहतर बनते हैं, क्योंकि आपसी समझ और सम्मान से रिश्ता मजबूत होता है।
जब बैटरी कम हो, तो…
सिया ने तय किया कि वह पार्टी में जाएगी, भले ही उसे पूरी तरह आत्मविश्वास महसूस नहीं हो रहा था। हां, उसे अभी भी थोड़ी चिंता थी कि वह क्या पहनेगी या वहां सबके बीच फिट हो पाएगी या नहीं। लेकिन उसने सोचा, सिर्फ इस डर से पार्टी मिस करना ठीक नहीं। उसने तय किया कि वह जाएगी और इस पर ध्यान देगी कि उसे मज़ा आए, न कि लोग क्या सोचेंगे।
जब वह मीरा के घर पहुंची, तो अंदर जाते ही मीरा की मुस्कान देखकर उसकी टेंशन थोड़ी कम हो गई। सिया को महसूस हुआ कि परफेक्ट दिखने से ज़्यादा जरूरी है खुद को जैसे हैं वैसे ही एक्सेप्ट करना।
उसने यह भी समझा कि आत्म-सम्मान हमेशा एक जैसा नहीं रहता, जैसे फोन की बैटरी कभी फुल चार्ज होती है और कभी कम। लेकिन जरूरी यह है कि जब बैटरी कम हो, तो उसे रीचार्ज करना न भूलें। उसी तरह, जब आपका आत्म-सम्मान थोड़ा गिर जाए, तो दोस्तों के साथ समय बिताएं, खुद को थोड़ा प्यार दें, या छोटे-छोटे काम करके खुद को गर्व महसूस कराएं। यही छोटी-छोटी चीजें आत्म-सम्मान को फिर से मजबूत करती हैं और आपको आगे बढ़ने की ताकत देती हैं।
आगे जारी है…
सिया की कहानी उस पार्टी पर खत्म नहीं हुई। आत्म-सम्मान कोई एक बार की चमक नहीं है—यह तो नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट जैसा है। कुछ दिन ऐसे हो सकते हैं जब आपको लगे कि सिस्टम धीमा चल रहा है, और यह बिल्कुल ठीक है। बात हर दिन कमाल महसूस करने की नहीं, बल्कि खुद पर भरोसा रखने की है, चाहे चीजें कितनी भी धीमी क्यों न लगें।
आखिर में, सिया ने समझा कि आत्म-सम्मान सबसे बड़ा अपग्रेड है। यह वही है जो आपकी जिंदगी को बिना रुकावट आगे बढ़ाने में मदद करता है, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं। और सबसे अच्छी बात? इस अपग्रेड के लिए आपको किसी और की इजाजत की जरूरत नहीं—यह पूरी तरह आपके ऊपर है।
तो खुद को अपग्रेड करते रहिए, खुद पर भरोसा बनाए रखिए, और ये मत भूलो कि कमजोर या बुरे दिनों में भी तुम अपनी जगह काफी हो।