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दिशा से पूछें

मेरे मम्मी पापा मुझे प्राइवेसी नहीं देते

दिशा दी, मेरे मम्मी पापा मुझे बिल्कुल भी प्राइवेसी नहीं देते। उन्हें जब मन करता है, वे मेरे कमरे में आ जाते हैं। वे हमेशा मेरे फोन चेक करते हैं, मुझसे मेरे पासवर्ड पूछते हैं। मुझे कभी-कभी ये सब बहुत बुरा लगता है, मानों वे मेरा गला घोंट रहे हो। उन्हें मुझपर बिल्कुल भरोसा नहीं है।अदिती, 16, चंढ़ीगढ।

कहानी घर घर की 

अदिती, तुमने तो हर टीनएजर की दुखती रग पर हाथ रख दिया! यह तो है कहानी घर घर की! इतिहास गवाह है कि प्राइवेसी का मुद्दा हमेशा से बच्चों और माता-पिता के बीच एक बहस का टॉपिक रहा है फिर चाहे वो फोन चेक करना हो या फिर बंद कमरे में घुसना।

मुझे पता है कि वे कभी भी दरवाजा नहीं खटखटाते हैं। है ना? क्योंकि ऐसा केवल फिल्मों में होता है, जहां माता-पिता दरवाजा खटखटा कर अंदर आते हो! और ब्रो, अगर हम गाना गा रहे हो या कुछ पढ़ रहे हो, तब हमसे पूछा जाता है कि क्या चल रहा है! 

और हाँ, मैं तुम से बिलकुल सहमत हूँ की यह चीज़े बहुत बुरी लगती हैं कई बार! टेंशन मत लो! मैं हूँ ना।  

विश्वास की बात?

सबसे पहले तो यह जान लो की अपने पैरेंट्स की बातों को समझना भी जरुरी है। हां, ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन उनका बार-बार फोन चेक करना या कमरे में आना सब उनकी परवाह और केयर को दिखाता है। 

ऐसा नहीं है कि वे तुम पर विश्वास नहीं करते लेकिन वे अन्य लोग मतलब जिनसे तुम मिलते हो, उन पर विश्वास नहीं कर सकते। वे नहीं चाहते कि तुम कोई गलत डिसिजन लो और फिर बाद में तुम्हें अफसोस हो। सोचो, इसका मतलब तो यह हुआ ना कि उन्हें तुम्हारी चिंता है, वे तुम्हारी केयर करते हैं। वे तुम्हें बुरी चीजों से बचाना चाहते हैं, जैसे – एवेंजर। लगता है कि कुछ ज्यादा हो गया, कोई बात नहीं लेकिन तुमने मेरी बात समझ ली ना। 

अब तुम सोच रहे होगे कि इसका सोल्युशन क्या है? मैं तुम्हें बताती हूं।

सोल्युशन क्या है

अब तुम उनका नजरिया समझ गए हो, तो मुझे लगता है कि अब तुम्हारे लिए उनसे बात करना आसान होगा। हां, दिशा बाबा के सिग्नेचर सजेशन क्योंकि जब बात करना जरुरी है, तब बात करने से ही बात बनेगी। मेरा विश्वास करो, बात करना हर चीज का हल है। 

इसलिए उनसे बातें करो। उन्हें बताओ कि तुम उनकी बातें और उनका केयर समझे हो लेकिन तुम्हें प्राइवेसी भी चाहिए। हो सकता कि कोई उपाय निकलकर सामने आए।

जैसे – तुम अगर फोन इस्तेमाल करने का समय फिक्स कर लो और अगर तुम तय समय से ज्यादा फोन का इस्तेमाल करो, तो वे तुमसे फोन ले लें। तुम अपना दरवाजा सटा लो लेकिन अंदर से लॉक मत करो। बस कुछ ऐसा सोचने की कोशिश करो कि तुम्हारी और पैरेंट्स दोनों की बातें रखी जाए और किसी को बुरा ना लगे। 

एक बार तुम इसे शुरु करोगे, तो तुम्हारे और तुम्हारे माता-पिता के साथ चीजें अपने आप बेहतर हो जाएंगी और धीरे-धीरे प्राइवेसी बनने लगेगी। इसलिए शांत रहो और हां, ऑल द बेस्ट।

अगर आपका भी कोई सवाल या डाउट है, तो हमसे पूछिए। भारत की सबसे समझदार अडल्ट,आपकी अपनी दिशा, उन सभी सवालों का जवाब देगी! उन्हें नीचे कमेंट बॉक्स में पोस्ट करें या उन्हें हमारे इंस्टा इनबॉक्स में भेजें! दिशा अपने अगले कॉलम में उनका जवाब देगी। याद रखें कि कोई भी व्यक्तिगत जानकारी यहाँ न डालें।  और दिशा YouTube पर चेक करना मत भूलना, एक दम एक्शन में! 

#दिशासेपूछें एक सलाह कॉलम है जो कि टीनबुक इंडिया की संपादकीय टीम द्वारा चलाया जाता है। कॉलम में दी गई सलाह विज्ञान पर आधारित है लेकिन सामान्य है। माता-पिता और किशोरों को विशिष्ट चिंताओं या मुद्दों के लिए किसी विशेषज्ञ से मदद लेनी चाहिए।

फोटो: शटरस्टॉक/नाम बदल दिए गए हैं / फोटो में व्यक्ति मॉडल है।

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