ऑनलाइन नेगेटिविटी को ऐसे किया टाटा-बाय बाय!
कभी आपका किसी ऑनलाइन हेटर से पाला पड़ा? एक बुरे कमेंट ने मेरी संडे वाली चाय का पूरा मूड ख़राब कर दिया! लेकिन फिर मैंने गेम पलट दिया। जानो कैसे मैंने हेट को हैंडल किया और अपनी शांति बचाई।
संडे की चाय
संडे की सुबह थी, चाय का कप हाथ में और इंस्टा स्क्रॉल करते हुए मैं पूरी फील में थी। जिसमें बात की थी पब्लिक जगहों की एक्सेसिबिलिटी की — मतलब ऐसे रास्ते और इंतज़ाम जिनसे हम जैसे व्हीलचेयर यूज़र्स भी आराम से घूम-फिर सकें, बिना किसी झंझट के। मैंने रैंप, चौड़े दरवाजे और लिफ्ट जैसी ज़रूरतों के बारे में बात की थी—जिन्हें पार्क, मॉल, रेस्टोरेंट या स्कूल जैसी जगहों पर शामिल किया जाना चाहिए। ये छोटी-छोटी चीज़ें सुनने में मामूली लग सकती हैं, लेकिन ये दिव्यांग लोगों की ज़िंदगी को काफी आसान बना सकती हैं।
बहुत सारे कमेंट्स पॉजिटिव थे, लोग अपनी कहानियाँ शेयर कर रहे थे। लेकिन फिर एक कमेंट ने पूरा सीन खराब कर दिया:
“ड्रामा बंद करो। कोई तुम्हारा कर्ज़दार नहीं है। अगर दुनिया तुम्हारे लिए बनी नहीं है, तो घर पर ही रहो।”
दिल को एकदम झटका लग गया। ये सिर्फ मेरे बारे में नहीं था; ये उस सोच के बारे में था जो मानती है कि दिव्यांग लोगों को अपनी मुश्किलें बताने के बजाय, जो भी कमियाँ हैं, उन्हें बस चुपचाप मान लेना चाहिए। पहले वाली मैं तो पूरा थ्रेड बना देती, पर अब? मैंने चाय की एक और चुस्की ली और स्टोरी का एंगल ही बदल दिया।
पहले वाली मैं vs. अब वाली मैं
अब मैंने उस कमेंट को ही अपनी ताकत बना लिया। मैंने उसे अपने कैप्शन में डालकर क्लियर किया कि एक्सेसिबिलिटी की बात करना विक्टिम बनने जैसा नहीं है, बल्कि अपने हक़ के लिए आवाज उठाना है — ये इसलिए ज़रूरी है ताकि हर किसी को घूमने-फिरने, मस्ती करने और बिना किसी रुकावट के अपनी ज़िंदगी जीने का बराबरी का मौका मिल सके, चाहे वो चलकर, व्हीलचेयर से या किसी सपोर्ट से मूव करें। ये बात लोगों को बहुत पसंद आई और लोगों ने मुझे सपोर्ट किया, अपने एक्सपीरियंस शेयर किए और इससे एक पॉज़िटिव बातचीत शुरू हो गई। ट्रोल: 0, पॉवर: 100!
ट्रोल्स को कैसे धोएं?
इससे मुझे एक बात का एहसास हुआ : ट्रोल्स को ड्रामा पसंद है, लेकिन मुझे उन्हें लाइमलाइट देने की ज़रूरत नहीं है। समय के साथ, मैंने कुछ आज़माए और परखे हुए तरीके सीखे हैं, जिनसे मैं अपनी मेंटल शांति बनाए रखती हूँ और अपनी बात भी कह पाती हूँ। अगर तुम्हें कभी ऑनलाइन नेगेटिविटी का सामना करना पड़े, तो ये ट्राय करो:
- म्यूट, ब्लॉक, रिपीट: कोई ज़रूरी नहीं कि हर कमेंट का जवाब दो। इंस्टा में कमेंट्स को ब्लॉक या म्यूट करने का ऑप्शन है, उसका इस्तेमाल करो!
- ट्रोल्स को मत खिलाओ: ट्रोल्स को लड़ाई में मजा आता है। अगर रिप्लाई देना है, तो शांति से दो या फिर उन्हें इग्नोर ही कर दो। कभी-कभी कुछ ना कहना ही सबसे अच्छा जवाब होता है।
- गेम पलटो: बुरे कमेंट्स को एक पॉज़िटिव बातचीत में बदल दो। अपनी स्टोरी बताओ और लोगों को जोड़ो।
- सपोर्ट सिस्टम: जब ऑनलाइन नेगेटिविटी हावी लगे, अपने दोस्तों या फैमिली से बात करो। वो तुम्हारा रीचार्ज बटन बन सकते हैं।
- लॉग ऑफ और गहरी सांस: जब सोशल मीडिया ओवरलोड लगे, फोन साइड में रखो और एक लंबी सांस लो।
- अपना गोल याद रखो: ट्रोल्स की बजाए उन लोगों पर फोकस करो जो तुम्हारी बात को समझते और सपोर्ट करते हैं।
वो संडे की चाय एक नेगेटिव कमेंट की वजह से खराब हो सकती थी, लेकिन मैंने खुद अपनी कहानी को कंट्रोल करने का फैसला किया। एक इंफ्लुएंसर और डिसएबिलिटी राइट्स के लिए सोशल एडवोकेट होने का मतलब है अपनी सच्चाई पर कायम रहना, चाहे ट्रोल्स कितनी भी कोशिश शोर करें।
क्या आप कभी ऐसा महसूस किया है? क्या आपने इसके बारे में कुछ किया? नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ शेयर करें। याद रखें, कोई भी व्यक्तिगत जानकारी कमेंट बॉक्स में न डालें।