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उफ़ ये उलझन

‘मैं पूरे दिन उसके बारे में सोचता हूं!’

कार्तिक (13) को कुछ दिनों से एक अलग फीलिंग हो रही है। वह बहुत कन्फ़्यूज़्ड है और किसी चीज़ में उसका मन नहीं लग रहा है। जिया उसे भला ‘उस नज़र‘ से कैसे अच्छी लग सकती है? वह पिछले पांच सालों से उसे जानता है और अभी कुछ समय पहले तक वह उसकी एक दोस्त ही तो थी। लेकिन अब वह उसके लिए ख़ास हो गई है और कार्तिक उसी के बारे में सोचता रहता है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

मैं पूरे दिन उसके बारे में सोचता हूं

‘सिर्फ़ एक क्रश’

कार्तिक ने फाइनली अपनी बहन काव्या (18) से इस बारें में बात करने का सोचा। उसने हैरान परेशान होकर कहा, ‘कितनी अजीब बात है दीदी। मैं सारा दिन उसी के बारे में सोचता रहता हूं!’

काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘रिलैक्स, भाई!’ यह सिर्फ़ एक क्रश है! ऐसा होता है और किसी भी उम्र में किसी के साथ भी हो सकता है।’

‘क्रश …पता नहीं। लेकिन जिया के साथ!’, कार्तिक ने अपनी बहन से कहा।

काव्या ने फिर मुस्कुराते हुए पूछा, ‘ठीक है, यह बताओ, तुम्हें कब से ऐसी फीलिंग आ रही है? ‘

‘बस कुछ ही दिनों से।’

‘वो मेरा मजाक उड़ाएंगे’

‘सबसे पहले मैं तो यही कहूंगी कि तुम थोड़ा समय लेकर अपनी फीलिंग को समझने की कोशिश करो। इससे तुम्हें कम से कम यह तो समझ में आ जाएगा कि असल में ये किस तरह की फीलिंग है। हो सकता है यह बस एक आता जाता ख्याल हो या फिर कुछ और।

‘हम्म … ’, कार्तिक अपने हाथ में चाबी का गुच्छा घुमाते हुए बोला।

काव्या ने कहा, ‘भाई, तुम्हारे दिल में जिया के लिए कुछ है तो इसे समझने की कोशिश करो। इससे तुम्हें उसे अपने दिल की बात बताने में भी आसानी होगी। पिछले कुछ दिनों से जो भी तुम्हारे दिल में चल रहा है जाकर बता दो।’

‘जिया से अपने दिल की बात बताऊं! कभी नहीं!’, कार्तिक अपनी कुर्सी से उछलते हुए बोला।

‘अगर उसने मना कर दिया तो क्या होगा! इससे भी बदतर तो तब होगा, जब बाकी दोस्तों को इसके बारे में पता चलेगा और वो मेरा मजाक उड़ाएंगे।’

‘ठीक है, ठीक है … घबराओ मत, एक-एक करके चीज़ो से निपटते हैं’, काव्या ने कार्तिक का हाथ पकड़ते हुए कहा।

‘हम हमेशा दोस्त रहेंगे’

‘सबसे पहले, मुझे यह बताओ। अगर तुम जिया से अपने दिल की बात कहते हो, लेकिन वो नाराज हो गई या उसने तुम्हें मना कर दिया, तो फिर ख़ुद को कैसे संभालोगे?’

कार्तिक ने कहा, ‘मुझे इसी बात की चिंता है।’

कार्तिक ने थोड़ा सोचने के बाद कहा,  ‘लेकिन मुझे लगता है, मुझे उसकी भी फीलिंग का सम्मान करना होगा कि और वह जो कहे उसे स्वीकार करना पड़ेगा।’

‘वह मेरी फीलिंग्स स्वीकार करे या नहीं लेकिन मैं उससे कहूंगा कि हम हमेशा दोस्त बने रहेंगे। लेकिन मुझे नहीं पता कि यह मामली सी बात मैं कहूं कैसे….’,यह कहते हुए कार्तिक रुआंसा हो गया।

‘धैर्य रख, भाई, धैर्य!’, काव्या ने कार्तिक के कंधे पर हाथ फेरा।

‘खुद को थोड़ा समय दो और अपनी फीलिंग को समझो। काव्या ने कहा, एक बार जब तुम अपने दिल की बात कहने के लिए अंदर से तैयार हो जाओगे तो फिर कोई मुश्किल नहीं होगी।’

‘पक्का?’ कार्तिक ने काव्या की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हुए पूछा। ‘पक्का, छोटे!’ काव्या ने कार्तिक को गले लगाते हुए कहा।

‘लेकिन जिया फिर भी गुस्सा हो गई तो क्या होगा! ‘कार्तिक ने फिर पूछा।

‘समय देना होगा’

काव्या ने समझाया, ‘बेशक, शुरू में ऐसा हो सकता है। देखो, तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, वह नहीं जानती है। जाहिर है, तुम उसे अपने दिल की बात बताओगे तो स्वीकार करने में समय लगेगा। वह तुम्हारे साथ ऐसा भी व्यवहार कर सकती है जिसकी तुम्हें उम्मीद ना हो और इसमें कुछ गलत भी नहीं है। तुम्हें उसे अपनी फीलिंग समझने के लिए समय देना होगा, जैसे तुम खुद को दे रहे हो।’

काव्या ने कहा, ‘लेकिन यह भी मायने रखता है कि तुम उससे अपने दिल की बात कैसे कहते हो। यदि तुम उसे रिलेशनशिप के लिए मजबूर करते हो तो उसे बुरा लग सकता है। लेकिन यदि तुम उससे अपने दिल की बात बताते हो और उसे भी सोचने का समय देते हो तो वह समझेगी भी और अपनी बात तुमसे अच्छे से कहेगी ।’

‘बस उसे फ़ोर्स मत करना, ठीक है। समझ गए ?, काव्या ने पूछा।

‘हां दीदी, मैं तो तुम्हें भी फ़ोर्स नहीं करता किसी चीज़ के लिए जब तुम्हारा मन न हो तो, तो भला उसे क्यों’, कार्तिक ने मुस्कराते हुए कहा और राहत की सांस ली। काव्या से अपने मन की बात कहकर वह हल्का महसूस कर रहा था।

‘तुम्हें इस बात की चिंता भी नहीं करनी चाहिए कि दूसरे लोग क्या सोचेंगे। समझदारी से काम लो, यह तुम्हारे और जिया के बीच की बात है। लेकिन अगर दूसरों को पता चल जाता है और वे इसका कुछ और मतलब निकालते हैं तो, इससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। इन बातों का दूसरों से कोई लेना देना नहीं है’,  काव्या ने कहा। 

‘और फिर मैं भी तो तुम्हारे साथ हूं … यदि कभी भी ज़रूरत पड़े , तो मुझसे आकर कहना। जितना हो सकेगा मैं तुम्हारी मदद ज़रुर करुंगी। ठीक है?’, वह प्यार से बोली।

‘तुम कितनी अच्छी हो दीदी!’ कार्तिक ने काव्या को कसकर गले लगाते हुए कहा।

‘अगली बार तुम मुझसे रिमोट या मेरे मोबाइल पर गेम खेलने के लिए लड़े तो याद रखना’, काव्या ने हंसते हुए कहा।

‘चांस ही नहीं!’ यह कहते हुए कार्तिक ने काव्या का मोबाइल उठाया और कमरे से भाग खड़ा हुआ।

क्या आपको कभी कार्तिक के जैसे फील हुआ है? आप उसकी जगह होते तो क्या करते? क्या आप भी किसी से इस बारें बात कर सकते हैं? नीचे कमेंट बॉक्स में  लिख कर हमें बताये। कमेंट बॉक्स में कोई भी पर्सनल इनफार्मेशन न लिखे।

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