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उफ़ ये उलझन

साथियों के दबाव में आने से कैसे बचें?

हर किसी को कभी ना कभी अपने साथियों के कारण होने वाले दबाव का सामना करना पड़ता है – कभी ये उनके नए वीडियो गेम या स्मार्टफोन को लेकर होता है, तो कभी आपके भाई-बहनों या दोस्तों के अच्छे ग्रेड को ले कर। कुछ लोग इस दबाव में आ जाते हैं, वही कुछ लोग इससे खुद को और मज़बूत बनाते बनाते हैं। कैसे? अभिमन्यु आज हमे बताएँगे।

फोटो: शटरस्टॉक/Prostock-studio/तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है।  

बात प्रेशर की

दबाव यानी प्रेशर बहुत कुछ कर सकता है। यह एक गुब्बारे को उड़ा सकता है, लेकिन यह दबाव उसी गुब्बारे को फोड़ भी सकता है। आपके आसपास का वातावरण आप पर हमेशा दबाव बनाए रखता है और आपको पता तक नहीं चलता। पर हाँ, जहाँ एक तरफ वातावरण का दबाव आपको महसूस भी नहीं होता, एक दबाव है जो आपको हर तरह से महसूस होता है, साथ वालों का दबाव या पीयर प्रेशर!

तो अगर आपका सवाल है की,”ये पीयर प्रेशर होता क्या है?” तो ये दबाव तब महसूस होता है, जब आपके साथ के किसी दोस्त  साथी के पास ऐसी कोई चीज़, अनुभव या जानकारी है जिसे आप भी जानना, लेना या महसूस करना चाहते हैं। लेकिन ले नहीं पा रहे हैं  

खुद ही सोचिये – यदि आप अपनी क्लास में ऐसे अकेले व्यक्ति हैं जिसके पास फ़ोन नहीं है और ये बात आपको बात बुरी भी लगती है। इसलिए माँ-पापा से फ़ोन लेने की ज़िद करते हैं भले ही वो आपको समझा चुके हो कि आपको फ़ोन की अभी कोई ज़रूरत नहीं है। तो ये जो फोन की माँग थी वो आपके साथियों के दबाव की वजह से हुई। तो अब आपको पता है कि ये दबाव किसी चीज़, मुद्दे या अनुभव के छूट जाने (जैसे की फ़ोन) के डर और समाज के आप पर प्रभाव का एक मिश्रण है।

अब ये सुनने के बाद आप बोलेंगे, “ये दोनों चीज़ें एक साथ? अब तो हमारा कोई चांस ही नहीं है, तभी इतने लोग इस दबाव में आ जाते हैं”। तो प्रिय पाठक, डरिये मत, क्योंकि मैं आपकी मदद करने के लिए आ गया हूँ। यह ख़तरनाक टीम (डर और समाज का प्रभाव) थोड़ी डरावनी हो सकती है और हम इसकी तुलना में छोटा महसूस कर सकते हैं, लेकिन एक बुद्धिमान मास्टर ने कहा था, “किसी भी मुश्किल को उसके साइज़ से जज ना करें”।

और वो सही भी हैं। हम इस तरह के मानसिक दबाव को सोची समझी चालों से हरा सकते हैं। क्यों?… क्योंकि भले ही वो टीम बहुत भारी है पर याद रहे, वो जितने भारी हैं उतनी ही ज़ोर से गिरेंगे भी। तो आइये चलते हैं सीधे मेरी नई छोटी नॉवल- ‘पीयर प्रेशर से लड़ने के नायाब तरीकें’ की तरफ:

याद रखें कि आप कौन हैं

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपका दोस्त क्लास टॉपर हैं या आपकी बहन बहुत अच्छी डांसर! आप अपने मित्रों, भाई-बहन या विद्यालय के सभी लोगों से अलग हो सकते हैं; यह मत भूलिए कि आप आप हो। कोई भी वो चीज़ें नहीं कर सकता जो आप कर सकते हैं।

आपकी जगह कोई नहीं ले सकता। अगर आप दूसरों के  लिए खुद को बदल देंगे तो फिर आप आप कैसे रहेंगे? कोई भी आपकी तरह बोल नहीं सकता, पढ़ नहीं सकता, खेल नहीं सकता या फिर ऐसी कोई भी चीज़ उस तरह नहीं कर सकता, जैसे आप उन्हें कर सकते हैं। किसी और की किसी एक खूबी के पीछे यदि आप जायेंगे और उसके लिए खुद को तकलीफ देंगे तो आपकी अपनी खूबियों का क्या होगा?

और मान लीजिये अगर कोई एक इंसान (मान लीजिये आपके स्पोर्ट्स सर) आपको नापसंद करता है, किसी भी कारणवश, तो उसके लिए खुद को बदलने की जगह उन पांच लोग की सोचें, जो आपको – आप जैसे हैं वैसे – पसंद करते हैं।

क्या किसी के पास किसी चीज़ का होना उस चीज़ को ज़रूरी बना देता है?

उसी फ़ोन के बारे में बात करते हैं, क्या आपकी क्लास के सब बच्चों के पास फ़ोन होना ज़रूरी है? अगर आपके पास फोन नहीं है तो इसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होगी, है ना?

आपके माता-पिता के पास भी अपनी वजह ज़रूर होगी आपको फ़ोन ना देने के लिए। सिर्फ इसलिए कि किसी और के पास फोन है इसका मतलब यह नहीं है कि आपके पास भी एक होना चाहिए।

इसलिए अब जब आप अपनी क्लास में सभी को नए iPhone, या सैमसंग गैलेक्सी के बारे में बात करते हुए सुनते हैं, तो अपने आप को याद दिलाएं कि आप साथियों के दबाव में न आएं! दुनिया इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है- आज के ट्रेंड कल पुराने हो जाएँगे; तो ज़्यादा ज़रूरी क्या है – वो नया फ़ोन आज लेना या बाद में, जब आप उसके लिए तैयार होंगे?

चीजों को परिप्रेक्ष्य में रखें

सिर्फ इसलिए कि आप अद्भुत पॉप-अप कैमरा, या इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर का अनुभव नहीं ले पा रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि यह दुनिया का अंत है, है ना? इन लेटेस्ट चीज़ों या ट्रेंड का ना होना आपको किसी से कम नहीं करता है, और ना ही इसकी कमी की वजह से आपको कोई नापसंद करेगा।

यदि कोई आपको इसके लिए नापसंद करने लगे (वैसे भी, इतनी सी बात के लिए कोई कैसे किसी को नापसंद कर सकता है?), अपने आप को याद  याद दिलाएँ कि यह बहुत बेतुका है और आपको इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए!

बस इतना ही! मेरी ये छोटी सी किताब अपने अंत पर आ चुकी है और आप पीयर प्रेशर से बचने की एक्सप्रेस ट्रेन पर सवार हो चुके हैं। तो अब किसका इंतज़ार? अपने कदम सोच समझ कर रखें और उस दबाव को सबक सिखाएं। उसके बाद एक सुपरहीरो की तरह बाकियों को भी समझाइये और आपको बेशक सफ़लता मिलेगी।

अगस्त्या आर. एक लेखक और पेपरलेस प्रेस के सह-संपादक और सह-प्रकाशक हैं। पेपरलेस प्रेस छात्रों द्वारा छापी जाने वाली एक समाचार पत्रिका है और सकारात्मकता और उत्थान से जुड़ी खबरें फैलाने की ओर समर्पित है। यह लेख पहली बार पेपरलेस प्रेस (thepaperlesspress.net) में प्रकाशित हुआ था। मूल लेख यहाँ पढ़ें।

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