क्या इंटरनेट पर सब कुछ सच होता है?
‘गणित की इस समस्या का समाधान क्या है?’ – आओ गूगल कर लेते हैं, हो सकता है किसी टीचिंग वाली वेबसाइट के पास इसका जवाब हो! ‘मेरा सिर बाईं ओर क्यों दर्द कर रहा है?’ – मैं गूगल पर चेक करके देखती हूँ। ‘क्या मुंहासों पर टूथपेस्ट लगाना चाहिए?’ – आइए देखें कि गूगल क्या कहता है! क्या आप भी ऐसा कर रहे हो? इन दिनों लगभग सभी के पास इंटरनेट की पहुंच है। लेकिन क्या इससे जुड़ी सारी जानकारी सच है? कैसे पता करें कि आप जो सलाह मांग रहे हैं वह सच है या नहीं? जिज्ञासा स्टेशन को मिल गया जवाब!
कई जानकारियाँ जो इंटरनेट पर उपलब्ध है, अक्सर गलत भी होती हैं और हमें नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसी खबरों से बचने के लिए यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जो आप इस्तेमाल सकते हैं:
स्रोत की जाँच करो
वह जानकारी कौन दे रहा है? क्या यह सिर्फ बिना स्त्रोत का एक व्हाट्सएप्प संदेश है या सोशल मीडिया पोस्ट जिसके साथ कोई वेब लिंक दिया गया हो ? फिर खुद से पूछो कि क्या सलाह देने के लिए ये वेबसाइट योग्य स्रोत है? क्या ये कोई प्रमुख समाचार वेबसाइट है? अगर कोई सोशल पेज जिसकी उतनी विश्वसनीयता नहीं है, या कोई पैरोडी वेबसाइट, या कोई कंपनी द्वारा संचालित कोई पेज, यह संदेश दे रहा है तो इन पर आपको बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, कोरोनोवायरस महामारी के दौरान प्रसारित एक वायरल संदेश ने एक गलत इलाज का दावा किया और बीबीसी समाचार को इस जानकारी के लिए जिम्मेदार ठहराया। एक साधारण गूगल खोज आपको बताएगा कि बीबीसी ने ऐसा कुछ भी नहीं प्रकाशित किया है। टाइप करें <क्लेम> + <समाचार वेबसाइट का नाम>
और याद रखें यदि यदि लिंक में दी वेबसाइट का नाम परिचित नहीं है, तो उस पर क्लिक न करें। यह आपको एक फर्जी वेबसाइट पर ले जा सकता है, जो निजी जानकारी चुराने के लिए बनाये जाते है। वेबसाइट का नाम और उसके ‘हमारे बारे में’ सेक्शन पर जाकर यह जाँचें कि कौन इसे संचालित करता है और इसका उद्देश्य क्या है।
इसके अलावा, नीचे इंटरनेट पर यह जानकारीपूर्ण वीडियो देखें: (वीडियो के नीचे लेख)
दावा कौन कर रहा है?
अक्सर, व्हाट्सएप या दूसरे सोशल मीडिया पर हम ऐसे सन्देश देखते है जिसमे कोई चौंका देने वाला या असंभव प्रतीत होने वाले दावा होता है – जैसे कि किसी सेलिब्रिटी की मृत्यु की खबर, या कोई लाटरी लगने की बात या फिर कोई इनाम मिलने का प्रलोभन। अक्सर लोग ऐसे मुफ्त उपहार पसंद करते हैं और ऐसे लिंक्स पर क्लिक कर के फंस जाते हैं। इंटरनेट पर एक्टिव चोर इस बात का फायदा उठाते है।
किसी फॉरवर्ड मैसेज पर भरोसा करना ठीक नहीं है। अगर किसी सेलिब्रिटी के नाम पर कोई दावा किया जा रहा है तो उस व्यक्ति के खुद के सोशल मीडिया अकाउंट पर जाओ और देखो क्या वे वास्तव में कोई मुफ्त कूपन दे रहे हैं? यदि किसी व्यक्ति की मरने की खबर आयी है उसके बारे में गूगल करो और देखो क्या इस खबर के बारे एक या दो से अधिक उल्लेख है? यदि आपको वह वेबसाइट, जिसने मृत्यु का दावा किया है, नहीं मिल रही है तो इस समाचार का सच पता किये बिना उस स्रोत पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए।
वाह! ओह नो!
क्या किसी पोस्ट को देखकर आपने कहा – ‘वाह!’ या ‘ओह नो’! फिर रुकिए। यदि कोई पोस्ट ऐसा दावा करती है जो आश्चर्यजनक या परेशान करने वाला है, जैसे किसी सेलेब की मृत्यु, मुफ्त कूपन, संगीत कार्यक्रम के लिए मुफ्त टिकट आदि) तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि बिना सही से जाँच किए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
किसी सेलिब्रिटी की मृत्यु पर एक बड़ी घोषणा है और हर प्रमुख समाचार संगठन, जैसे की NDTV, आज तक, टाइम्स ऑफ़ इंडिया इत्यादि निश्चित रूप से इस तरह जानकारी को प्रकाशित करेगा। तो पहले जांच करें फिर विश्वास करें।
संदेश की शैली
यदि किसी पोस्ट में खराब व्याकरण और वाक्य निर्माण है, वीडियो या ऑडियो रुक रुक कर चल रहा, उसमें नाटकीय ऑडियो-विज़ुअल इफेक्ट्स हैं या भड़कीले और कई रंगों का इस्तेमाल हुआ है, तो शायद ये कोई गलत स्त्रोत है। यदि टेक्स्ट में किसी व्यक्ति की तस्वीर के साथ यह कहा गया है कि उन्होंने यह स्वास्थ्य सलाह दी है, उसे जांच किए जाने की आवश्यकता है।
यदि किसी टेक्स्ट या ऑडियो के साथ कोई तस्वीर दी गई है जो कि कोई प्रमुख चिकित्सक, वैज्ञानिक या पब्लिक ऑफिसर है, तो अपने आप से पूछने की ज़रूरत है कि वे वीडियो पर यह कहते हुए क्यों नहीं दिखाए गए हैं? हालाँकि, हमें यह याद रखना चाहिए कि वीडियो प्रूफ भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है क्योंकि तकनीक द्वारा कई ट्रिक्स किए जा सकते हैं जैसे किसी व्यक्ति के लिप मूवमेंट को किसी ऑडियो में सिंक किया जा सकता है। यदि यह एक प्रमुख विशेषज्ञ व्यक्ति द्वारा कोई बड़ा स्वास्थ्य दावा किया गया है, तो निश्चित रूप से कई दूसरे मीडिया स्रोतों में इसके कई उल्लेख होंगे। उसकी जाँच करें।
फेक-न्यूज चेक करने के वेबसाइट
यदि आप किसी दावे को खुद नहीं जांच सकते और इसके लिए किसी विश्वसनीय स्रोत की सहायता की आवश्यकता होती है। ऐसे में तथ्य-जाँच में विशेषज्ञता वाली वेबसाइटें, जैसे Alt News, AFP FactCheck, AP Fact Check, BBC Reality Check और अन्य स्रोत सही रहेंगे। स्वास्थ्य कि बात हो तो भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, cdc.gov, nhs.co.uk की वेबसाइट चेक करिये।
इसे अभी शेयर करो
यदि किसी संदेश में उसे साझा करने या उसे वायरल करने के लिए बहुत जोर दिया गया है तो यह उस पर भरोसा न करने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। एक विश्वसनीय संदेश अपने साझा किए जाने की अपील करने के बजाय अपने बूते अपनी जगह बना सकता है। सामान्य तौर पर भी संदेशों को फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए, भले ही यह करना आपको ज़रूरी लगता हो। इसी कारण से फेक समाचार आगे बढ़ते जाते हैं।
हम में से अधिकांश को लगता है कि कोई संदेश किसी की मदद कर सकता है और उसे साझा किया जाना चाहिए और बस इसी तरह अचानक एक नकली संदेश हर जगह फैल जाता है! यदि हम किसी संदेश की प्रामाणिकता को सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो उसे वहीं रोकना ही सबसे अच्छा उपाय है।
फोटो: शटरस्टॉक/Ollyy/फोटो में व्यक्ति एक मॉडल है, नाम बदले गए हैं।
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