जंक फ़ूड इतना अच्छा क्यों लगता है?
भले ही हम में से कुछ ने घर पर फ्रेंच फ्राइज़, नूडल्स, मोमोज सामान बनाना सीख लिया हैं, पर अभी भी सड़क के किनारे उस गोलगप्पे वाले को याद करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हम जंक फूड को इतना क्यों पसंद करते हैं? आइये पढ़ते हैं इसके पीछे का विज्ञान!
जंक फूड इतना एडिक्टिव क्यों है?
- जंक फूड का स्वाद, उसकी खुशबू और उन्हें खाने का वो एहसास, जिसे ‘ओरोसेंसेशन’ भी कहते हैं, ही उन्हें और भी स्वादिष्ट बनाता है। जंक फूड वैज्ञानिकों (ज्यादातर फ़ूड कंपनियों द्वारा नियोजित) द्वारा डिज़ाइन किया जाता है जो आलू के चिप्स के सही क्रंच, आपके सोडा में मिठास और फ़िज़ की सही मात्रा और आपके पिज्ज़ा पर चीज़ की एकदम सही मात्रा को खोजने के लिए घंटों बिताते हैं!
- ज़्यादातर जंक फूड में नमक, चीनी, और ट्रांस फैट की अधिक मात्रा होती है जिनकी वजह से हमारे दिमाग में डोपामीन और ऑक्सीटोसिन नाम के न्यूरोट्रांसमिटर रिलीज़ होते हैं। ये न्यूरोट्रांसमिटर हमे ख़ुशी और आराम का एहसास दिलाते हैं जिसकी वजह से हम बार बार जंक फ़ूड के पास खींचे चले आते हैं। भले ही उनमे पोषण के नाम पर कुछ भी न हो!
- इसमें खाने का रंग रूप भी मायने रखता है। क्या आपने देखा है की केचप कितना लाल और उनकी सब्जिओं का रंग कितना अच्छा होता है? ऐसा वो इन सब में नकली रंग मिलाकर करते है जिसकी वजह से हमारा दिमाग इनको अच्छे खाने की तरह देखता है। आप क्या पसंद करेंगे – एक अच्छा बड़ी सुन्दर नारंगी या फिर काले धब्बों वाली जो सब्ज़ी वाले से लाते हैं?
- जंक फ़ूड हमारे दिमाग को ये सोचने पर मजबूर करता है कि हमे सही मात्रा में पोषण और ताकत मिल गई है पर इतना नहीं कि हम पूरी तरह से संतुष्ट महसूस करें। ये हमारी ‘क्रेविंग्स’ का कारण बनती हैं जिसकी वजह से हम पता लगने से पहले चिप्स का पूरा पैकेट खत्म कर देते हैं!
- जब हम जंक फूड खाते हैं, हमारा दिमाग ये रजिस्टर कर लेता है की हमने इसे खाकर कैसा महसूस किया। तो जब आपके सामने वो खाना दोबारा आता है तो आपका दिमाग आपको वही याद दिलाता है और ये सोचकर ही आपके मुँह में पानी आ जाता है। और आप वो जंक फ़ूड बार बार खाना चाहते हैं।
- और सबसे आखिर में है इस खाने की बनावट। ये जंक फ़ूड ज़्यादातर हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाने वाली चीज़ों से बना होता है जैसे वो सॉफ्ट बन, तीखा सॉस या वो खस्ता समोसा। इससे आपका दिमाग उत्तेजित होता है और आप आसानी से इस खाने से बोर नहीं होता।
लेकिन नुकसान क्या है?
हाँ हम जानते हैं कि इस खाने की लत लग जाती है। लेकिन फिर भी आपके शरीर के साथ-साथ आपके दिमाग को भी खुश करने में क्या हर्ज है? पर इसका फायदा क्या है! जंक फूड का काम सिर्फ आपके दिमाग को बेवकूफ़ बनाना है और यह सब आपके शरीर को नुकसान पहुँचाता है। ऐसे:
- रीसर्च हमे बताती है कि जंक फ़ूड हमें इम्पल्सिव बनाता है! इसका मतलब है कि लंबे समय तक शक्कर और नमकीन खाना खाने से लोग आसानी से किसी भी चीज़ के लालच में आ जाते है और टीनएजर्स के लिए नियमों का पालन करना कठिन हो जाता है।
- अतिरिक्त जंक फूड के सेवन से दिमाग के उस हिस्से में भी सूजन आ जाती है जिसे हिप्पोकैम्पस कहा जाता है। क्षतिग्रस्त हिप्पोकैम्पस वाले लोगों को बहुत अधिक मात्रा में भूख लगती है, जिसके कारण वे अधिक जंक फूड खाते हैं!
- जंक फूड हमारे दिमाग की सीखने की क्षमता को कम करने के लिए भी जाना जाता है। न्यूरॉन्स हमारे दिमाग को याद रखने और बनाने में मदद करते हैं और जंक फूड कनेक्शन बनाने के लिए न्यूरॉन्स की क्षमता को कम कर देता है। यह हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स बनाने की क्षमता को भी कम करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं।
- ज़्यादा जंक फूड हमें अस्वस्थ और मोटा कर सकता है, जिससे पाचन तंत्र की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं दिल की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है।
कम जंक फूड खाने के लिए क्या कर सकते हैं?
सबसे ज़रूरी ये जानना है कि घर का खाना भी स्वादिष्ट हो सकता है। और ऐसा स्वस्थ खाना खाने से आपका मन और पेट भी भरेगा और आपको जंक फ़ूड खाने का मन भी नहीं करेगा। जंक फ़ूड कम करने से उसे छोड़ना और अच्छा खाना खाना और भी आसान होगा।
घर का बना मलाईदार सॉस और डिप्स के साथ कुरकुरे खीरे, फ्रूट चाट और भुनी हुई नमकीन जैसी चीज़ों से आपकी कुछ अलग और अच्छा खाने की क्रेविंग का इलाज हो सकता है। इसी तरह अपने मनपसंद जंक फ़ूड को घर पर हेल्थी चीज़ों से बनाकर आप अपनी जंक फ़ूड की कमी को पूरा कर सकते हैं!
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