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असफलताओं से कैसे निपटें?

‘मैंने तुम्हे और पढ़ने करने के लिए कहा था, अब अपने नंबर देखो!’ ‘क्या तुमने अपना 100% दिया, नहीं!’ ‘सारा दिन फ़ोन फ़ोन, ये तो होना ही था’। ये सब सुना सुना लगता है ना? जब परीक्षा में अप्रत्याशित/औसत से कम नंबर मिलते हैं, तो क्या शिक्षकों और माता-पिता के ताने आपको तनाव में डालते हैं? तो फिर आगे पढ़ें। टीनबुक के अतिथि विशेषज्ञ, डॉ शिशिर पलसापुरे, आपको परफॉरमेंस से संबंधित तनावों से निपटने में मदद करेंगे।

विफलता क्या है?

सबसे पहले, आइए समझें कि विफलता क्या है। मेरी राय में, असफलता एक घटना है न कि एक व्यक्ति। तो तुम असफल नहीं हो, तुम असफलता से गुजरे हो। असफलता हर किसी के लिए अलग होती है। कुछ लोग अच्छे अंक ला कर भी सोचते हैं कि वे असफल हो गए हैं और कुछ लोग कम मार्क्स ला कर भी सोचते हैं कि उन्होंने परीक्षा पास कर ली है जो उनके खुश होने के लिए काफी है।

ज़्यादातर समय असफलता एक व्यक्ति पर निर्भर करती है, अब यह समझना जरूरी है कि असफलता हर किसी के लिए अलग होती है। इसलिए अगर आपने अपने लिए सोचे हुए लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया है, तो इसे विफलता कहा जा सकता है। 

उदाहरण के लिए, मेरे किसी परीक्षा में कम मार्क्स आते हैं तो मुझे लगेगा कि मैंने अपने माँ-पापा को निराश किया है। उन्होंने मुझ पर इतना समय और पैसे लगाए जो बर्बाद हो गए। किसी और के लिए, उनके दोस्त उन्हें छोड़ कर आगे निकल जाएँगे। और किसी और के लिए उनके ख़ास दोस्त उन्हें जज करेंगे।

‘विफलता’ अस्थायी है’

नकारात्मक विचारों से दूर रहें, खासकर अपने या अपने भविष्य को लेकर। भविष्यवाणियाँ जैसे ‘मैं कभी सफल नहीं हो पाऊँगा। मैं शायद असफल हो जाऊँगा, गलत हैं। अगर आपकी जगह आपका कोई दोस्त होता तो क्या आप उसे भी यही कहते? अगर नहीं, तो आप अपने लिए ऐसा क्यों सोच रहे हैं?

असफलता से निपटने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हर बार आप कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, तो सफलता की संभावना बढ़ती जाती है।

मान लीजिए कि आप तीन अवसरों में सफल होते हैं। तो हो सकता है कि आप पहली बार में असफल हों, लेकिन दूसरे मौके में सफलता की संभावना तीन में से दो है। और तीसरे मौके में, सफलता की संभावना तीन में से तीन है क्योंकि आप तीसरे अवसर में ही सफल होने वाले हैं।

इसलिए असफलता को स्थायी न समझें, यह अस्थायी है। यह आपको हमेशा कुछ न कुछ सिखाती है। आसान शब्दों में, दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचारों से ध्यान हटाएँ और असफलता को सफलता की ओर एक कदम के रूप में देखें।

इसके अलावा, तनाव पर उनका विस्तृत पॉडकास्ट नीचे दिए गए लिंक पे क्लिक करके सुनें।  

शिशिर पलासपुरे एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक हैं जो संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी और तर्कसंगत भावनात्मक व्यवहार थेरेपी में माहिर हैं। वह स्कूलों के लिए कोर भावनात्मक शिक्षा कार्यक्रम के संस्थापक भी हैं। उनके काम के बारे में अधिक जानकारी यहाँ पाई जा सकती है।

कोई प्रश्न है? हमारे विशेषज्ञों से पूछें! इस कॉलम में, हम टीनएजर्स और उनके माता-पिता से बड़े होने, किशोरावस्था, यौवन पर प्रश्न लेते हैं; और उन्हें विषय वस्तु विशेषज्ञों के पास रखते हैं।

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