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कैंटीन में सुना

किसी को बुली करने से कैसे बचें

13 वर्षीय मेहुल को अपने टीचर का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी क्लास में सबसे आगे बैठना अच्छा लगता है। लेकिन सब  बच्चे उसको बहुत मतलबी मानते हैं। एक दिन, वह अपने एक क्लासमेट अरविंद को बुली करता/खूब मज़ाक बनता और खिल्ली उडाता है। इतना होने के बाद मेहुल को अफने आप पर थोड़ा बुरा लगता है इसलिए वह अपने स्कूल काउंसलर से सलाह लेता है और अपनी निगेटिव भावनाओं को कम करने के तरीके सीखता है ताकि वो दूसरों का मज़ाक बनाना बंद कराना सीखा सके। आओ आज के कैंटीन टॉक में इन तरीकों के बारे में जानें!

 

 

मेहुल को अपनी क्लास में पहली कुछ बेंच पर बैठना पसंद है क्योंकि उसे लगता है कि इससे वो टीचर के फोकस में रहेगा।

मेहुल के क्लासमेट्स ने बुझे मन से कहा, “मेहुल, तुम बहुत स्मार्ट हो यार” क्योंकि उसके क्लासमेट्स उसकी तेज दिमाग से नहीं बल्कि उसके सेलफिश प्रवृत्ति से डरते थे।

एक दिन, टीचर उन स्टूडेंट्स पर अधिक ध्यान दे रहे थे, जिन्हें अपने सब्जेक्ट्स में बहुत डाउट्स थे और उन्हें समझने में परेशानी हो रही थी। इससे मेहुल थोड़ा नाराज हो गया क्योंकि उसे लगा कि उसे कम फोकस मिल रहा है और वह मूर्खतापूर्ण यानी की बेकार के सवाल पूछने लगा। और अरविंद को लगा कि मेहुल सबका टाइम बर्बाद कर रहा है और अरविंद गुस्सा हो गया।

सभी अच्छे और लोकप्रिय बच्चे मेहुल के दोस्त थे। मेहुल को कभी-कभी लगता था कि वह इन ग्रुप्स से बेहतर है क्योंकि वह न केवल लोकप्रिय था बल्कि बुद्धिमान भी था।

जब छुट्टी की घंटी बजी, तो सभी स्टूडेंट्स ने कैंटीन में अपने टिफिन खोले और अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ बातें करने लगे।

खिल्ली उड़ाना 

मेहुल, अरविंद के करीब गया और उसे धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया।

मेहुल चिल्लाया, “तुम एकदम बुद्धु हो, अरविंद। तुम्हें इतने आसान सवाल के जवाब भी नहीं आते।”

पूरी कैंटीन शांत हो गई और सब अरविंद को घेरकर खड़े हो गए। उसके बाद सब चिल्लाने लगे कि अरविंद बुद्धु है।

मेहुल अरविंद के आंसु देखकर हंसते हुए बोला, “अब देखो, ये छोटे बच्चे की तरह रो रहा है।”

तभी, अनन्या ने कहा, “अरे अरविंद, अगर तुम्हें अपने जूते के फीते बांधने में मदद चाहिए, तो बस हमें बताओ!”

इसके बाद अरविंद और बुरी तरह से रोने लगा क्योंकि उसकी बहुत ज्यादा बेइज्जती हो चुकी  थी।

कैंटिन में सब अपना काम छोड़कर तमाशा देख रहे थे।

“अरविंद बुद्धु है, अरविंद बुद्धु है।” सब एक साथ चिल्ला रहे थे।

अरविंद को और रोना आ गया और मेहुल उसे देखकर हंसता रहा।

अपने आस-पास के ग्रुप को देखते हुए, मेहुल को उसे और भी अधिक डराने का मौका मिला।

जब पूरी क्लास फिर से चिल्लाने लगी, तो एक टीचर अंदर आए। वो मेहुल के life skills के टीचर थे और स्कूल काउंसलर भी थे। मेहुल ने टीचर के चेहरे पर निराशा देखी। इसके बाद टीचर ने मेहुल को रोका और बाकी बच्चों को क्लास में जाने के लिए कहा।

गलती का एहसास 

जब मेहुल वापस घर आया, तो उसे अपराधबोध महसूस होने लगा। उसे हमेशा ऐसा कुछ करने के बाद बुरा महसूस होता था लेकिन वो कुछ कर नहीं पाता था।

मेहुल ने अपने-आप से कहा, “मुझे अरविंद के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे उससे बात करनी होगा ताकि सबकुछ ठीक हो पाए।”

वो टीचर से भी बात करना चाहता था लेकिन उसे डर लग रहा था कि वो भी उससे नफरत करेंगे।

अगले दिन मेहुल काउंसलर के ऑफिस गया और सारी बात बता दी। टीचर ने उसकी बात सुनी और उसके साथ उसके इस व्यवहार को लेकर बात करने की कोशिश की और सुझाव भी दिए।

नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो उसके टीचर ने दिए थे। यदि तुम भी ऐसे व्यक्ति हो, जो लोगों को धमकाता है, तो तुम्हें भी मेहुल की तरह निम्नलिखित कार्य करने का प्रयास करना चाहिए:

  1. शांत करने की तकनीक: जब नकारात्मक भावनाएं आने लगे – जैसे गुस्सा, ईर्ष्या, या कुछ और – तो रुक जाओ। अपनी आंखें बंद करो, गहरी सांसें लो और दस तक गिनो। बुरी भावनाओं को दूर करने के लिए आवश्यकतानुसार दोहराओ।
  2. स्क्रिप्ट पलटो: क्या तुम्हारे पास कुछ ऐसा है, जो वास्तव में तुम्हारी त्वचा के नीचे समा जाता है? इस पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, अपना ध्यान किसी पॉजिटीव चीज़ पर केंद्रित करो जो तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान लाए। और यदि तुम कुछ ऐसा करने के बाद मेहुल की तरह दोषी महसूस कर रहे हो, जिसका
  3. तुम्हें पछतावा है, तो उस अपराध बोध को अगली बार बेहतर करने के लिए हमेशा एक वेकअप कॉल के लिए तैयार रहो।
  4. शब्द आहत करते हैं और कुछ काम चुभते हैं: चाहे वो घटिया टिप्पणी हो या शारीरिक धक्का-मुक्की, धमकाना एक निशान छोड़ती है। याद रखो, शब्द किसी घूंसे की तरह ही गहरी चोट कर सकते हैं।
  5. जिज्ञासु बनो: क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम दूसरों को परेशान करने/धमकाने की ओर क्यों आकर्षित होते हो? थोड़ा समय निकालकर गहराई से देखो और पता लगाओ कि उन कार्यों के पीछे क्या है। अपने उद्देश्यों को समझना सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में पहला कदम है।
  6. अपना ग्रुप बुद्धिमानी से चुनो: अपने आसपास ऐसे लोगों को रखो जो तुम्हारा अच्छा चाहते हो और तुम्हें सपोर्ट करते हो। यदि तुम स्वयं को ऐसे समूह में पाते हो, जो नकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देता है, तो अपने लिए नए दोस्त ढूंढना शुरु कर दो।
  7. चीजों को अलग ढंग से देखो: दूसरों को देखकर अच्छी चीजे सीखने की कोशिश करो। यह चश्मे का एक नया जोड़ा पहनने जैसा है, जो तुम्हें बहुत कुछ समझने में मदद करता है।
  8. सहानुभूति का अभ्यास करो: इस बारे में सोचने के लिए कुछ समय निकालो कि तुम्हारे कार्य दूसरों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। अपने आप को उनकी जगह पर रखने से आपको अधिक समझदार और दयालु बनने में मदद मिल सकती है।
  9. गलती मानो और माफी मांगों: यदि तुम कोई गलती करते हो, तो जिम्मेदारी लेना महत्वपूर्ण है। जिन लोगों को तुमने ठेस पहुंचाई है ,उनसे माफी मांगों और चीजों को सही करने के लिए कदम उठाओ। स्वयं को क्षमा करना अपने अनुभवों से बढ़ने और सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है।

मेहुल ने अपने टीचर द्वारा दिए गए इन सुझावों का पालन किया और किसी के साथ ऐसा न करने का निर्णय लिया। इसके अलावा दूसरों के बारे में गलत सोचने लेने के बजाय अपने आसपास के लोगों को समझने के लिए समय निकाल लगा। मेहुल ने अरविंद से माफी भी मांगी और उसके साथ रिश्तों को सुधार करने की कोशिश कर रहा है।

इसके बारे में और जानने के लिए नीचे दिय गया वीडियो ज़रूर देखें : 



 

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