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सुकून वाला कोना

जब मन को अच्छा न लगे: मानसिक स्वास्थ्य को समझना

आज अक्षय ने स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य पर एक वर्कशॉप में भाग लिया। वर्कशॉप में जो गेस्ट आए थे, उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस करना चाहिए और उसे अपने प्रायोरिटी बनानी चाहिए। लेकिन अक्षय के मन में कई सवाल रह गए। मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस करने का मतलब क्या है? और हमें कैसे पता चलेगा की कुछ गड़बड़ है? ऐसे कौन से बातें है जिसे यह पता चलता है  की हमारा मानसिक स्वास्थ ठीक है या नहीं। और अगर हमें मदद की ज़रुरत है तू वो कहाँ मिलेगी?? क्या हमें किसी डॉक्टर या काउंसलर से मिलना चाहिए? अगर अक्षय की तरह आपको भी ये बातें थोड़ी अटपटी लग रही है, तो परेशान होने की ज़रुरत बिल्कुल भी नहीं है! ‘उफ़ यह उलझन’ के इस संस्करण में हम इन्हीं मुद्दों पर बात करेंगे! 

 

मानसिक स्वास्थ्य क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, बिल्कुल शारीरिक स्वास्थ्य की तरह। यह हमारे सोचने, महसूस करने और दुनिया के साथ बातचीत करने के तरीके को प्रभावित करता है। जैसे कभी-कभी हमें सर्दी-जुकाम हो जाता है, वैसे ही कभी-कभी हमारी मानसिक सेहत भी गड़बड़ हो सकती है।

हर किसी के जीवन में ऐसे दिन आते हैं जब वे अच्छा महसूस नहीं करते, लेकिन अगर यह परेशानी लगातार बनी रहे और हमारी भावनाओं और व्यवहार पर असर डालने लगे, तो यह मानसिक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में, हमें थेरेपिस्ट या डॉक्टर जैसे पेशेवरों से मदद लेने की आवश्यकता हो सकती है।

समझो कि मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य का। अगर हमें मानसिक स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की समस्या महसूस हो रही है, तो उसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत मदद चाहिए। इससे हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपकी मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रही है?

कल्पना करो कि आज तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ: स्कूल बस मिस हो गयी या तुम अपना लंच भूल गए या टेस्ट में अच्छे मार्क्स नहीं आये। ऐसे मामलों में उदास या परेशान महसूस करना बिल्कुल सामान्य है। लेकिन अगर ये बुरे एहसास लगातार बने रहते हैं और हर दिन हर चीज़ मुश्किल लगनी लगे, तो यह संकेत हो सकता है कि तुम्हे अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। 

अगर आप हर दिन थके हुए या उदास महसूस कर रहे हो, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ रहा है, दोस्तों और परिवार से दूर हो रहे हो, या किसी भी चीज़ में खुशी महसूस नहीं हो रही है, तो यह समय है कि आप किसी थेरेपिस्ट या डॉक्टर से बात करें। जैसे कि जब सर्दी ठीक नहीं होती है तो हम डॉक्टर के पास जाते है ठीक वैसे ही अगर यह बुरा एहसास हमारी लाइफ से नहीं जाता तो हम थेरेपिस्ट, काउंसेलर या डॉक्टर के पास जाना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि हम एक खुश और स्वस्थ जीवन जी सकें।

मानसिक परेशानी कब गंभीर हो जाती है?

मानसिक परेशानी तब गंभीर हो जाती है जब यह किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी में ठीक से काम करने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करती है। 

मान लीजिए एक छात्र हर समय उदास और चिंता में रहता है। वह अपने दोस्तों से दूर हो जाता है और उनके साथ समय बिताने की बजाय अकेले रहना पसंद करता है। स्कूल में उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं लग पाता, जिसके कारण उसके ग्रेड्स गिरने लगते हैं। उसे नींद नहीं आती या बहुत ज्यादा सोने लगता है। उसे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है और वह दूसरों से झगड़ने लगता है। यदि वह अपने आप को चोट पहुंचाने के बारे में सोचने लगे या आत्महत्या के विचार आने लगें, तो यह संकेत है कि उसकी मानसिक स्थिति गंभीर हो गई है और उसे तत्काल मदद की आवश्यकता है।मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को गंभीरता से लेना और सही समय पर मदद लेना बहुत जरूरी है ताकि व्यक्ति को बेहतर होने में सहायता मिल सके।

मेडिकल हेल्प कब लेनी चाहिए? 

मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है जितना किसी टूटे हुए हाथ का इलाज कराना। जैसे हम टूटे हुए हाथ को नजरअंदाज नहीं करते, वैसे ही हमें अपनी मानसिक स्वास्थ्य की जरूरतों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आप बहुत ज्यादा तनावग्रस्त, चिंतित या खुद को सब से अलग महसूस कर रहे हैं, तो मदद मांगना बिल्कुल सही है। इसे इस तरह समझें: जैसे आप टूटे हुए हाथ के लिए डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते नहीं, वैसे ही आपकी मानसिक स्वास्थ्य भी उसी देखभाल और ध्यान की हकदार है।

अगर आप खुद को उदासी या चिंता की भावनाओं से घिरे हुए पाते हैं, जो दूर नहीं हो रही हैं, या अगर आपका मन उन चीज़ों में नहीं लग रहा, जिसे पहले करने में आपको खुशी महसूस होती थी, जैसे- स्कूल जाना, फ्रेंड्स के साथ घूमना या अपनी हॉबी को इंज्वॉय करना, तो अब आपको जरूर मदद मांगना चाहिए।

और हां, इसमें कोई शर्म की बात नहीं है- मदद मांगना वास्तव में बहुत बहादुरी का काम है। चाहे वह किसी काउंसलर, किसी भरोसेमंद वयस्क (एडल्ट) या किसी मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल से बात करना हो। सही कदम उठाने से आप फिर से अच्छा महसूस कर सकते हैं।

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