डिप्रेशन के बारे में बात ही नहीं करता कोई!
मुझे समझ नहीं आता कि जब भी मैं कहती हूँ की मुझे डिप्रेशन है तो मेरी फैमिली हमेशा ये क्यों बोलती है कि तुम कल ठीक हो जाओगी। वहीं जब मुझे फीवर होता है, तो तुरंत मुझे डॉक्टर के यहां लेकर जाते हैं? ये बाते सलोनी ने अपनी डायरी के साथ शेयर की हैं। क्या आपके पास इसका जवाब है?
डियर डायरी,
हर कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद ही उदास नहीं होता! और भी गम हैं ज़माने में ना! कुछ लोगों को तो यह भी पता नहीं होता की वो क्यों उदास हैं!
हम कई बार अपनी उदासी को छुपा लेते हैं या कई बार छुपाने की कोशिश करते हैं ताकि हम क्यों उदास है, इस बारे में किसी को भी ना बता पाएं। हम सोच लेते हैं कि इससे अच्छा तो चुप रहना ही है।
हम सब अपने घर को बहुत सुंदर बनाना चाहते हैं लेकिन हम ऐसा अपने इमोशन के साथ क्यों नहीं करते? हम क्यों नहीं सोचते कि हमारे इमोशन भी सुंदर हो। अब चाहे हमारे इमोशन गुस्सा वाले हो, खुशी वाले हो, बैचेनी वाले हो या इससे भी बुरे हो। कभी-कभी तो हम ये भी नहीं समझ पाते कि हम कैसा महसूस करे रहे है। जब मुझे बुरा महसूस होता है तो मेरे हाथ हिलने लग जाते हैं और ये मेरे लिए मेरे इमोशन दिखाने का तरीका है।
बात करना अच्छा नहीं लगता
जब भी मैं थोड़ा डाउन महसूस करती हूं, या मुझे लगता है कि लोग मेरे बारे में बात बना रहे हैं, या मेरा मजाक बना रहे हैं या मेरे अकेलेपन का मजाक उड़ा रहे हैं। वे मुझसे हमेशा पूछते है कि मैं क्यों इतना उदास रहती हूं और मजे नहीं करती। मुझे अपने बारे में बहुत अजीब महसूस होता है, जैसे- मैं कोई सबसे बेकार लड़की हूं, जो किसी से बात नहीं करना चाहती है या किसी के साथ मुस्कुराना नहीं चाहती है। मुझे अब भी नहीं पता कि मैं अपने आप को कैसे एक्सप्रेस करुं, और तब भी मुझ पर लोग ब्लेम करते हैं। मैं उन सबके सामने बहुत छोटा महसूस करती हूं, जिनके बारे में लगता है कि वो परफेक्ट हैं।
लेकिन क्या वो खुश हैं या खुश होने का नाटक करते हैं? हां बिल्कुल, वो खुश नहीं है लेकिन खुश होने का नाटक करते हैं लेकिन मुझे लगता है कि उनका मजाक क्यों उड़ाना? क्या डिप्रेशन में होना गलत है? क्या ओके ना होना गलत है? क्या वो चाहते हैं कि मैं भी अपने फीलिंग्स को छुपाऊं?
हां, वो कुछ बात करना चाहते हैं, लेकिन इस बारे में नहीं। वो खुद को सही मानते हैं। हालांकि वे अंदर ही अंदर दुखी भी हो रहे हैं लेकिन इसे दिखा नहीं रहे हैं।
“तुम ठीक हो जाओगी!”
आज कल जब हर छोटे से मुद्दे पर लोग इतनी बात करते हैं तो मेन्टल हेल्थ पर क्यों नहीं? लोग मुझे बेवकूफ या इडिएट क्यों बोलते हैं, जब भी मैं बोलती हूं कि मैं ठीक नहीं हू? मैं क्यों अपने लिए सॉरी महसूस करुं? क्यों मेरी फैमिली हर रोज मुझे बोलती है कि तुम कल ठीक हो जाओगी जबकि मुझे पता है कि मैं डिप्रेशन में हूं, लेकिन जब मुझे फीवर होता है, तब तो वो मुझे तुरंत डॉक्टर के यहां लेकर जाते हैं लेकिन तब क्यों नहीं जब मै ओके नहीं हूं?
हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हर कोई हेल्दी हो, जब उस बारे में बात ही ना हुई हो?
कॉन्फिडेंस का मतलब स्ट्रांग होना नहीं है
लेकिन मैं अपनी डायरी से कह सकती हूंः इस लाइफ में करने के लिए बहुत सी चीजें हैं। बस हमेशा खुद के लिए सही रहो और सच्चे रहो। कॉन्फिडेंस का मतलब यह नहीं होता है कि हम हर चीज का सामना बहुत स्ट्रांग बनकर करें जबकि कॉन्फिडेंस का मतलब होता है कि हम शांत रहें। हम नहीं जानना चाहते हैं कि हर समय कॉन्फिडेंस में कैसे रहा जाता है और ना ही हमें किसी को खुद से नीचे दिखाने की जरुरत है। फेक बनने की कोई जरुरत नहीं है।
बस खुद के साथ सच्चे रहो। हो सकता है कि बाकी लोग दूसरों के सामने अच्छा दिखने या दिखावा करने के लिए बन रहे हो लेकिन तुम खुद के साथ सही रहो। खुद को छोटी-छोटी चीजों से खुश रखो और हमेशा युनिक बनो।
तुम्हारी सलोनी
नाम बदल दिए गए हैं. यह लेख हमारे टीनबुक एडवाइजरी बोर्ड (टीएबी) के एक सदस्य द्वारा लिखा गया है। (टीएबी) क्या है और इसमें कैसे शामिल हों, इसके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया यहां क्लिक करें
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