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दिशा से पूछो

सब चिढ़ाते हैं कि मैं लड़कियों जैसा हूँ!

दिशा, स्कूल में सभी मुझे लड़की-लड़की कहकर चिढ़ाते हैं। क्योंकि मैं बैडमिंटन और डॉजबॉल खेलता हूं और होम के प्रोजेक्ट्स में भाग लेता हूं। मुझे मुझे ये सब पसंद है और मैं इन्हे बदलना नहीं चाहता।पर अब मैं इस सब से तंग आ चुका हूँ। मुझे क्या करना चाहिए? आदि, 15, पुणे।

असली समस्या

अरे आदि! सॉरी की तुम्हे ये सब झेलना पड़ रहा हैं। मेरा मन कर रहा है तुम्हे ज़ोर से गले लगा लूँ। तो दूसरों को लगता है कि तुम “एक लड़की की तरह” बर्ताव करते हो? सच कहूँ तो मुझे तो इसका मतलब ही समझ नहीं आया। क्या मतलब लड़कियों की तरह? कैसा बर्ताव करती है लड़कियाँ? 

इसी विषय में यह मजेदार-सा वीडियो यहां नीचे देख लें और बाकी का आर्टिकल वीडियो के बाद पढ़ लें

और यहाँ असली प्रॉब्लम तो ये है कि – तुम्हे स्कूल में छेड़ा और तंग किया जा रहा है। और ये बिल्कुल भी सही नहीं है। मुझे पता है कि स्कूल में कुछ बच्चे सच में बहुत मतलबी हो सकते हैं। यह समझने के बजाय कि तुम बस अपने मन की पसंद की चीज़ें के रहे हो, वे तुम पर हमला कर रहे हैं और तुम को  बुरा महसूस करा रहे हैं। लेकिन चिंता मत करो, मैं हूँ ना! मैं तुम्हें बताऊंगी कि क्या करना है!

‘एक लड़की की तरह’

इसलिए पहले हमें खुद से पूछने की जरूरत है। एक लड़की की तरह होने का क्या मतलब है? बैडमिंटन खेलना, डॉजबॉल खेलना, होम साइंस के प्रोजेक्ट्स करना कब से लड़कियों वाले काम हो गए? सिर्फ इसलिए क्योंकि 100 साल पहले किसी ने कहा था कि लड़कियाँ होम साइंस करती हैं और लड़के बाहर फुटबॉल खेलते हैं? इसे ही स्टीरियो टाइपिंग भी कहते हैं। हर काम पर लेबल लगाना – ये लड़को का और ये लड़कियों का – और यह तय करना कि आप किस लेबल के बक्से में जाएंगे।  लड़की के लिए गुलाबी और लड़के के लिए नीला! 

बहुत हो गया यार अब यही सोच तो बदलनी है। जैसे मुझे ही देख लो, मुझे नीला रंग पसंद है और क्रिकेट भी। और इस आईपीएल में मैं RCB के जीतने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूँ। उफ्फ ये विराट कोहली! 

अगर आप मुझसे पूछें, तो लड़कों या लड़कियों जैसा बर्ताव जैसी कोई चीज़ ही नहीं है। ये सिर्फ दो लिंग हैं और एक व्यक्ति कैसे बर्ताव करता है इसका लड़की या लड़का होने से कोई लेना-देना नहीं है। हाँ, हाँ बुरा और अच्छा बर्ताव ज़रूर होता है और जो तुम्हारे साथ जो वो लोग कर रहे हैं, वो तो पक्का बुरे बर्ताव के बक्से में जाएगा!

अपने अधिकारों के लिए खड़े हो

तो अब बात करते हैं तुम्हारे स्कूल के बुलीज़ (धौंस जमाने वालो की) की। आदि, समय आ गया है कि तुम उनका सामना करो। जब तुम स्कूल में इन बुलीज़ के सामने आओ, तो डर या निराशा महसूस करने की ज़रूरत नहीं है। उनकी बदतमीज़ी का सामना करने का बस एक तरीका है – तुम्हें उनके आगे डट कर खड़ा होना होगा। अगली बार जब वो तुम्हारे सामने आएं तो तुम्हें कहना होगा, “बस करो! बहुत हुआ!” 

ज़रूरत पड़े तो चिल्लाओ! पर ज़रूरी है आवाज़ उठाना। रोना मत, कमजोर या परेशान मत होना। तुम उनके सामने जितने मज़बूत और अप्रभावित दिखोगे, वो तुम्हें उतना ही कम परेशान करेंगे। हाँ हाँ बुलीज़ ऐसे ही होते हैं, वो तुम्हें इसलिए तंग करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि तुम उन्हें वापस जवाब नहीं दोगे। उन्हें दोबारा रुकने के लिए कहो, और पूरे  साहस और आत्मविश्वास के साथ वहाँ से चले जाओ। और बस! समझो काम हो गया।

असली समस्या

मदद मांगो 

लेकिन हाँ, सावधान रहना भी ज़रूरी है। ऐसा भी हो सकता है कि वो एक बार में ना माने क्योंकि वे संख्या में अधिक हैं और तुम अकेले। लेकिन आत्मविश्वास और बुलीज़ का सामना करना ही उन्हें पीछे हटने पर मजबूर करेगा।

और अगर तुम्हें लगता है कि ये सब तुम्हारे बस के बाहर हो रहा है या तुम खतरे में महसूस करते हो तो अपने मम्मी-पापा से बात करो। उनके साथ अपने स्कूल के अधिकारियों के पास जाएं और शिकायत करो। बुलींग एक गंभीर अपराध है। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे।

हो सकता है कि आपने प्रिंसिपल से शिकायत करने के बाद भी बुली तुमको चिढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए आदि, उनसे एक सुरक्षित दूरी बनाए रखना और उनसे अपने आपको प्रभावित ना होने दें। मानो जैसे वो वहाँ है ही नहीं।

इसके अलावा, ये तो सिर्फ तुम्हारे स्कूल के बुली हैं। तुम्हे भविष्य में भी इस तरह के गुंडों का सामना करना पड़ सकता है – कॉलेज, स्कूल, ऑफिस  या शायद घर में भी! एक बार जब तुम उनके सामने निडर होना सीख जाओगे – फिर तुम्हें कोई भी नहीं डरा सकता!

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और यार, हमेशा याद रखो कि हम सब – तुम्हारे दोस्त, माता-पिता तुम्हें वैसे ही प्यार करते हैं जैसे तुम हो। अपने आप को सिर्फ इसलिए बदलने की कोशिश मत करना क्योंकि बस कुछ लोग तुमसे खुश नहीं हैं। हर व्यक्ति यूनिक है। तुम मेरे जैसे नहीं हो सकते, वहीं मैं भी तुम्हारे जैसी नहीं बन सकती। हम सभी अलग हैं और और यही तो लाइफ की ख़ूबसूरती है मेरे दोस्त। तुम तब तक खुश नहीं रहोगे जब तक तुम वो नहीं करते जिससे तुम्हें ख़ुशी मिलती है।              

ज़्यादा ज्ञान हो गया क्या? पर यही सच है! 

आदि, बहुत से लोग मुझसे कहते हैं कि मुझे अपना ब्लैक (नीली भी पर ब्लैक की बात ही कुछ और हैं!)  टी-शर्ट्स का प्यार छोड़ देना चाहिए क्योंकि मैं उनमे डरावनी लगती हूँ!  और भी पता नहीं क्या क्या कहते हैं। पर मैं कहती हूँ कि कलर्स को तो स्टीरियोटाइप मत करो यार! ये मेरी पसंद है और मूवीज की भाषा में कहूं तो “मैं अपनी फेवरेट हूँ!”

चलो, मुझे कुछ और ब्लैक टी-शर्ट ऑनलाइन चेक करनी हैं। आजकल सेल चल रही है ब्रो!! तुम ध्यान रखना और जैसा मैंने तुमसे कहा है वैसा ही करना! सायोनारा! 

अगर आपका भी कोई सवाल या डाउट है, तो हमसे पूछिए। भारत की सबसे समझदार अडल्ट,आपकी अपनी दिशा, उन सभी सवालों का जवाब देगी! उन्हें नीचे कमेंट बॉक्स में पोस्ट करें या उन्हें हमारे इंस्टा इनबॉक्स में भेजें! दिशा अपने अगले कॉलम में उनका जवाब देगी। याद रखें कि कोई भी व्यक्तिगत जानकारी यहाँ न डालें।

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#दिशासेपूछें एक सलाह कॉलम है जो कि टीनबुक इंडिया की संपादकीय टीम द्वारा चलाया जाता है। कॉलम में दी गई सलाह विज्ञान पर आधारित है लेकिन सामान्य है। मातापिता और किशोरों को विशिष्ट चिंताओं या मुद्दों के लिए किसी विशेषज्ञ से मदद लेनी चाहिए।

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