मुझे बहुत खोया खोया मसहूस होता है
17 साल की अदिति, एक बेहद खुशमिजाज लड़की है लेकिन इधर कुछ दिनों से वो अपने फ्युचर को लेकर काफी परेशान है। उसके मन में अनेक सवाल आ रहे हैं। जैसे – वो कौन है, उसकी पहचान क्या है? जहाँ अदिति के अधिकांश फ्रेंड्स अपने फ्युचर को लेकर सिक्योर हैं वहीं अदिति अब तक नहीं समझ पाई की उसे आगे चलकर क्या करना है? क्या उसकी बड़ी बहन, इरा, इसमें अदिति की हेल्प कर सकती है? चलिए, इस हफ्ते के फीलिंग एक्सप्रेस में जानते हैं…
अपने फ्युचर को लेकर परेशान अदिति, एक शाम अपने डेस्क पर बैठी कुछ सोच रही थी। अचानक वो अपनी बड़ी बहन इरा की ओर मुड़ी, जो बेड पर एक किताब पढ़ रही थी।
अदिति ने इरा से पूछा, “क्या तुम्हारे मन में खुद को लेकर कभी कोई सवाल आएं हैं कि तुम कौन हो?”
अपनी किताब को बगल में रखते हुए, इरा ने अदिति की ओर मुस्करा कर देखा, “ओह, आदु, हां बिल्कुल आए हैं। तुम्हारा भी ‘मैं कौन हूं’ वाले क्लब में स्वागत है। जिसमें ज़्यादातर टिनएजर ही हैं।”
अदिति अपने भौंहे चौड़ी करते हुए पूछा, “सच में, तुम भी?”
इरा ने चहकते हुए कहा, “हां मैं भी, और असली मज़ा तो इसी सवाल से शुरू होता है। लेकिन पहले तुम बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है?”
क्या तुम खुद को जानती हो?
अदिति ने कहा, “इसे शब्दों में बताना मुश्किल है लेकिन मुझे बस ये ही नहीं पता है कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं.. और कहीं ये सब समझने के लिए बहुत देर तो नहीं ही गई।”
इरा ने अदिति को समझाया, “सोचो कि तुम अपने मोबाइल`में एक प्लेलिस्ट हो – जिसमें तुम्हारे सारे फेवरेट गाने हैं, जिससे सुनकर कभी तुम्हें डांस करने का मन करता है, तो कभी रात के 2 बजे तकिये के साथ रोने का मन करता है। तो क्या ये प्लेलिस्ट एक दिन में बन गई थी? नहीं ना? तुमने धीरे-धीरे करके इसमें नए गाने ऐड किए होंगे, जो तुम्हें अच्छे लगते होंगे। तो खुद को जानना भी कुछ ऐसा ही है। जैसे तुम कोई अपना पर्सनल साउंड ट्रैक तैयार कर रही हो, जिसमें हर दिन तुम एक नया ट्रैक एड करती हो, जो तुम्हारे अंदर के पैशन, डर, अनोखेपन और सपनों को दर्शाता है।
अदिति ने खुश होते हुए कहा, “अरे वाह, मैंने तो कभी ऐसे सोचा ही नहीं था।”
इरा ने अपने बात ज़ारी रखी, “और हां, अपने शानदार प्लेलिस्ट को तैयार करने के लिए, उसे अपनी पसंद और पहचान के साथ ट्युन करना भी जरूरी है। है ना? तो इसे ही कहते हैं – खुद के बारे में जानना या खुद से खुद की मुलाकात। जिसमें जैसे तुम हर एक गाने की बोल, लय, ताल और इमोशन को समझती हो, वैसे ही तुम्हें अपने बारे में समझना होगा।”
अदिति को अच्छा महसूस होने लगा उसे महसूस हुआ कि वो इस सफ़र में वो`अकेली नहीं है बल्कि कई लोग इस दौर से गुजर चुके हैं। “तो इसका मतलब है कि अपने आप को जानना, एक पूरा नया सफर है?” उसने ईरा से पूछा ।
इरा ने हंसते हुए कहा, “हां और ये समझते हुए कि ये ज़रूरी नहीं कि चीज़े जैसे दिख रही हो, वैसे ही हो!”
खुद को जानने की जरुरत ही क्यों है?
जैसे-जैसे इरा ने अदिति की सेल्फ-एवयरनेस के बारे में बताना शुरू किया, तो अदिति की आंखें खुलने लगी क्योंकि अब उसे भी धीरे ही सही लेकिन सारी बातें समझ आ रही थी।
इरा ने कहा, “अपने आप को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे ही तुम, बिना खुद को खोये, लाइफ में होने वाले उतार चढ़ाव से निपट पाओगी और खुद को संभाल पाओगी। मानो तुमने अपने हर मूड के लिए एक अलग प्लेलिस्ट बनाई हुई है जो तुम्हारे मूड और परिस्तिथि के हिसाब से तुम्हें बेहतर महसूस कराने में और अलग अलग चुनौतियों का सामना करने में तुम्हारा साथ देती है।”
“जैसे अगर तुम जानती हो कि तुम्हें दूसरों की हेल्प करना अच्छा लगता है और तुम साइंस में भी काफी तेज हो, तो तुम उसी के मुताबिक किसी प्रोजेक्ट में वोलेंटियर का काम चुन सकती हो। इससे तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा और ये तुम्हारे लिए एक नया एक्सपीरियंस भी हो जाएगा।”
अदिति ने हां में सिर हिलाते हुए जोश में कहा, “अच्छा, इसका मतलब ki खुद को समझना मुझे उन चीज़ें को ढूंढ़ने में मदद कर सकता है जो मुझे सच में खुश करती हैं। वाह, ये तो अच्छा है।”
इरा ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा, “बिल्कुल।”
अदिति ने फिर से थोड़े परेशान वाला चेहरा बनाते हुए पूछा, “और क्या ये मुश्किल समय में भी काम आ सकता है?”
इरा ने कहा, “हाँ हाँ, अब किसी पार्टी में साथियों के दबाव की ही बात कर लो। अगर तुम्हें पता है तुम्हारी पसंद और नापसंद क्या है और तुम उसमे कॉन्फिडेन्ट भी हो तो तुम पर इस दबाव का कोई असर नहीं पड़ेगा और तुम बिना अजीब महसूस किये लोगों को शराब या सिग्गरेट जैसी चीज़ों के लिए मन कर सकती हो।”
अदिति ने चहकते हुए कहा, “अरे वाह, तो ये मुझे एकदम सही रास्ते पर भी रखेगा।”
इरा ने कहा, “हां-हां बिल्कुल और तुम अपनी सेल्फ केयर भी कर पाओगी।”
तुम अपनी फेवरिट बनो
इरा ने आगे कहा, “और जब तुम खुद को जान लोगी, तो ये जरूरी है कि तुम खुद को वैसे ही एक्सेप्ट भी करो, जैसी तुम हो। तुम्हें अपनी हर छोटी चीज़ को जानना और अपनाना है और बिलकुल ‘जब वी मेट’ की गीत की तरह हर मूड और रूप में अपना फेवरेट बनना है।
“हो सकता है कि तुम्हें पता चले कि तुम फुटबॉल खेलने में या ड्राइंग करने में बहुत अच्छी हो लेकिन मैथ्स या पब्लिक स्पीकिंग में थोड़ी मेहनत की ज़रूरत है – तो ये ज़रूरी है कि तुम इस बात को समझो पर खुद पर बहुत ज्यादा प्रेशर ना डालो। फुटबॉल या ड्राइंग को इंज्वॉय करो और साथ ही मैथ्स में बेहतर करने और पब्लिक स्पीकिंग के लिए भी कुछ समय निकालो।”
अदिति ने फिर से चहकते हुए कहा, “अच्छा, इसका मतलब है कि मुझे खुद का चीयरलीडर भी बनना है।”
इरा ने अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए कहा, “बिल्कुल आदु, और हां, अगर तुम कभी कभी खुद ये ना कर पाओ, तो मैं हूं ना- तुम्हें चीयर करने के लिए।”
इरा के साथ इस बातचीत के बाद, अदिति को खुद पर कांफिडेंस महसूस हुआ और उसमे एक नई भावना जागी। कि उसके पास सभी जवाब भले ही अभी न हों, लेकिन इरा उसके साथ है। और उसकी मदद से वो किशोरावस्था के इस उतार-चढ़ाव से आराम से निपट पाएगी।