‘वह ऐसा क्यों कर रही है?’
माही (14) की सबसे अच्छी दोस्त टिया, उसके साथ अजीब बर्ताव कर रही है और उसे नए दोस्त नहीं बनाने दे रही है।और माही को समझ नहीं आ रहा है की वो ऐसा क्यों कर रही है! उसने अपनी डायरी टीनबुक से शेयर की।

प्रिय डायरी,
तुम्हे तो पता है कि टिया मेरी कितनी अच्छी दोस्त है। पर कुछ समय से मै हमारी दोस्ती को लेकर बहुत तनाव में हूँ। मै एक अच्छी दोस्त बनने की जितनी भी कोशिश करूँ, वो मुझे बुरा महसूस कराने का कोई ना कोई तरीका ढूंढ ही लेती है।
बात का बतंगड़
हाँ मै जानती हूँ कि वो मुझे लेकर हमेशा से थोड़ी पोसेस्सिवे रही है, पर जबसे हम अलग अलग सेक्शन में गए हैं तबसे तो जैसे बात और भी ज़्यादा बिगड़ गयी है। ऐसा लगता है मैं उसे बुरा महसूस कराए बिना नए दोस्त भी नहीं बना सकती।
क्योंकि हम अब अलग अलग सेक्शन में हैं, हम दोनों के नए दोस्त बन गए हैं। पर मै जब भी अपने दोस्तों से बात करती हूँ या उनके साथ बाहर जाती हूँ तो वो मुझसे नाराज़ हो जाती है, और मुझे बुरा भी महसूस कराती है ये कह कर कि उसकी ज़रूरत के समय में मै उसके साथ नहीं थी।
उसने मुझसे ये तक कह दिया कि मै अपने नए दोस्तों के लिए उसे छोड़ने की कोशिश कर रही हूँ। ये बात मुझे बहुत बुरी लगी। वह हमेशा ऐसा करती है और यह ठीक नहीं है।
कुछ ज़्यादा हो गया?
मैं हमेशा से थोड़ी शर्मीली रही हूँ, वहीं दूसरी तरफ़ टिया बहुत आसानी से नए दोस्त बना लेती है। पर जब मैंने उसे बताया कि मैं उसके दोस्तों के साथ बात नहीं कर पाती तो उसने मुझे ये कह कर टाल दिया कि मै इनसेक्योर हूँ और ज़्यादा सोच रही हूँ। तो जब तुम ऐसा कहती तब ये सही क्यों? मैं परेशान हो गयी हूँ।
उसके बाद मैंने सोचा कि मै उससे इस बारे में कोई बात नहीं करूंगी, शायद उससे ये मामला शांत हो जाए। पर ऐसा नहीं हुआ, जब हमारी अगली बार बात हुई (हाँ, क्योंकि वो अपने दोस्तों के साथ व्यस्त थी) तो उसने सारा इलज़ाम मुझ पर डाल दिया, ये कह कर कि मैं उसे एक हफ्ते तक भूल गयी थी।
अब क्या?
उसके हिसाब से मै हमारी दोस्ती की बिल्कुल परवाह नहीं करती और बस उससे छुटकारा पाने की कोशिश कर रही हूँ। मैं अब इन सब इल्ज़ामों से निराश हो चुकी हूँ। मैं कुछ भी करूँ अंत में गलती हमेशा मेरी ही होती है।
लेकिन मैं अपनी सबसे अच्छी दोस्त को नहीं खोना चाहती। मुझे नहीं समझ आ रहा कि मैं क्या करूँ!
सोच रही हूँ माँ से इस बारे में बात करूँ। वह मुझे और टिया को बचपन से जानती है। शायद वह इस झुंझलाहट वाली स्थिति से निकलने में मेरी मदद कर पाएं!
कुछ दिन बाद….
अच्छा हुआ मैंने माँ से इस बारे में बात की! माँ मेरे दोस्तों के बारे में सब जानती है इसलिए उनसे इस बारे में बात करना आसान था। माँ ने मुझे समझाया कि टिया दिल की बुरी नहीं है, पर वो मुझे किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहती। इसलिए जब मैं दूसरों से बात करती हूँ वो बात बढ़ाकर मुझसे लड़ाई कर लेती है।
और इस बात का हल का हल हम आपस में बात कर के ही निकाल सकते हैं।
मैंने टिया से बात की और उसे समझाया कि अगर मेरे नए दोस्त बनते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उसकी मेरी लाइफ में उसकी एहमियत कम हो जाएगी। मैंने उसे बताया कि वो अभी भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है पर इन सब लड़ाइयों से हम बस दूर हो रहे थे और कुछ नहीं।
इस बात-चीत को एक हफ्ता हो गया है और चीजें पहले से बहुत बेहतर हैं। हम बिलकुल पहले की तरह करीब हो गए हैं और अपने नए दोस्तों के साथ भी बहुत खुश हैं। थैंक गॉड या फिर कहूँ थैंक यू माँ!

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