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सुकून वाला कोना

अपने इमोशन्स को कैसे कंट्रोल करें?

अरे दिशा, आजकल मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। कभी-कभी मैं बहुत इमोशनल हो जाती हूं! आज जैसे मैने अपनी स्कूल बस मिस कर दी, अपना होमवर्क करना भूल गयी और अपने बेस्ट फ्रेंड से झगड़ ली – वो भी एक ही दिन में! मैं अपने इमोशन्स को कंट्रोल नहीं कर पा रही हूं! बहुत रोना जैसा आ रहा है! क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो? क्या तुम्हारे पास कोई टिप्स हैं या कोई पर्सनल एक्सपीरियंस? सिया, 16, दिल्ली। 

कैसे संभालें अपने इमोशंस

हेलो सिया, सबसे पहले तो खूब सारा प्यार क्यूंकि मैं खुश हूँ कि कम से कम तुमने अपने मानसिक स्वास्थ्य/मेंटल हेल्थ को समझा और अपनी परेशानी मुझसे शेयर की। इसका मतलब है कि तुम बिल्कुल सही रास्ते पर हो। 

तुम अकेली नहीं हो 

चलो, मैं तुम्हें अपनी स्टोरी बताती हूं। एक समय था, जब मेरे साथ भी बिल्कुल ऐसा ही होता था। मेरे मार्क्स कम होने लगे थे, मैं अपने फ्रेंड्स से दूर होने लगी थी और मुझे भी कुछ अच्छा नहीं लगता था। लेकिन मुझे कुछ ऐसा मिला जिसकी मदद से मैं अपने आपको खुश रखना सीख गई। तो चलो, ऐसे ही टिप्स मैं तुम्हें बताती हूं, जो तुम्हें खुश और स्वस्थ रखने में तुम्हारी मदद करेंगे। 

सांस – अंदर और बाहर 

हां, मुझे पता है कि मेडिटेशन और माइंडफूलनेस जैसे शब्द बोरिंग लग सकते हैं पर इससे डरने की कोई बात नहीं है। क्या तुमने कभी आराम से बैठकर सिर्फ सांस लेने पर फोकस किया है? हाँ ये सुनने में बोरिंग है पर मेरी बात मानो, इससे तुम्हें काफी अच्छा लगेगा। इसके अलावा मैं तुम से यूट्यूब का एक लिंक शेयर करती हूँ जिसमे यह करने का आसान तरीका बताया है, जो तुम्हारे मूड को अच्छा करने में तुम्हारी मदद करेंगे। 

ऐसी कई स्पॉटिफाय प्लेलिस्ट भी है , जिनसे भी बहुत रिलैक्स महसूस होता है । बस 10 मिनट अपनी सांसों पर फोकस करके देखो, तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा। 

स्ट्रेस कम करने तरीके जैसे – लंबी गहरी सांसे लेना और अच्छे पलों के बारे में सोचना,  इससे मानसिक तौर पर काफी अच्छा महसूस होता है। मैंने किसी भी मुश्किल काम या एग्ज़ाम से पहले खुद को तरो-ताज़ा महसूस रखने के लिए एक नई तकनीक सीखी है, जिससे मुझे काफी मदद मिलती है। तुम भी चार की गिनती तक सांस अंदर लो, उसे चार गिनने तक रोको और चार की गिनती के साथ ही सांस बाहर छोड़ दो। ट्राई करके देखना, इससे तुरंत बेहतर महसूस होता है। 

खुद को एक्टिव रखो 

तो अगला स्टेप, खुद को एक्टिव रखना है। तुम्हें क्या लगा कि एक्सरसाइज केवल बॉडी बनाने के शौक़ीन लोगों के लिए है? नहीं! यह तुम्हारे दिमाग के लिए भी बहुत अच्छा है। जब भी मुझे किसी बात का स्ट्रेस होता है, तो मैं अपने कमरे में डांस कर लेती हूं, इससे मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है। डांस, जॉगिंग और तेज चलने से हमारे अंदर एंडोर्फिन हार्मोन निकलता है, जिसे खुशी वाला हार्मोन कहा जाता है।

डियर डायरी

हाँ टीनबुक के इंस्टाग्राम पर तो डायरी मौजूद है ही लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम भी अपने इमोशन्स को कंट्रोल करने के लिए इसका इस्तेमाल करके देखो। क्या तुमने कभी अपनी मन की बातों को लिखा है? तो जब भी तुम्हें लगे कि अब चीजें तुम्हारे कंट्रोल से बाहर जा रही हैं, तो बस डायरी लिखना शुरू कर दो। मैं अक्सर अपने इमोशन्स, अपने सपने – सब कुछ अपनी डायरी के साथ शेयर करती हूं और यहां मुझे कोई जज भी नहीं करता। तुम भी करके देखो, लिखने से तुम्हें बहुत हल्का महसूस होगा। 

साथ ही ड्राइंग हो, पेंटिंग हो या कोई म्युजिक्ल इंस्ट्रुमेंट बजाना और क्रिएटिव होना भी खुद को अच्छा महसूस कराने का एक बहुत अच्छा तरीका हो सकता है। मैंने एक बार अपने कुत्ते की एक तस्वीर बनाई थी, और मुझे खुद को एक्सप्रेस करके बहुत अच्छा लगा था। हो सकता है कि पेंटिग कुछ खास ना हो लेकिन यह बस तुम्हारी इमोशन्स को बाहर निकालने में मदद करती है है। हो सकता है कि ऐसा करके तुम्हे अपने अंदर छुपे किसी टैलेंट का पता चले।  

दोस्तों से बात करना 

जब भी तुम्हारा मूड ऑफ हो, तब तुम अपने दोस्तों से या फैमिली से बात करो। इससे तुम्हें वाकई बहुत अच्छा महसूस होगा। एक बार मेरे मैथ्स में बहुत कम मार्क्स आए थे, तो इसे मैंने अपने फ्रेंड के साथ शेयर किया और हम दोनों मूवी देखने चले गए और खूब सारी बातें की। इससे मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। तो कभी-भी जब मूड ऑफ हो, तो अपने किसी करीबी से बात कर लेना हमें अच्छा महसूस कराता है। 

अपने रुटिन को मैंटेन रखना 

मुझे पता है कि रुटिन की बात करना थोड़ा बोरिंग है लेकिन इसका हमारी लाइफ में होना हमारी काफी मदद कर सकता है। लॉक डाउन के समय मैंने अपने लिए एक डेली शिड्युल बनाया था, जिससे मुझे काफी मदद मिली। तुम भी अपने सोने, उठने, खाने, स्कूलवर्क करने और खेलने के लिए एक टाइम टेबल बना सकती हो। ऐसा करने से तुम्हारी घबराहट या बैचेनी कम होगी और तुम्हारा मूड भी बढ़िया रहेगा! कर के तो देखो! 

और हां, सही समय पर सोना भी जरूरी है। ऐसा ना हो कि देर रात तक बस फोन ही चलाते रह जाओ। मैं भी देर रात तक फोन चलाया करती थी जिसकी वजह से मैं अगले दिन बहुत चिड़चिड़ी हो जाती थी। अब मैंने सोने से पहले अपना एक रूल बना लिया है- सोने से आधा घंटा पहले स्क्रीन से दूर रहना, गुनगुने पानी से नहाना और एक अच्छी बुक पढ़ना। ये हमरे मूड को अच्छा करने के लिए मस्त तरीका है। 

ट्रिगर्स से दूर रहो 

कभी-कभी उन चीजों से दूरी बनाना जरूरी होता है, जो तुम्हें तनाव देती हो। मेरी एक फ्रेंड थी, जिसे सोशल मीडिया से कुछ दिन के लिए ब्रेक चाहिए था क्योंकि उसे परेशानी होने लगी थी। कभी-कभी अपने पर्सनल रिलेशनशिप में सीमाएं निर्धारित करना या डिजिटल दूनिया से दूर होना भी तुम्हें अच्छा महसूस करा सकता है।  

तुम अपने फ्रेंड्स को बता सकती हो कि तुम कब अकेले या खुद के साथ समय बिताना चाहते हो। फैमिली मेंबर्स को यह बताना कि तुम्हें कोई डिस्टर्ब ना करे या अपने पार्टनर को बताना कि कौन सा व्यवहार तुम्हें अच्छा नहीं लगता है। पर्सनल रिलेशनशिप में सीमाएं निर्धारित करना ना केवल तुम्हारे मानसिक स्वास्थ्य बल्कि तुम्हारे रिश्तों के लिए भी जरूरी है।

अब मान लो तुम्हारा कोई दोस्त है, जो हमेशा अपने मुसीबतें लेकर तुम्हारे पास आता है।अब रोज़ रोज़ किसी की ज़िन्दगी में क्या अच्छा नहीं हो रहा – यह सुनना किसे अच्छा लगता है? ऐसे में तुम क्या कर सकती हो? यह कहकर देखो,  “दोस्त, मुझे तुम्हारी चिंता है लेकिन अभी मुझे अपने लिए कुछ समय चाहिए। क्या हम इस बारे में बाद में बात कर सकते हैं?” तुम अभी भी एक अच्छी फ्रेंड हो लेकिन अपनी जरूरतों का भी ख्याल रखना जरूरी है।

डिजिटल डिटॉक्स 

चलो, अब डिजिटल डिटॉक्स की बात करते हैं। हम सभी अपने फोन से प्यार करते हैं लेकिन कभी-कभी हमें लगातार नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया रील्स और बेकार की स्क्रॉलिंग से छुट्टी की जरूरत होती है। डिजिटल डिटॉक्स तुम्हारे दिमाग के लिए रीसेट बटन दबाने जैसा है। 

अगर तुम इंस्टाग्राम पर हर किसी की परफेक्ट लाइफ देखकर तनाव महसूस कर रही हो, तो थोड़ा ब्रेक लेने की कोशिश करो। या तो तुम अपना फोन चेक किए बिना अपना वीकेंड बिताने का निर्णय लो, या शाम को नोटिफिकेशन्स बंद कर दो। तुम यह देखकर हैरान हो जाओगी कि तुम कितना शांत और खुश महसूस करती हो! 

सीमाएं निर्धारित करना और स्क्रीन से अपने आपको ब्रेक देना – दोनों ही तुम्हें अपने लाइफ को अपने तरीके से जीने में मदद करते हैं। ये तुम्हें तरोताजा होने, खुद को समझने और ऐसी चीजें करने के लिए मौका देते हैं, जो तुम्हें खुश करती हैं। इससे तुम तनावमुक्त भी रहोगी और अपने इमोशंस पे काबू भी पा सकती हो।   

तो, अगली बार जब भी तुम्हे अच्छा फील न हो, तो कुछ सीमाएं निर्धारित करने या थोड़ी देर के लिए डिजिटल दूनिया से ब्रेक लेने की कोशिश करो। इससे तुम्हें अच्छा लगेगा। 

किसी प्रोफेशनल से मदद मांगों 

याद रखो, अपने दिमाग की देखभाल करना उतना ही जरूरी है, जितना कि अपने शरीर की देखभाल करना। अगर तुम बेचैन या परेशान महसूस कर रही हो, तो मदद मांगना बिल्कुल नॉर्मल है। 

जैसे तुम गणित की किसी प्रॉब्लम के न समझ आने पर मदद मांगती हो, वैसे ही अपने इमोशन्स को काबू न पाने के लिए मदद मांगना भी बिल्कुल नॉर्मल है। ऐसे डॉक्टर और काउंसलर हैं, जो तुम्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद कर सकते हैं। तुम अकेली नहीं हो और इसके बारे में बात करना बेहतर महसूस करने की दिशा में पहला कदम है। अगर तुम्हारे आसपास कोई डॉक्टर या काउंसेलर नहीं हैं तो किसी भरोसेमंद बड़े से बात करो जो कि तुम्हारी समाधान ढूंढने में तुम्हारे मदद कर सकते हैं। 

तो, सिया, इन टिप्स को अपने सामने कहीं लिख लो ताकि तुम्हे याद रहे और इन पर काम करना शुरू करो! और हाँ यह बात हमेशा दिमाग में रखना की मदद के लिए आगे बढ़ना बहादुरी का काम है! और तुम बिलकुल सही रास्ते पर हो!! 

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