मानसिक स्वास्थ्य क्या है? बॉलीवुड से एक सबक!
रेहान ने एक मूवी देखी जो उसे बड़ी पसंद आयी तो वो स्कूल जाकर अपने फ्रेंड्स (मेहुल, रिया, शनाया, नितिन, आद्या) से इस मूवी के बारे में बात करने के लिए बहुत एक्साइटेड है। रेहान के फ्रेंड्स की एक आदत है कि वे जो मूवीे और सीरीज देखते हैं, उस पर खूब सारा डिस्कशन करते हैं एक-दूसरे को बताते हैं कि उन्हें क्या पसंद आया, क्या नहीं, और सारे टॉपिक्स पर खुल कर बात करते हैं। इस बार यह मूवी एक लड़की के बारे में थी, जो एक थेरेपिस्ट से मिलने जाती है। इस कैंटीन टॉक को पढ़ के बताओ की हम कौन सी मूवी की बात कर रहे हैं?
मज़ेदार डिस्कशन और टीचर का आना
रेहान – भाई लोगो – मुझे तो पूरी मूवी पसंद आई। खासकर मेरी प्यारी आलिया का परर्फामेंस और उस पर चार चाँद लगाने शाहरुख़ खान भी था! और सारी कहानी का कंसेप्ट भी बहुत पसंद आया!
शनाया – तू और तेरी आलिया …अरे शादी हो गयी उसकी, भूल जा! हां.. जहांगीर थेरेपिस्ट की दी गई सभी टिप्स बहुत काम के लगे। लेकिन एक बात बोलूं मुझे न यह समझ नहीं आया कि उसे इतनी बड़ी क्या परेशानी थी जो वो थेरेपिस्ट के पास जा रही थी!
रिया – हम किसी थेरेपिस्ट के पास सिर्फ तब नहीं जाते, जब हम बहुत ज़्यादा परेशान होते हैं! बल्कि हम तब जाते हैं, जब हमें लगता है कि कुछ गड़बड़ है।
रेहान – हम्म, सुन यार मुझे नये लोगों से बात करने में नर्वसनेस होती है। तो क्या मेरे में कुछ गड़बड़ है?
नितिन – मुझे एग्जाम को लेकर बेहद चिंता होती है। क्या इसका मतलब है कि मुझे भी कोई मेन्टल हेल्थ संबंधी कोई परेशानी है?
ठीक उस समय, उनकी मनोविज्ञान टीचर और स्कूल काउंसलर, मिस कपूर, कैंटीन में सबकी बातें सुनती हैं और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए उनके पास आती हैं।
मिस कपूर – (गंभीर आवाज में) – ये क्या हो रहा है? स्कूल के समय में मूवी क्लब का डिस्कशन? तुम्हें पता है कि तुम यहां पढ़ने आए हो, है न?
(ग्रुप घबराकर चुप हो जाता है।)
रेहान – ओह, सॉरी, मिस कपूर, हम लोग बस ऐसे ही…
मिस कपूर – (अचानक मुस्कुराते हुए) अरे घबराओ मत, मैं तो मज़ाक कर रही थी. मैं तो खुश हूँ की तुम लोग इतने इम्पोर्टेन्ट टॉपिक – मेन्टल वेल बीइंग यानि की मानसिक खुशहाली के बारे में एक बहुत ही अच्छे तरीके से बात कर रहे हो.
(ग्रुप सुकून की सांस लेता है)
क्या हैं लक्षण?
मिस कपूर – मानसिक खुशहाली को समझना वाकई में काफी मुश्किल है लेकिन मैं खुश हूं कि तुम लोग कोशिश कर रहे हो, इस टॉपिक पर बात कर रहे हो। हम सब अकसर कुछ बातों से परेशान महसूस करते हैं या घबराते हैं। यह नार्मल है। ठीक वैसे ही जैसे की सर्दी जुकाम होना?
लेकिन जब ये भावनाएं तुम्हारे रोज के कामों को खराब करने लगे, तुम्हारा मन किसी भी काम में न लगे, भूख प्यास बंद हो जाये और तुम उस मूड से निकल न पाओ – तब तुम्हे किसी प्रोफेशनल से बात करनी चाहिए। याद रखो, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी शारीरिक समस्याओं जितनी ही महत्वपूर्ण हैं। जिस तरह जब तुम्हारी खांसी बहुत देर तक ठीक नहीं होती, तो तुम डॉक्टर को दिखाते हो। उसी तरह जब तुम्हारा मूड ठीक नहीं रहता या तुम्हे बहुत देर तक कुछ अच्छा नहीं लगता ..ऐसे में अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्पेशल डॉक्टर – जैसे का को दिखाना जरूरी है।
आद्या – मुझे बहुत नींद आती है और मुझे ऐसा लगता है की मेरी एनर्जी बहुत कम हो जाती है। क्या यह मेरे मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है?
मिस कपूर – बिल्कुल, आद्या। नींद के पैटर्न, भूख और एनर्जी के लेवल में बदलाव सभी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इंडिकेटर हो सकते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान देना और जरूरत पड़ने पर मदद लेना जरूरी है।
शनाया – मैम हमें कैसे पता चलेगा कि अब हमे दिमाग के डॉक्टर यानि की थेरेपिस्ट से मिलने की ज़रुरत है?
मिस कपूर – अगर तुम्हें अपने मूड, बिहेवियर या रोज के कामकाज में लगातार बदलाव दिखता है, तो मेरे जैसे प्रोफेशनल से बात करना यानि की तुम्हारे स्कूल की काउंसलर से बात करना एक अच्छा आइडिया है। थेरेपी केवल तब के लिए नहीं है, जब चीजें वाकई में खराब हों। यह तुम्हारे लिए खुद को बेहतर ढंग से समझने और लाइफ की चुनौतियों का सामना करने में मदद करने का एक साधन है। इसके अलावा, यह जरूरी नहीं है कि पहला कदम काउंसलर ही हो। तुम किसी भी भरोसेमंद व्यक्ति से बात कर सकते हो जैसे की घर का कोई बड़ा कजिन, कोई चाचा नाना या कोई बहन – जिसके साथ बात करना तुम्हें कम्फ़र्टेबल लगे और वो तुम्हें सुनें भी।
मेहुल – मैं कुछ भी महसूस नहीं करता हूं! क्या यह अजीब है की मुझे कुछ भी ज़्यादा परेशान नहीं करता? क्या इसका मतलब है कि मैं मानसिक रूप से स्वस्थ हूं?
मिस कपूर – न्युट्रल महसूस करना मानसिक स्वास्थ्य का हिस्सा हो सकता है, लेकिन कई तरह की इमोशन्स को फील करना भी महत्वपूर्ण है। अपने हर इमोशन्स को महसूस करना और उन्हें मैनेज करने की ताकत होना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का इंडिकेटर है।
नितिन – जैसे कल ही भैया से मेरी लड़ाई हुई! और यकीन मानो, जब मैं उनके पास से गुजरता हूं तो मुझे अच्छा नहीं लगता है! मुझे गुस्सा आता है कि इसमें मेरी कोई गलती भी नहीं थी और फिर भी उन्होंने मुझे डांट पड़वाई! मुझे लगता है कि हमारी फैमिली भी हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करती है!
मिस कपूर – बिल्कुल! सास-बहू वाले सीरियल को नहीं देखते? सब कितने दुखी होते हैं उनमें! बात करना और झगड़ों को सुलझाना बहुत ज़रूरी है – वरना घर का माहौल बिग बॉस जैसा बन जाता है! गुस्से को अपने अंदर बनाए रखना तुम्हारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अगर पानी सर से गुज़र जाये और बहुत हे बेचैनी हो रही हो तो किसी काउंसलर से बात करने से तुम्हें इन इमोशन्स से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सकती है।
नितिन – मिस कपूर, आप सही कह रही हैं! मेरे घर पर तो रोज़ का ड्रामा होता है! शायद किसी से बात करने से मुझे मदद मिल सके की ऐसे में मैं क्या करूं? एडवाइस के लिए थैंक्यू!
रेहान – हां! कभी-कभी मैं भी अपने रिएक्शन और बिहेवियर को समझ नहीं पाता! खासकर जब मुझे गुसा आता है. मुझे लगता है कि मैं और आद्या साथ मिलकर काउंसलर के पास जाएंगे!
शनाया – वाह! आज तो बढ़िया डिस्कशन हो गया ना, एक दम सीरियस. दोस्तों हमारे पास अभी सभी सवालों के जवाब तो नहीं हैं, लेकिन मुझे यकीन हैं एक न एक दिन हम उन्हें पा लेंगे! डियर जिंदगी में डॉ. जहांगीर ने कहा था, “जीनियस वो नहीं होता जिसके पास हर सवाल का जवाब हो, जीनियस वो होता है, जिसके पास हर जवाब तक पहुंचने का धैर्य हो!” ऐसा लगता है कि हम सभी जीनियस हैं और हम बड़े हो रहे हैं!
मेहुल – वाह शनाया! लगता है आज तुम्हारे दिमाग की बत्ती फाइनली जल ही गयी! मस्त बात कही तूने।
वास्तविकता में वापस
(मिस कपूर अपनी घड़ी पर नज़र डालती हैं और भौंहें ऊपर उठाती हैं)
मिस कपूर – (एक मुस्कुराहट के साथ) तुम सभी को देखो तो ज़रा, बॉलीवुड के कोट्स दे रहे हो और बड़े ज्ञानी बन गए हो ! लेकिन याद रखो, टैलेंटेड लोग समय पर अपनी मैथ्स की क्लास में भी जाते हैं।अब चले जाओ इससे पहले कि मिस्टर वर्मा को लगे कि तुम सभी कैंटीन के परमानेंट निवासी बन गए हो!
अगर तुम सब क्लास में टाइम से नहीं पहुँचे तो कोई भी बहाना तुम्हें मिस्टर वर्मा के गुस्से से नहीं बचा पाएगा। तो, जाओ, इससे पहले कि तुम्हारा मानसिक स्वास्थ्य किसी नाराज मैथ्स टीचर के कारण खराब हो जाए!
और याद रखो, यह शानदार बातचीत जारी रखना – बस मेरी क्लास के समय नहीं!
(सभी हंसते हैं)
रेहान – हाहा, सच है। लेकिन सच में थैंक्यू मिस कपूर! इससे बहुत मदद मिलती है। मुझे लगता है कि हम सभी अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक्टिव रहने की कोशिश करेंगे।
नितिन – हां, हम सभी को मेन्टल हेल्थ के बारे में आपस में बात करते रहना चाहिये – जैसे की हम फिल्मों के बारे में करते हैं.
(ग्रुप हंसता है और अधिक जानकारी और सर्पोट महसूस करते हुए अपनी क्लास में चला जाता है।)