कैसे कहें ‘ना’ बिना गिल्ट महसूस किए
कभी ऐसा लगा कि सबको हाँ करने के चक्कर में खुद पे ध्यान देना भूल गए? आर्यन के साथ भी यही हुआ—जब तक उसकी बहन ने उसे सच्चाई नहीं दिखाई! पढ़िए, कैसे उसने सीखा कि सीमाएँ तय करना बद्तमीज़ी नहीं, सेल्फ-केयर है, इस बार की फीलिंग्स एक्सप्रेस में!
यह उन हफ़्तों में से एक था जब हर चीज़ बस बढ़ती जा रही थी। स्कूल का काम, बास्केटबॉल प्रैक्टिस, और हिस्ट्री का टेस्ट—सबको मेरी ज़रूरत थी। ऊपर से मेरी बेस्ट फ्रेंड रिया को साइंस प्रोजेक्ट में मदद चाहिए थी और मेरा भाई ज़िद कर रहा था कि हम नई वेब सीरीज़ साथ में देखें । दिन खत्म होने तक, मैं बिल्कुल थक चुका था। दिमाग़ भी ठीक से काम नहीं कर रहा था।
उस रात, जब मैं थक कर बिस्तर पर गया, मेरी बड़ी बहन अदिति समझ गई कि कुछ गड़बड़ है। “सब ठीक है?” उसने पास बैठते हुए पूछा।
मैंने गहरी सांस ली, “बस बहुत थका हुआ हूँ, दीदी। ऐसा लग रहा है कि मैं कुछ भी ठीक से नहीं कर पा रहा। सबको मुझसे कुछ चाहिए और… मुझे ना कहना ही नहीं आता।”
अदिति मुस्कराई, “आह, ना कहने की कला! लगता है, तुम्हें इसे सीखने का समय आ गया है।”
ना बोलना इतना मुश्किल क्यों लगता है?
अगले दिन, हम चाय पी रहे थे, जब अदिति ने मुझे समझाया, “ना कहना मुश्किल लगता है, क्योंकि हमें लगता है कि इससे लोग हर्ट हो जाएंगे या हमें रूड समझेंगे,”। “लेकिन खुद ही सोचो, तुम खाली कप से किसी को पानी तो नहीं दे सकते न। अगर तुम हर बार हाँ कहते रहोगे, तो हर समय ऐसे ही थक जाओगे।”
उसकी बात सही थी। ना कहने का मतलब स्वार्थी होना नहीं था। इसका मतलब था कि मैं खुद का ख़्याल रख रहा था।
अदिति की ‘ना कहने’ की स्मार्ट टिप्स
अदिति ने मुझे बताया कि कैसे बिना बुरा महसूस किए ‘ना’ कहा जाए:
छोटी शुरुआत करो
“पहले छोटी-छोटी चीज़ों से शुरुआत करो,” उसने कहा। “अगर मम्मी खाने में मदद मांगें और तुम पढ़ाई कर रहे हो, तो कहो, ‘अभी नहीं, अपना काम ख़तम करने के बाद करता हूँ।’”
समय को बहाना बनाओ
“टाइम की कमी हमेशा एक अच्छा बहाना होती है,” अदिति बोली। “अगर कोई दोस्त तुमसे मदद मांगे और तुम्हारे पास समय ना हो, तो कहो, ‘मुझे बहुत काम है, अभी नहीं कर पाऊंगा।’” यह सीधे ‘ना’ कहने से बेहतर लगेगा।
‘प्लान B’ सुझाओ
जब रिया ने अचानक मॉल चलने के लिए कहा, तो मैंने कहा, “आज नहीं, लेकिन हम शनिवार को चलते हैं?” अदिति ने बताया कि यह तरीका दिखाता है कि तुम्हें फ़र्क़ पड़ता है, लेकिन तुम खुद को पहले रख रहे हो।
कनफिडेंस से बोलो
उसने मुझसे ना कहने की प्रैक्टिस करवाई। “ऐसे बोलो जैसे तुम सच में यही चाहते हो, बिना किसी गिल्ट के,ज्यादा सफाई देने की ज़रूरत नहीं।”
अब इसे आज़माने का समय था
अगले हफ़्ते, मैंने अदिति की ट्रिक्स अपनाई। जब मेरे छोटे भाई ने वीडियो गेम खेलने के लिए कहा, और मैं अपना स्कूल का काम पूरा कर रहा था, तो मैंने शांति से कहा, “अभी नहीं, डिनर के बाद।” उसने थोड़ा मुंह बनाया, लेकिन फिर अपने काम में लग गया। जब रिया ने फिर से मदद मांगी, तो मैंने ‘प्लान B’ वाला तरीका अपनाया।
कुछ ही दिनों में मुझे एहसास हुआ कि अब मेरे पास सांस लेने का समय था! मैं पहले जितना थका हुआ भी महसूस नहीं करता था।
ना कहना ज़रूरी क्यों है?
ना कहने से न तो दोस्त गए और न ही किसी ने बुरा माना। बल्कि, लोगों ने मेरी बात समझी, और मेरी सीमाओं की इज़्ज़त करनी शुरू कर दी। सबसे बड़ी बात, अब मैं खुद का बेहतर ख़्याल रख पा रहा था। मेरे पास वो करने का समय था जो मुझे पसंद था—चाहे वो नेटफ्लिक्स देखना हो या स्कूल के लिए शांति से तैयारी करना।
सीखने वाली बात
अगर तुम भी मेरी तरह थका हुआ महसूस कर रहे हो, तो याद रखो—ना कहना बिल्कुल ठीक है। छोटी शुरुआत करो, कॉन्फिडेंस रखो, और समझो कि यह स्वार्थी होना नहीं, बल्कि खुद की देखभाल करना है।
उस रात जब मैंने अपनी डायरी में लिखा, तो मैं हल्का, शांत और अपने ऊपर गर्व महसूस कर रहा था। अदिति सही थी—ना कहना भी एक कला है। और अब, मैं इसे मास्टर करने के लिए तैयार था।