घर पहुंचते ही मम्मी-पापा डांटेंगे!
निशा को अपनी फ्रेंड टीना के घर से वापिस आने में थोड़ी देरी हो गयी इसलिए वो परेशान थी कि आज घर पहुंचते ही उसके मम्मी-पापा डांटेंगे, लेकिन जो कुछ भी हुआ उसे उसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। निशा ने अपनी डायरी हमारे साथ शेयर की।
डियर डायरी,
आज का दिन मेरे लिए थोड़ा अलग था। आज भी मैं हर बार की तरह अपने मन की बातें तुम्हारे साथ शेयर करना चाहती हूं। तुम नहीं जानती कि चीजें किस तरह से बदली हैं। आज जो हुआ उसके बाद ऐसा लगा की वक्त बीतता जाता है और उसके साथ लोग भी बदलते जाते हैं, और कई बार तो अच्छे के लिए।
तुम्हें देरी क्यों हुई!
तो आज कुछ ऐसा हुआ कि मैं देर से घर पहुंची। जितने बजे मुझे घर आने की परमिशन है, उससे भी ज्यादा देर से मैं पहुंची। इसका कारण यह है कि मैं टीना के घर पर थी और असाइनमेंट बना रही थी, जो काफी मुश्किल था इसलिए हमें काफी समय लग गया। टीना और मैं कई सालों से काफी अच्छे दोस्त हैं और मैं खुशनसीब हूं कि वो मेरी अच्छी सहेली है क्योंकि मैं उससे सारी बातें शेयर करती हूं।
लेकिन जैसे ही मैं दरवाजे तक पहुंची, मैंने पापा की भौंहों को देखा। मेरी धड़कनें बढ़ रही थी। कुछ साल पहले मैं इसी तरह देर से आई थी, और उस दिन बहुत बवाल हुआ था। मुझे बहुत डांट पड़ी थी, और पापा मम्मी ने बहुत लम्बा लेक्चर भी सुनाया।
लेकिन आज मेरे मम्मी-पापा ने मुझे नहीं डांटा और कुछ कहा भी नहीं बल्कि केवल नजरों से देखा। इसके बाद मैंने खुद ही बताया कि एक असाइनमेंट के कारण मुझे देर हुई। पापा ने कहा ठीक है और मुझसे पूछा कि क्या मैंने खाना खा लिया है और मैं अपने कमरे में चली गई।
स्वीट 16
चीजें कितनी बदल गई। जब मैं 12 साल की थी, मेरे मम्मी-पापा मुझे एक छोटी बच्ची की तरह ट्रीट करते थे। मुझे हमेशा अपनी नजरों के सामने रखते थे। मुझे अब भी अच्छी तरह याद है कि जब मैं एक बार बहुत देर से आई थी। तब भी टीना के साथ एक स्कूल प्रोजेक्ट पर काम करना। हां, वो बचपन से ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त रही है!
मैं थोड़ी सी डरी हुई थी क्योंकि मैं जानती थी कि मुझे डांट पड़ सकती है। जब मैं घर आई, तो पापा लिविंग रूम में मेरा इंतजार कर रहे थे और उनका चेहरा गुस्से से भरा हुआ था। उन्होंने मुझे बहुत बातें सुनाई थी, और मैं एक हफ्ते तक घर से बाहर तक नहीं निकली थी। मुझे लग रहा था कि मेरी दूनिया ही खत्म हो गई है।
लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। अब मैं 16 साल की हो गई हूं और मम्मी-पापा को मैं एक बड़ी बच्ची लगती हूं शायद। अब वो मुझ पर पहले से ज्यादा विश्वास करते हैं और बाहर भी जाने देते हैं। अब पहले के तरह कोई ड्रामा नहीं होता है।
लेकिन उन्हें अब भी चिंता है…
मैं अब 16 साल की हूं और एक टीनएजर हूं। मेरे पास जिम्मेदारी नाम की सुपरपावर भी है। उन्होंने मुझे बदलते हुए देखा है- एक बच्ची से एक जिम्मेदार इंसान बनने तक।
आज उन्होंने मुझ पर जो भरोसा किया, उसके लिए मैं उनका आभारी हुए बिना नहीं रह सकती। वे शायद अभी भी चिंतित हैं लेकिन आखिरकार उन्हें इस बात का एहसास हो गया है कि मैं जिम्मेदारी उठा सकती हूं। यह बिल्कुल ऐसा है, जैसे उन्होंने अपग्रेड कर लिया है! यह बहुत ही खुशनुमा एहसास है कि उन्हें मुझ पर विश्वास है।
एक साल पहले तक मैंने नहीं सोचा था कि मेरे लाइफ में भी ऐसा कोई दिन आएगा, जब मेरे पैरेंट्स घर देर से आने पर मुझे नहीं डांटेगे। यह इस बात का रिमाइंडर है कि बदलाव धीरे धीरे होता है लेकिन होता जरुर है। मैं उम्मीद करती हूं कि एक दिन मैं उन्हें गर्व का एहसास करा सकूं कि उन्होंने मुझ पर भरोसा करके बिल्कुल सही किया है।
तब तक के लिए,
निशा
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