जब शेर सचमुच आ गया!
आप में से कई लोगों ने ‘शेर आया शेर आया’ वाली कहानी सुनी होगी, जिसमे एक लड़का मारा जाता है क्योंकि कोई उसकी मदद के लिए नहीं आता। अब सुनिए यही कहानी एक टीनबुक तड़के के साथ!
Photo: Shutterstock/A_ModelHouse/Person in the photo is a model.
बस एक मज़ाक?
प्रणव (15) की आज की प्रैक्टिस पूरी हो चुकी थी, इसलिए उसने अपने दोस्तों से मज़े लेने का फैसला किया।
“आज मेरी प्रैक्टिस के लिए मेरा गिटारिस्ट नहीं आया, क्या तुम लोग मेरी मदद कर दोगे?” प्रणव ने कृति और राजू से झूठमूठ पूछा।
उसके दोस्त उसकी मदद के लिए ख़ुशी ख़ुशी मान गए। पर जैसे ही वे स्टेज के पास पहुँचे, वो वहाँ प्रणव के गिटारिस्ट से टकरा गए।
“प्रणव, तुमने हमें क्यों बुलाया? तुम्हारा गिटारिस्ट तो पहले से ही यहाँ पर प्रैक्टिस कर रहा है”, राजू ने पूछा।
“तुमने मेरे मज़ाक को सच मान लिया…” प्रणव ने ज़ोर से हँसते हुए कहा, “तुम्हे ऐसा क्यों लगा कि मैं मदद के लिए तुम दोनों को बुलाऊंगा?”
“हमे लगा कि तुम्हे सच में हमारी मदद की ज़रूरत है”, कृति ने जवाब दिया, जो अभी भी थोड़ा हैरान थी।
“हाहाहा… मैं मज़ाक कर रहा था। मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए, तुम इतना अच्छा गिटार भी नहीं बजाते।”
कृति और राजू को सच में प्रणव का व्यव्हार बहुत खराब लगा। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि प्रणव को ये सब मज़ाक लगा और उसने उनका ऐसे अपमान किया।
हमेशा झूठ?
कुछ हफ्तों बाद, प्रणव के ट्यूशन टीचर ने उन्हें अपने दोस्तों, कृति और अधिराज को गणित के टर्म टेस्ट के सिलेबस के बारे में बताने के लिए कहा, जो अगले हफ्ते होने वाली थी।
“ठीक है मैम, मैं उन्हें सिलेबस के बारे में बता दूँगा”, प्रणव ने कहा।
तभी प्रणव को फिर ठिठोली सूझी। उसने सोचा कि अगर वो अपने दोस्तों को कुछ उलट सुलट बतायें, तो शायद उनकी तैयारी कम हो और वो इस टेस्ट में उनसे अच्छे अंक ले आए!
“दोस्तों, मैम ने कहा कि गणित टेस्ट के लिए पाठ ट्रिग्नोमेट्री और मेंसुरेशन तैयार करना है। इन्हे पढ़ना मत भूलना!” प्रणव ने झूठ बोला।
कृति और अधिराज ने उस पर भरोसा कर लिया।
परीक्षा के दिन, जब सभी छात्रों ने पेपर लिखना शुरू किया, तो कृति और अधिराज के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी। उन्होंने प्रणव को उनपर हँसते देखा। कृति और अधिराज मैम से शिकायत भी नहीं कर सके क्योंकि उन्हें लगा की उनकी टीचर इसे उनका बहाना समझेंगी।
परीक्षा के बाद, कृति ने प्रणव को रोका। “प्रणव, तुम ऐसे ही मज़ाक करते रहो और धीरे धीरे तुम अपने सब दोस्त खो दोगे।और मेरा टेस्ट ख़राब करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद”, उसने गुस्से से कहा।
“प्रणव, झूठ बोलने की तुम्हारी इतनी आदत हो गयी है कि तुमने हमारे टेस्ट का भी मज़ाक बना दिया”, अधिराज ने दुखी हो कर कहा।
“ओह हो! तुम लोग तो मज़ाक भी ठीक से नहीं ले पाते!” प्रणव हँसते हुए अपने दोस्तों से दूर चला गया।
वो बचपन की कहानी
शाम को प्रणव ने अपनी बड़ी बहन प्रेरणा को पूरी घटना सुनाई।
“कितना मज़ेदार है ना दीदी! वो हर बार मेरे झूठे मज़ाक में फँस जाते हैं!” प्रणव ने खिलखिलाते हुए कहा।
प्रेरणा हैरान रह गयी। न केवल उसका भाई अपने दोस्तों की समस्याओं का मज़ाक उड़ा रहा था बल्कि उसे ये सब मज़ेदार भी लग रहा था!
उसने प्रणव को अपने दोस्तों के प्रति इस बुरे बर्ताव के लिए खूब डाँटा और फिर उसे “शेर आया शेर आया” की प्रसिद्ध कहानी के बारे में बताया, जहाँ एक लड़का हर समय झूठ बोलता था कि उसे मारने के लिए एक शेर आ रहा है। हर कोई उस पर विश्वास करता और उसके बचाव में आता फिर वो उनका मज़ाक उड़ाता। पर एक दिन जब शेर सच में आया तो किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया और इसलिए कोई भी उसे बचाने नहीं आया।
प्रणव ने कहानी बारें में सोचा और अपने सभी दोस्तों से, अपनी गलतियों को स्वीकार करके, माफी माँगने का फैसला किया। उसने अपने कुछ करीबी दोस्तों के लिए एक केक खरीदने की भी सोचा।
जब शेर आ ही गया
प्रणव ने अपनी साइकिल ली और पड़ोस के बेकरी के लिए निकला। जैसे-जैसे वह आगे, उसने एक कार को बढ़ती गति से अपनी ओर आते देखा।
इससे वह अपना संतुलन खो बैठा और जमीन पर गिर पड़ा। उसके घुटने और कोहनी पर चोट लगी थी।
कृति और राजू उसके घर के पास ही रहते थे। लेकिन वह उनसे मदद मांगने में हिचकिचा रहा था क्योंकि उसे लगा कि वे उस पर भरोसा नहीं करेंगे।
उसने मदद के लिए अपनी बहन को फोन किया। प्रेरणा ने उसे बताया कि वह कॉलेज में है और उसे लौटने में कुछ समय लगेगा, उसने सुझाव दिया कि वह तब तक अपने दोस्तों को बुलाए।
“लेकिन क्या वे मुझ पर विश्वास करेंगे दीदी? मैंने हमेशा उनसे झूठ बोला है और उन्हें ये लगेगा कि मैं फिरसे उनके साथ मज़ाक कर रहा हूँ”, प्रणव ने भरी आवाज़ के साथ पूछा।
“चिंता मत करो और एक बार कोशिश करो। मुझे यकीन है कि वे समझ जाएंगे”, उसकी बहन ने जवाब दिया।
प्रणव ने राजू को फोन किया और अपनी समस्या के बारे में बताया।
उसने कहा, ”मुझे पता है कि अभी मुझ पर विश्वास करना तुम्हारे लिए मुश्किल हो सकता है। लेकिन मैं सच में दर्द में हूँ। और मैं हिल भी नहीं पा रहा हूँ। क्या तुम आकर मेरी मदद कर दोगे?”
“तो प्रणव, आज सच में शेर आ ही गया!” राजू ने कहानी का जिक्र करते हुए कहा। “लेकिन चिंता मत करो, मैं तुम्हे निराश नहीं करूँगा। मैं जल्दी वहाँ आता हूँ”, उसने कहा और जल्दी से प्रणव की मदद के लिए निकल गया।
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