क्या आप जनरेशन Z के हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि जनरेशन Z को जनरेशन Z क्यों कहा जाता है? अगर आप 1990 से 2010 के बीच पैदा हुए हैं, तो यह आर्टिकल खास आपके लिए हमारी टीम की जनरेशन Z राइटर – श्रेया मिश्रा ने लिखा है!
क्या आप जूमर हैं?
1990 से लेकर 2010 के बीच पैदा हुए लोगों को जनरेशन Z या जूमर्स भी कहा जाता है। वे चाहें 11 साल के हों या 34 साल के, कूल नेचर और स्मार्टनेस के मामले में सब एक जैसे हैं!
यह प्रभावशाली लोगों की पीढ़ी है। हम नई चीजों का निर्माण करते हैं, प्रेरित करते हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि हम पहल करने में आगे रहते हैं! चाहे बात समलैंगिक अधिकारों की हो या फिर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की, यह पहली पीढ़ी है जिसकी डिक्शनरी में “शरमाने” जैसा शब्द ही नहीं है, क्योंकि यह पीढ़ी जानती है कि जरूरी क्या है। हम अपनी आवाज वहीं उठाते हैं जहां आवाज उठाना जरूरी होता है, भले ही हमें इसके लिए ड्रामेबाज़ कहा जाता है। इन सभी जरूरी मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक और बेहतर तरीके से उपयोग करना, कोई जनरेशन z से सीखे!
दोनों पीढ़ियों का सुख
बेशक, हम टेक्नोलॉजी पर बहुत अधिक निर्भर हो सकते हैं लेकिन ईमानदारी से कहा जाए, इस कोविड महामारी के दौरान आखिर कौन इस पर निर्भर नहीं था? आखिरकार, यह वह ज्ञान है जो तब काम आया जब बूमर्स (1946–65 के बीच पैदा हुए लोगों) को क्वारंटाइन के कारण सब कुछ ऑनलाइन करने में हमारी मदद की ज़रूरत पड़ी!
अगर हम पीछे मुड़कर देखें, तो हम ऐसे जनरेशन से हैं जिन्हें दोनों पीढ़ियों की कई अच्छी चीजें मिली हैं। हमने बचपन में बारिश और धूल मिट्टी में बाहर खेला भी है और फिर अपनी किशोरावस्था के समय फोन और टैबलेट का भी इस्तेमाल करने लगे।
जब आपसी संवाद की बात आती है, तो हम लोग हर बार कॉल की बजाय टेक्स्ट या मैसेज को प्राथमिकता देते थे लेकिन इस महामारी के बाद? अब शायद उतना नहीं। यह सच है कि हम कॉल या आमने-सामने बातचीत करने से बचते हैं, लेकिन लगातार दो साल तक अपने घर के अंदर बंद रहने से अब हम बस इसी चीज के लिए तरस रहे हैं।
आलसी होकर भी सब काम करते हैं
जिस जनरेशन को स्कूल के लिए सुबह जल्दी जागना पसंद नहीं था, वह अब स्कूल फिर से खुलने का इंतजार कर रही है। क्योंकि ऑनलाइन कक्षाओं में नाश्ता करने में वो मज़ा कहां है जो स्कूल में बिना किसी को बताए छिप के खाने का है।
हमारी पीढ़ी को लोग आलसी और निराश लोगों की पीढ़ी कहते हैं और बेशक हम टाल मटोल भी खूब करते हैं! लेकिन इसके बावजूद भी हम काम पूरा करते हैं…करते हैं कि नहीं? हम काम में देरी करते हैं लेकिन हम मल्टीटास्किंग द्वारा इसकी भरपाई भी करते हैं।
हम अपने मूड के अनुसार काम करते हैं और फिर भी हमेशा काम को समय पर पूरा करते हैं। हम इस तेजी से बदलती दुनिया में किसी और की तुलना में तेजी से बदलाव में ढल जाते हैं और फिर उसके हिसाब से ढलने की कोशिश करते हैं!
इसलिए हम कभी-कभी देर से उठ सकते हैं, लेकिन जो मायने रखता है उसके लिए हम लड़ेंगे और ये तो बहुत बढ़िया बात है ना!