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फीलिंग्स एक्सप्रेस

‘मुझे इस्तेमाल किया गया’

अजय (17 ) , जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का निवासी है, का दाखिला मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ। उसके लिए सब कुछ नया नया था पर वह फिर भी कुछ दोस्त बना पाया। मगर अचानक वे सभी उसे नज़रअंदाज़ करने लगे और उसे ‘इस्तेमाल किया गया ‘ सा महसूस हुआ। असल में क्या हुआ? उसने अपनी कहानी टीनबुक को बताई।

 बड़े शहर में बिलकुल अकेला 

इंजीनियरिंग कॉलेज में मेरे पहले दिन की यादें अब भी मेरे मन में ताज़ा हैं। मैं अपने सबसे नए कपड़े और सैंडल पहन कर अपने सहपाठियों से मिलने के लिए उत्सुक था। जैसे ही मैं कॉलेज कैंपस में गया , एक बड़ी सी बिल्डिंग देख कर मैं हतप्रभ रह गया। यह एक बहुत ही बड़ा बदलाव था मेरे गाँव के स्कूल से , जहाँ मैंने अब तक की अपनी ज़िंदगी गुज़ारी थी। 

मेरे पिता – एक अध्यापक , गांव के सबसे ज़्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति हैं जिस वजह से सब मेरी ओर भी सम्मान से देखते और मेरी इज़्ज़त भी करते हैं। मगर मुंबई में मैं कुछ भी नहीं था। मेरे आस पास के छात्र मेरे गाँव के दोस्तों से बिलकुल अलग थे। हर कोई बहुत व्यस्त नज़र आता है। मुझे एकदम से ही अकेला महसूस होने लगा। 

मैं उनसे बात करना चाहता था पर लगता था कि हर कोई जल्दी में है। किसी के पास समय नहीं था। आदतन , मैं कक्षा में सबसे आगे की बेंच पर बैठने लगा ताकि मैं पढाई पर ज़्यादा ध्यान दे पाऊं। 

दिन बीतते गए और मेरे कोई दोस्त नहीं बने। और ना ही मेरे पास कोई आया। 

‘हाय ,वास्स अप !’

मैं सोचने लगा कि ऐसा क्या है जो इन लोगों को मुझसे दोस्ती करने से रोक रहा है -क्या मैं अच्छा नहीं दिखता, क्या मैं बोरिंग हूँ  या फिर शायद सबके और बहुत दोस्त हैं और मेरी ज़रुरत ही नहीं है। क्या यह इसलिए है कि मैं सबसे आगे की बेंच पर बैठता हूँ , मैंने सोचा। 

एक दिन मैं क्लास में बैठ एक असाइनमेंट पर काम कर रहा था क्योंकि कोई उस समय कोई क्लास नहीं थी। तभी छात्रों का एक समूह मेरे पास आया और मुझसे पूछा कि क्या मेरे पास उस विषय के नोट्स हैं। मैंने गर्व से उन्हें अपने नोट्स दिखाए।  यह पांच लोगों का ग्रुप था -आकाश,अमय ,राघव,काजल और निहारिका। 

उन लोगों ने मेरे साथ बहुत अच्छा बर्ताव किया और मुझसे पूछा कि मैं कहाँ से हूँ और उन्होंने अपना भी परिचय दिया। मैं पहले बहुत घबराया हुआ था और लड़कियों के सान्निध्य में ज़्यादा कम्फ़र्टेबल नहीं था। 

समय के साथ , मैं उनसे क्लास में ज़्यादा मिलने लगा। बाकी छात्रों की तरह , वे भी मुझसे ‘हाय ,वास्स अप ‘ कहती थीं और उन्होंने मुझे भी यह बोलना सिखाया। मुझे कुछ समय लगा मगर फिर मुझे आसानी से यह बोलना आ गया। 

थैंक्स वैरी मच 

पहले सेमेस्टर के चलते, हमारा असाइनमेंट्स का जमा होना शुरू हो गया था। मैंने ग्रुप में असाइनमेंट पूरा करने में सबकी मदद की थी। मैंने क्लास के लेक्चर में लिए अपने असाइनमेंट और नोट्स भी उन्हें दिए थे। आकाश और काजल अक्सर अपना पूरा असाइनमेंट मुझे ही लिखने के लिए कहते थे। वे सभी मुझसे बहुत  खुश थे और हमेशा मुझे धन्यवाद देते थे। 

हमने कैंपस में सेमेस्टर के दो पेपर ख़तम कर लिए थे। मैंने परीक्षाओं में सबकी मदद की थी और फिर कोविड -19 की वजह से लॉकडाउन लागू हो गया और हमारी परीक्षाएं रद्द हो गयीं। उसके बाद सब कुछ बदल गया। हम सभी को अपने घर वापस जाने को और अंदर रहने के लिए कहा गया। 

और फिर… 

मैं एक किराये के कमरे में रहता था। दिन गुज़रते गए और किसी ने भी मुझे मैसेज करके ‘वास्स अप ‘ नहीं पूछा ! उन्होंने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि क्या मैं शहर में ही हूँ या अपने घर चला गया। 

मुझे लगा कि मुझसे कुछ गलती हो गयी है। तब मैंने पुरानी बातें याद करने की कोशिश की। किसी ने भी मेरे मैसेजेस के जवाब नहीं दिए ; जब वे ऑनलाइन भी थे तब भी उन्होंने मेरे मैसेजेस खोलने की भी ज़रुरत नहीं समझी। पहले मैंने सोचा कि वे घर जाने की तैयारी में व्यस्त होंगे या फिर किसी और काम में होंगे। मैं भी एक हफ्ते बाद अपने घर के लिए निकल गया पर फिर भी किसी का भी कॉल नहीं आया। 

मुझे बहुत ही थका हुआ महसूस होने लगा और मैं पूरा दिन सोता था और कुछ भी उपयोगी काम नहीं करता था। मुझे बहुत ही अकेलापन और इस्तेमाल किया गया महसूस होने लगा। मैंने इस बारे में अपने पिता से बात करने की कोशिश की मगर उन्होंने मुझे अपने पर ही ध्यान देने के लिए कहा। 

सिर्फ नोट्स के लिए?

कुछ दिन बाद , मैंने आकाश को कॉल किया मगर उसने जल्दी जल्दी जवाब दिया कि वह व्यस्त है। राघव ने मुझे मैसेज किया कि वह मुझे कॉल करेगा मगर उसने कभी नहीं किया। और ऐसा लगता है कि अमय ने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया था क्योंकि उसका फ़ोन हमेशा पहुँच के बाहर आता था। मैंने लड़कियों को कभी कॉल नहीं किया। 

मैं उलझन में था। क्या वे सच में मेरे दोस्त थे या फिर अपने असाइनमेंट करने और मेरे नोट्स लेने के लिए मेरा इस्तेमाल कर रहे थे ? मुझे इस्तेमाल किया गया महसूस हुआ। अब कुछ महीने बीत गए हैं और मैं अभी भी अपने गाँव में ही हूँ। मेरा उनसे संपर्क बिलकुल ख़त्म हो चुका है और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि यह सब क्यों हुआ।

क्या आप कभी निशा की स्थिति में आए हैंआपने कैसा महसूस कियाक्या आपने इसके बारे में कुछ कियानीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ शेयर करें। याद रखेंकोई भी व्यक्तिगत जानकारी कमेंट बॉक्स में  डालें।

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