‘काश उसने हमसे बात की होती’
रिद्धिमा अपने सहपाठी विहान के बारे में अपने दोस्तों को बताती है जिसने कई विषयों में फेल होने के बाद खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश की।
सब ठीक है न?
रिद्धिमा (14) दोपहर के भोजन के लिए स्कूल कैंटीन गई और अपने दोस्तों को खोजने के लिए इधर-उधर देखा। उन्हें दूर कोने में बैठा हुआ देखकर उसने भीड़ में से अपना रास्ता बनाया और जाकर दोस्तों द्वारा अपने लिए सुरक्षित रखी गयी सीट पर बैठ गई।
उसके सहपाठी, शिवेन, आर्यवीर, अनिका और प्रिशा अपना लंच खाते मस्ती मज़ाक कर रहे थे कि उन्होंने देखा कि रिद्धिमा खाने को छू भी नहीं रही है। शिवेन पूछ बैठा, ‘क्या हुआ रिद्धि, खाना क्यों नहीं खा रही हो, सब ठीक है न?’
रिद्धिमा ने जवाब दिया, ‘मैंने अभी काउंसलर के ऑफिस में विहान के पैरेंट्स को देखा और मुझे उसके लिए बुरा लग रहा है।’
प्रिशा ने पूछा, ‘क्यों, उसने क्या किया? उसे दो सप्ताह से क्लास में नहीं देखा, वह तो बीमार था न?’
रिद्धिमा ने दुखी होकर जवाब दिया, ‘नहीं प्री, उन्होंने खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश की क्योंकि वह कई सबजेक्ट्स में फेल हो गया था। मम्मा ने कल रात उसकी मम्मी से बात की थी और वह रो रही थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और दो दिन पहले वह घर वापस आ गया है।’
इस विषय पर यह वीडियो ज़रूर देखिये मदद के लिए; बाकी का आर्टिकल इस वीडियो के बाद:
मुझे भी बुरा लगता
टेबल पर मौजूद सभी लोग शांत हो गए और एक लंबी चुप्पी के बाद आर्यवीर ने कहा, ‘बाप रे, यह कठिन है! लेकिन इतना तनाव क्यों लें? मेरा मतलब है कि कुछ भी आपके जीवन से ज्यादा ज़रूरी नहीं है?’
अन्निका ने कहा, ‘मैं विहान के लिए बुरा महसूस कर रही ही लेकिन उसने जो किया वह क्यों किया?।’
‘अगर मैं यह कहूँ कि मेरे ग्रेड ख़राब होंगे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा तो मैं झूठ बोलूँगी। मैं परेशान तो बहुत रहूँगी लेकिन कभी भी किसी चीज़ के लिए ख़ुद को चोट नहीं पहुंचाऊँगी’, प्रिशा ने धीरे से कहा।
शिवेन ने कहा, ‘इसके अलावा, मुझे चिंता है कि अगर मैं असफल हो गया तो मेरे मम्मी पापा की क्या प्रतिक्रिया होगी। मैंने एक बार मैथ टेस्ट में बहुत बुरा किया और वे घबरा गए। मुझे तीन महीने के लिए ट्यूशन में डाल दिया। मेरी फ़ुटबॉल क्लास कम हो गईं।’
‘शुक्र हैं दादू ने उनसे कहा कि इस बात को इतनी इम्पोर्टेंस मत दो और पापा को याद दिलाया कि वह हिस्ट्री में हमेशा असफल रहे थे! यह अच्छा रहा और तब से मेरे माता-पिता कम सख्त हैं’, उसने एक कमजोर मुस्कान के साथ आगे जोड़ा।
शिवेन की कहानी ने सभी को थोड़ा खुश किया।
शायद कुछ मदद हो
रिद्धिमा बोली, ‘मैं मीता मैम को विहान के पैरेंट्स से कहते सुना कि स्कूल छात्रों और उनके माता-पिता के लिए एक काउंसलिंग सेशन करेगा, जिसमें परीक्षा के तनाव को कैसे झेला जाये यह सुझाव दिए जाएँगे। इससे काफी हेल्प होगी। तुम लोगों को क्या लगता हैं?’
आर्यवीर ने सहमति व्यक्त की, ‘हाँ, हममें से किसी के भी जीवन में एक कमजोर पल आ सकता था जब हम कुछ गलत कर सकते थे। मैं तो यह सोच भी नहीं सकता कि विहान कितना स्ट्रैस में और अकेला महसूस करता होगा। काश उसने हमसे बात की होती। हम शायद उसकी कुछ मदद कर पाते।’
‘आओ एक दूसरे से वादा करें कि जब भी हम बुरा महसूस करेंगे तो एक दूसरे से बात करेंगे, चाहे कैसी भी दिक्कत हो! प्रॉमिस?’ रिद्धिमा ने हाथ बाहर निकालते हुए कहा।
टेबल पर मौजूद सभी लोग मुस्कुराए और रिद्धिमा के हाथों पर हाथ रखा।
‘चलो स्कूल के बाद विहान के घर भी जाते हैं और अगर उसके पैरेंट्स जाने दें तो उसे लेकर खेलने जाएंगे’, रिद्धिमा ने कहा, जिस पर सबने सिर हिलाया। तभी घंटी बजी और सारे दोस्त अपनी क्लास की ओर निकल पड़े।
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