ज़्यादा सोचना कैसे कम करें
एग्जाम्स का टेंशन, ड्रामा और दिमाग में नॉनस्टॉप सवाल – “क्या होगा” – अदिति और रेहान के दिमाग को आराम ही नहीं मिल रहा। लेकिन मीरा और रिया की मदद से, शायद वो कुछ नया सीख लें। क्या आपको भी ज्यादा सोचने की आदत से छुटकारा पाना है? इस बार की कैंटीन टॉक में जानो कैसे!
वीकेंड है और पूरी गैंग अपने फेवरेट कैफे में चिल कर रही है। लेकिन अदिति और रेहान अपने फोन में बस स्क्रोल कर रहे हैं। उनका दिमाग फिर भी कहीं और ही है।
अदिति: “उफ्फ, मुझे समझ नहीं आ रहा कि अगले साल एंट्रेंस एग्जाम्स कैसे हैंडल करूंगी। अगर मैंने सब गड़बड़ कर दिया तो? अगर मैं अपने मन के कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाई तो?”
रेहान: “अदिति, इतना मत सोच । तुम इतनी मेहनत कर रही हो, मुझे यकीन है तुम अच्छा करोगी।”
अदिति: “शायद, लेकिन क्या ये काफी होगा? खैर, मेरी छोड़ो, तुम्हारा क्या हाल है? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो?”
रेहान: “यार, मैं सोच-सोचकर पागल हो रहा हूँ। मैंने अनन्या से वो बात क्यों कही? अगर उसने मुझे गलत समझ लिया तो? अगर हमारी दोस्ती खत्म हो गई तो?”
मीरा: ” तुम दोनों में चल क्या रहा है भाई ! क्या हो गया? आखिर बात क्या है?”
रिया: “अदिति एग्जाम्स को लेकर टेंशन में है, और रेहान अपने और अनन्या के झगड़े को बार-बार सोच रहा है।”
अदिति: “तुम लोगों को छोटी बात लग रही होगी लेकिन अगर सब गड़बड़ हो गया तो? मेरा फ्यूचर इन एग्जाम्स पर टिका है। अगर मुझे कोई ऐसा कॉलेज मिल गया जहाँ मैं जाना ही नहीं चाहती तो?”
मीरा: “सुनो, तुम दोनों को रिलैक्स करने की ज़रूरत है। क्या तुमने माइंडफुलनेस के बारे में सुना है?”
रेहान: “सुना तो है, पर ये थोड़ा बोरिंग नहीं है? चुपचाप बैठने से मेरे एग्जाम का डर या अनन्या का ड्रामा कैसे ठीक होगा?”
मीरा: “माइंडफुलनेस बहुत आसान है। इसका मतलब है कि बस इस पल में ध्यान लगाना। जैसे जब तुम मीम्स देख रहे होते हो और टाइम का पता नहीं चलता, वैसे ही। ये स्ट्रेस कम करने का एक तरीका है।”
रिया: “जैसे अदिति, एग्जाम्स में क्या गलत हो सकता है ये सोचने के बजाय, अभी क्या सही कर सकती हो उस पर ध्यान दो। और रेहान, अनन्या के साथ जो हुआ वो भूलकर अभी के पल पर फोकस करो।”
अदिति: “पर ये करूँ कैसे? मेरे दिमाग में तो बस ग्रेड्स घूम रहे हैं।”
शुरुआत कैसे करें?
मीरा: “अच्छा, ऐसा करो: अपने दिमाग को भागने मत दो। अपनी सांस, अपने शरीर और अभी के पल पर फोकस करो। अगले साल की मत सोचो। बस गहरी सांस लो, छोड़ो, और अपने ख्याल धीमे करो।”
रेहान: “सिर्फ सांस लेना? बस इतना ही?”
मीरा: “हां, इससे दिमाग शांत होता है। चलो अभी करके देखते हैं।”
अदिति: “ठीक है, लेकिन यह मैं सिर्फ इसलिए कर रही हूँ क्योंकि मुझे कुछ और समझ नहीं आ रहा है।”
मीरा: “अपनी आँखें बंद करो। गहरी सांस लो… चार तक गिनो… सांस रोककर रखो… फिर धीरे-धीरे चार तक गिनते हुए छोड़ो। सिर्फ अपनी सांस पर ध्यान दो। बाकी सब छोड़ दो।”
रिया: “अब कैसा लग रहा है?”
अदिति: “अरे, ये सच में काम कर गया। मेरा दिमाग थोड़ा शांत लग रहा है।”
मीरा: “यही है माइंडफुलनेस। अब कुछ और ट्राई करते हैं। इसे कहते हैं बॉडी स्कैन। आराम से बैठो, आँखें बंद करो और अपने शरीर के हर हिस्से पर ध्यान दो – पैर की उंगलियों से लेकर सिर तक। हर हिस्से को महसूस करो – टाइट, रिलैक्स, गर्म या ठंडा। बस ध्यान दो।”
रिया: “चलो छोटा सा बॉडी स्कैन करते हैं। पहले अपने पैरों पर ध्यान दो। क्या वो रिलैक्स हैं? फिर ऊपर की ओर बढ़ो – टांगें, पेट, छाती। हर हिस्से को महसूस करो। और उस पर ध्यान दो”
रेहान: “अरे, मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरे कंधे इतने टाइट हैं।”
मीरा: “देखा? सिंपल पर पावरफुल। और जब भी स्ट्रेस हो, बस माइंडफुल ब्रेक लो। बाहर जाओ, हवा महसूस करो, आसमान देखो, या बस अपने शरीर पर ध्यान दो। ये दिमाग को रिस्टार्ट करने जैसा है।”
रिया: “सही बात। जब दिमाग बहुत भरा हुआ लगे, तो थोड़ा रुककर अपने मन को साफ करो। जैसे रेहान, बार-बार उस झगड़े को सोचने के बजाय, सोचो कि अब क्या करना है।”
मीरा: “देखा? इसमें घंटों शांति से बैठने की जरूरत नहीं। बस एक या दो मिनट का ब्रेक लो और फोकस करो। इससे स्ट्रेस हैंडल करना और ज्यादा सोचने से बचना आसान हो जाता है।”
रिया: “और ये बहुत आसान है। इसे टेस्ट से पहले या किसी से बात करने से पहले भी यूज कर सकते हो। अदिति, माइंडफुलनेस से तुम उन ‘क्या होगा’ वाले ख्यालों को रोक सकती हो और अभी की तैयारी पर ध्यान दे सकती हो।”
अदिति: “ठीक है, मैं ट्राई करूंगी। लेकिन ये वादा नहीं कर सकती कि टेस्ट से पहले मैं अपनी ‘एपिक फेल’ वाली फीलिंग्स नहीं सोचूँगी।”
रेहान: “मुझे भी ट्राई करना है। कम से कम अब हमें पता है कि हम ‘सांस’ लेकर भी दिमाग शांत कर सकते हैं।”