‘लेकिन हम बहुत अलग हैं!’
मीता, सागर, हेमंत और दिया एक दूसरे से बहुत अलग हैं। उनको टीचर ने टीमवर्क सीखने लिए उन्हें एक ही ग्रुप में डाला। क्या वे कैंटीन में काम कर रहे हैं या लड़ रहे हैं? चलिए देखते हैं!
ये-वो
लंच ब्रेक के दौरान मीता, सागर, हेमंत और दिया कैंटीन में बैठे हैं। किसी ने भोजन को छुआ तक नहीं है।
दिया ने कहा, “मीता, मैं तुम्हे पहले ही बता चुकी हूँ। मैं तुम लोगों के साथ तब तक काम नहीं करुँगी जब तक तुम सब मेरे आइडियाज नहीं मान जाते।“ उसने लगभग सबके ही विचारों या सुझावों में कुछ न कुछ गलतियाँ निकाल कर एक लम्बी लिस्ट तैयार कर ली थी।
“दिया, हमारे पास दो दिन का समय बचा है। हम सभी को अपनी अलग अलग सोच से ऊपर उठकर साथ में कुछ सोचना होगा। और हम में से कोई भी तुम्हारे आदेशों पर नहीं चलेगा”, मीता ने गुस्से से जवाब दिया।
“दोस्तों, शांत हो जाओ! लड़ना बंद करो, हमे आराम से बैठकर इसका हल निकालना होगा!” सागर ने कहा।
इस पर दिया आग बबूला हो उठी और गुस्से से बोली, “सागर, तुमने वैसे भी अब तक कोई काम नहीं किया है तो बेहतर होगा अगर तुम इससे बाहर ही रहो। मै वैसे भी टीचर से तुम्हारी शिकायत करने वाली हूँ”।
मीता ने शिकायत की, “दिया, तुमने भी अब तक कोई ज़्यादा मदद नहीं की है। और रही हेमंत की बात तो वह पिछले तीन दिनों से अपना हिस्सा लिखने में देरी कर रहा है”।
“अगर तुम सब इस तरह लड़ते रहोगे तो मै अपना हिस्सा कैसे लिखूंगा। ये आज तक का सबसे खराब ग्रुप है। मुझे अफ़सोस है कि मै इसका हिस्सा हूँ”, हेमंत ने कहा।
उनकी टीचर अनुजा शर्मा को आज कैफेटेरिया में ड्यूटी दी गई थी। जैसे ही उन्होंने उन सब को बहस करते देखा वह उठकर उनके पास पूछताछ करने आई।
झगड़े कैसे निपटाएं – यह इस वीडियो में बहुत बढ़िया तरीके से दे रखा है। बाकी का आर्टिकल वीडियो के नीचे देखें:
ग्रुप बदलना?
“क्या यहाँ कोई परेशानी है?” टीचर ने पूछा।
“मैम, हम प्रोजेक्ट पर चर्चा कर रहे थे। और हम किसी भी फैसले पर नहीं पहुँच पा रहे हैं। हर कोई असहमत है और एक-दूसरे से बहस कर रहा है”, सागर ने जवाब दिया।
“क्या आप हमारा ग्रुप बदल सकते हैं? हम एक दूसरे के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं। हमारे विचार आपस में नहीं मिलते हैं जिसकी वजह से काम की जगह सिर्फ बहस हो रही है”, दिया ने कहा।
अनुजा मैम ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, “ग्रुप बदल लेना इसका हल नहीं है दिया। अलग अलग विचारों की वजह से ही आप एक टीम का हिस्सा है। इन अलग विचारों को संभालना और अपने काम के बीच में इन्हे ना आने देना ही आपको टीम वर्क, सहयोग या दूसरों के साथ काम करना सिखाएगा”, टीचर ने समझाया।
“लेकिन हम सभी बहुत अलग-अलग हैं। क्या हमे अपने जैसी सोच वालों के साथ काम नहीं करना चाहिए?” हेमंत ने पूछा।
“आप चारों को यह समझने की ज़रूरत है कि ये अलग अलग सोच ही आपके काम आ सकती है। इससे आपके काम करने की क्षमता बढ़ेगी और आपको बेहतर परिणाम भी मिलेंगे। इससे आपको एक दूसरे के विचार समझने में भी मदद मिलेगी”, शिक्षक ने कहा।
“माफ करना, लेकिन कैसे? मै समझा नहीं कि अलग होना इतना अच्छा कैसे कैसे हो सकता है। हम सिर्फ नॉन-स्टॉप बहस कर रहे हैं!” मीता ने शिकायत की।
“देखो मीता, तुम्हारी रिसर्च, हेमंत का लेखन, सागर का डिज़ाइन और दिया की प्रस्तुति – एक साथ आ जाएँ तो तुम्हारा प्रोजेक्ट कितना अच्छा हो सकता है”, शिक्षक ने सभी को समझाने की कोशिश की।
“मैम, लगता है आपने हमे एक ग्रुप का हिस्सा बनाने से पहले बहुत सोचा था। आपने वो देखा जो हम सब नहीं देख पा रहे थे!” मीता ने कहा।
“हाँ, सही कहा मीता । लेकिन याद रखें, अच्छे परिणाम तभी होंगे जब आप एक-दूसरे के ज्ञान पर भरोसा करेंगे और एक-दूसरे के विचारों को समझेंगे, ठीक है? अब और लड़ाई नहीं। काम शुरू करो!” अनुजा मैम ने जोड़ा।
“हाँ मैम। हम पूरी कोशिश करेंगे कि अब बहस ना करें”, सागर, हेमंत, मीता और दिया ने एक साथ जवाब दिया और हँस पड़े।
अनुजा मैम मुस्कुरा कर वहाँ से चली गई। और वो चारों एक बार फिर बातचीत करने लगे इस उम्मीद से कि इस बार वे मिलकर एक फैसले पर पहुँच पाएंगे।
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