‘मेरी टीचर मुझे पसंद नहीं करती, दिशा!’
मेरी टीचर मुझे पसंद नहीं करती। इस वजह से अब मुझे अपनी क्लास में भी मज़ा नहीं आता और बहुत तनाव महसूस होता है।मैं क्या करूँ? सना, 14, चंडीगढ़।
सही पकड़े हो?
अच्छा तो सना, सबसे पहले तो हेलो! क्या हाल चाल हैं। अरे मैं भी न! हाल तो तुम बता ही चुकी हो! तो सबसे पहले यह बताओ यार तुमसे कोई नफरत क्यों करेगा? तुम इतनी प्यारी हो। हाँ पता है मैंने तुम्हें नहीं देखा पर मैं कह रही हूँ ना। आखिर दिशा सब जानती है यार!
ये बताओ, क्या तुम्हें पूरा भरोसा है की ये ही बात है? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम किसी और बात से परेशान हो और उसकी वजह से इसके बारे में ज़्यादा सोच रही हो?
क्योंकि यकीन मानो मेरे साथ भी ऐसा हुआ है। एक दिन मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया तो मुझे पूरा यकीन हो गया था कि मेरे सारे दोस्त मुझसे नफरत करते हैं। हम ज़्यादा सोचने वालों के लिए ये बहुत नार्मल है। हमारा दिमाग ही ऐसे चलता है यार!
इसलिए अगर तुम्हें सच में लगता है कि तुम्हारी टीचर तुमसे नफरत करती है तो सबसे पहले ये देखने की कोशिश करो कि कहीं इसमें तुम्हारी तो कोई गलती नहीं। देखो कि कहीं तुमने ऐसा कुछ तो नहीं किया जिसकी वजह से उनके पढ़ाने या क्लास में कोई डिस्टर्बेंस आई हो।
आसान उनके लिए भी नहीं!
तुम ही देखो, पहले से ही सब टीचरों पर इन ऑनलाइन क्लास की वजह से कितना दबाव है। फ़ोन और टेबलेट को बिल्कुल नए तरीके से सीखना और इस्तेमाल करना। ऊपर से कुछ बच्चे उनके लिए ये काम और भी मुश्किल कर देते हैं।
तो अगर तुम तनाव की वजह से ऐसा नहीं सोच रही हो तो हो सकता है तनाव उन्हें हो रहा हो। उनके पास पहले से चिंता करने के लिए बहुत सारी चीज़ें हैं यार और कुछ बच्चे सिर्फ उस तनाव को बढ़ाते हैं। हाँ ये कभी कभी तुम्हारे लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है पर इसमें तुम्हारी मदद तुम खुद ही कर सकती हो।
पहली चीज़, जब अगली बार तुम्हारे टीचर को गुस्सा आए तो ध्यान दो, की उसकी वजह क्या थी। क्या तुमसे कोई गलती हुई या किसी और ने कुछ गलत व्यवहार किया हो? फिर इस पूरी घटना को उनके नज़रिये से देखने की कोशिश करो। और अपने और अपने साथ के दोस्तों के व्यवहार को सुधारने की कोशिश करो।
एक ईमानदार कोशिश
इसी तरह अपनी क्लास के दौरान टीचर की बातों पर ध्यान दो। वो तुम्हारे लिए लेसन तैयार करने में बहुत मेहनत करते हैं और जब कोई उन पर ध्यान भी ना दे तो गुस्सा आना तो नॉर्मल सी बात है ना यार। अटेंशन दो, जिन सवालों के जवाब आते हैं वो दो। जो नहीं आते हैं वो पूछो। एक ईमानदार स्टूडेंट की तरह पढ़ो। आखिर इसका फायदा भी तो तुम्हें ही होगा ना। तो फिर दिक्कत क्या है!
और अगर ईमानदारी से ये सब करने के बाद भी ऐसा बार बार होता है तो किसी बड़े से बात करो । ये तुम्हारे मम्मी, पापा, भाई, बहन, या शायद कोई दोस्त भी हो सकता है। जिसके साथ भी आप सबसे ज़्यादा कम्फर्टेबल हो। उन्हें बताओ कि आप कैसा महसूस करते हैं और वे आपको इससे निपटने में मदद करेंगे।
तुम स्कूल में किसी अन्य शिक्षक से भी बात कर सकते हैं – जिनके साथ तुम कम्फर्टेबल हो – उनके साथ शेयर करो कि तुमको कैसा लग रहा है। तुम अपने स्कूल में उन्ही टीचर द्वारा पढ़ाये जाने वाले किसी ऐसे सीनियर से बात करो जिनके साथ भी तुम कम्फर्टेबल हो। वो तुम्हे सलाह दे सकते हैं कि उन टीचर से कैसे तालमेल बेहतर किया जा सकता हैं। मुझे यकीन है की प्रयास करने से यह स्थिति बेहतर हो सकती हैं। थोड़ी मेहनत करो और थोड़ा सा चिल भी!
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