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सुकून वाला कोना

मेरी लाइफ इतनी मुश्किल क्यों है!

राघव का सेलेक्शन क्रिकेट टीम में नहीं हुआ, तो उसने इस मुश्किल समय को कैसे संभाला और इस दौरान उसने क्या सबक सीखे? राघव ने अपनी लिखी डायरी के कुछ हिस्से को हमारे साथ शेयर किये हैं। चलो पढ़ते हैं! शायद कुछ अच्छा सीखने को मिले?  

 

 

डियर डायरी, 

आज का दिन मुश्किल था – बहुत बहुत मुश्किल। मेरा सर चक्कर खा रहा था और दिल मानो शरीर से निकला ही जा रहा था की, मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है।

हुआ ये कि मैं क्रिकेट टीम सिलेक्शन नहीं हुआ । हां, सही पढ़ा तुमने!  मैं पूरे जी जान और मेहनत से इतने लंबे समय से हर रोज प्रैक्टिस कर रहा हूँ, लेकिन तब भी सेलेक्ट नही हुआ। ऐसा लगता है जैसे मैं अकेले अंधेरे में खड़ा हूँ, कोई रास्ता नहीं दिख रहा। बहुत ही बुरा लग रहा है।  

एक छोटी सी अड़चन? 

जब मेरे पापा ने मेरा मूड देखा, तो उन्होंने मुझे बैठाया और समझाया कि यह तो बस एक छोटी सी अड़चन है, आगे का रास्ता बहुत लंबा है और हो सकता है कि यह अड़चन मुझे और मजबूत और बेहतर बना दे। 

और आप जानते हो? अब मुझे भी लगने लगा है कि शायद पापा सही है — ये एक छोटी सी अड़चन, एक चुनौती है। 

बड़े बड़े शब्द है, मुझे पता है! लाइफ में, कुछ भी हो सकता है जो आपका प्लान बिगाड़ सकता हैं और लाइफ को मुश्किल बना सकता है . जैसे मेरे साथ हुआ आज! 

लेकिन पापा से बात करके पता चला ki – हर कोई इसका सामना करता है। सच में हर कोई, यहाँ तक कि उन लोगों को भी जिनकी लाइफ बहुत अच्छी दिखती है। 

मुश्किलें किसी भी रुप में आ सकती हैं। हो सकता है कि तुम किसी खास एग्जाम में फेल कर जाओ, किसी अच्छे फ्रेंड को खो दो या किसी चीज़ में सेलेक्ट ना हो, जैसे- मेरे लिए क्रिकेट टीम में। 

कभी-कभी, ये थोड़ा पर्सनल भी हो सकता है, जैसे – किसी फैमिली इश्यू या हेल्थ प्रोब्लेम से डील करना। ये एक वीडियो गेम खेलने जैसा है, जहां हर एक लेवल बहुत मुश्किल होता जाता है लेकिन तुम फिर भी खेलते रहते हो। और जब तुम्हें लगे कि अब तो मैं इस लेवल में मास्टर हो गया हूं, तब ही बूम! वहीँ से दूसरी फाइट शुरू होती है। 

हर कोई इन चुनौतियों का सामना करता है। हमारी हिस्ट्री की बुक्स ही देख लो- इंडिया को खुद ही अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ा। आजादी कि लड़ाई से लेकर पैसों की कमी पर काबू पाने तक, हर मुश्किल समय ने हमें मजबूत बनाया है। 

यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे हर बॉलीवुड हीरो को कोई विलन, दिल टूटने या किसी और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है, इससे पहले कि वो हीरोइन के साथ बारिश में नाचे और अंत में सब कुछ ठीक हो जाए!

तुम्हें बस यही करना है ..

लेकिन अंत में जो बात मायने रखती है, वह यह है कि हम इनका सामना कैसे करते हैं, है ना? अर्जुन के बारें में सोचता हूँ । वो मेरा बेस्ट फ्रेंड है। वो इंडिया के बेस्ट कॉलेज में एडमिशन लेना चाहता था और वो इंट्रेस एग्जाम के लिए बहुत मेहनत भी कर रहा था। लेकिन इतनी मेहनत करने और टाइम देने के बाद भी, उसे वो रैंक नहीं मिली, जिसकी उसे उम्मीद थी। वो भी मेरी बहुत तरह परेशान हुआ था। 

मुझे याद है कि वह कितना दुखी था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। इसके बजाय, उसने उसे अपनी हार को  अपनाया। उसकी मम्मी ने ने उसे तब यही समझाया था – जैसा आ मुझे पापा ने कहा। 

मतलब यह है की हमे यह ekcept  करना है कि लाइफ में चीजें जब कठिन होते हैं तो निराश होना ठीक है। रोना, किसी से बात करना, बुरा महसूस करना – यह सब इस प्रोसेस  का हिस्सा है। 

हमारी पूरा फ्रेंड ग्रुप अर्जुन के लिए कितना सर्पोटिव था। हमने उसे चीयर्स किया, और उसे याद दिलाया कि उसे वो अपने कोर्स के कर कितना उत्साहित था , और कई बार बस उसकी बात दिल से सुनीं। 

मुझे लगता है कि यह बात मुझे भी याद रखना चाहिए। एक सपोर्ट सिस्टम का होना बहुत जरूरी है। मेरे फ्रेंड्स और फैमिली मेरी टीम है। वो मेरी बात सुनते हैं, सलाह देते हैं, या कभी-कभी मजाकिया वीडियो या चाय के दौरान बातचीत से मेरा ध्यान भटका देते हैं। वे सब कुछ थोड़ा आसान बना देते हैं।

आगे बढ़ना… 

और अर्जुन सिर्फ यहीं नहीं रुका। उसने अपने टीचर्स से फीडबैक मांगा और अपनी कमजोरियों पर काम किया। इससे वो एक बेहतर स्टूडेंट और इंसान बन गया। शायद मैं भी ऐसा कर सकता हूं। हर असफलता से हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। हो सकता है, यह मेरा मौका हो अधिक मजबूत बनने का या अपने बारे में कुछ नया जानने का।

मुसीबतें बॉलीवुड फिल्मों के प्लाट तरह होती हैं, जिसमें उतार-चढ़ाव होते हैं। ये उतार-चढ़ाव कहानी को मज़ेदार बनाते हैं और अंत में हीरो को और भी मजबूत बनाते हैं। इसके बिना फिल्म काफी बोरिंग होगी, है ना? यही बात लाइफ पर भी लागू होती है। चुनौतियों के बिना, हम ना तो सीख पाएंगे, ना ही आगे बढ़ पाएंगे और ना ही मजबूत बन पाएंगे। 

तो, यह है मेरा प्लान। मैं यहाँ बैठकर सिर्फ उदास नहीं रहूँगा। मैं अब एक्शन लेने जा रहा हूं। मैं कोच से फीडबैक मांगूंगा और चीज़ों को बेहतर बनाने पर काम करूंगा। मैं अपने लिए छोटे-छोटे, हासिल करने लायक लक्ष्य तय करूंगा- जैसे कि अपनी बैटिंग में सुधार करना, अपने स्टैमिना को बढ़ाना और शायद ज्यादा प्रैक्टिस के लिए किसी लोकल क्लब में शामिल होना। छोटे कदम, लेकिन ये मुझे आगे बढ़ने का अहसास दिलाएंगे, न कि सिर्फ एक ही जगह पर फंसे रहने का।

मजेदार साइड

और पता है कभी-कभी, हमें बस हंसना पड़ता है। जब चीजें गलत हो जाती हैं, तो हंसने से सब कुछ थोड़ा नॉर्मल बन सकता है। शायद मैं भी इसमें मजेदार पहलू ढूंढ सकता हूँ। जब चीजें कठिन होती हैं, तब भी हंसना मूड को हल्का कर सकता है और स्ट्रेस को कम कर सकता है। 

आखिरकार, अर्जुन को भी एक बेहतरीन कॉलेज में एडमिशन मिल गया था और उसने इस दौरान बहुत कुछ सीखा। वो अपने सपनों के कॉलेज में तो नहीं पहुंच पाया लेकिन उसने अपनी राह दिख गयी। शायद मैं भी अपनी उम्मीद ढूंढ सकता हूँ। यह एक असफलता मुझे डिफाइन नहीं करती है बल्कि ये तो मेरे सफर का केवल एक हिस्सा है।

तो यह हूँ मैं – इस रोलरकोस्टर जैसी ज़िंदगी को संभालते हुए। और भी उतार-चढ़ाव होंगे, और भी ट्विस्ट एंड टर्न होंगे लेकिन मैं जितना सोचता हूं, उससे कहीं ज्यादा मजबूत हूं, और मेरी लाइफ में रुकावट बनने वाली हर मुसीबन मुझे उस व्यक्ति के रूप में ढाल रहा है, जो मैं बनना चाहता हूं। और जैसे मैं अर्जुन के लिए मौजूद था, वैसे ही मैं अपना भी ख्याल । क्योंकि अगर अंत में सब कुछ ठीक ना हो तो समझ लेना… पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

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