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कैंटीन में सुना

मम्मी-पापा से बात करना कैसे शुरू करें?

क्या तुम्हे अपने मम्मी-पापा से बात करना मुश्किल लगता है? जैसे मैथ्स का कोई मुश्किल सवाल हो? हर किसी के साथ ऐसा कभी न कभी तो होता ही है। उनसे बिना लेक्चर सुने कैसे बात करें? उन्हें कैसे समझाएं कि हम क्या कहना चाहते हैं? रिया और उसके दोस्त आरव, सानिया इस टॉपिक पर अपनी स्कूल की कैंटीन मैं बात कर रहे हैं।चलिए जानते हैं और इस पहेली को समझने की कोशिश करते हैं।

 

 

टॉप सीक्रेट भाषा

रिया और उसके दोस्त आरव और सानिया एक टेबल पर बैठे हैं, जहां स्कूल की कॉपी-किताबें रखी हैं। रिया का मूड बिगड़ा हुआ है क्योंकि उसकी उसके मम्मी-पापा से लड़ाई हुई है। वह वीकेंड वाली रात कहीं बाहर जाना चाहती थी लेकिन उसके पापा ने बिना कुछ सुने ही जाने से मना कर दिया। 

उसने कहा, “सीरियसली यार, पैरेंट्स से कुछ भी बात करना बहुत मुश्किल है। ऐसा लगता है कि आंखों पर पट्टी लगा कर कोई नक्शा ढूंढ रहे हो।”

आरव ने सिर हिलाते हुए कहा, “सच में यार! वो बस बिना कुछ सुने लेक्चर देना शुरू कर देते हैं।”

इस बीच सीनियर आदित्य ने कहा, “ऐसा लगता है जैसे तुम लोग ‘पेरेंट सीक्रेट भाषा’ के बारे में पता नहीं।  

रिया ने उत्सुकता से पूछा, “वो क्या?”

आरव ने अपनी भौंहे उठाते हुए कहा, “आदित्य ये मज़ाक का समय नहीं है। हमलोग सीरियस हैं।”

आदित्य ने हंसते हुए कहता है, “हां, मैं भी सीरियस हूं। मेरे पास एक ट्रिक है, जो हमेशा काम करती है। तुम्हें बस बात करने का तरीका आना चाहिए।” 

“कौन सा तरीका? हम उनसे बात करने की कोशिश करते हैं लेकिन वे कभी सुनते ही नहीं!” सानिया ने कहा आदित्य की बात का जवाब देते हुए।

आदित्य ने अपना सर हिलाया, “जब तुम अपने पैरेंट्स से बात कर रहे हो, तो अपनी बात कहो और फिर शांत हो जाओ। उन्हें समय दो बोलने के लिए और तुम बस सुनो। उन्हें अपनी चुप्पी महसूस होने दो।”  

अब रिया को आश्चर्य हुआ, “पर यह काम क्यों करेगा?”

आदित्य बोला, “क्योंकि इससे उन्हें सोचने का समय मिलेगा कि तुमने चुपचाप उनकी बातें सुनी। जब मुझे भी रात को बाहर जाना होता है, तो मैं भी यही करता हूं।”

आरव मुस्कुराता है, “तो, तुम कह रहे हैं कि हमें बस एक बम गिरा देना चाहिए और फिर चुप हो जाना चाहिए?”

समझदार बनो

इस पर आदित्य हंसते हुए कहता है, “बिल्कुल नहीं। ईमानदार रहो लेकिन याद रखो कि कम ही ज़्यादा होता है। जैसे, जब मुझे बहार जाना था, मैंने उन्हें बताया मैं कहाँ और किसके साथ जा रहा हूँ। और अपने कुछ दोस्तों के नंबर भी दिए जिससे वो मुझ तक आसानी से पहुँच पाएँ। और उनसे मुझ पर भरोसा करने को कहा।”

सानिया सोचने लगी, “बात तो सही है।”

रिया ने सिर हिलाया, “हाँ, हमें कुछ अलग करने की ज़रूरत है। लेकिन अगर इससे भी कुछ नहीं हुआ तो?”

इस पर ने कहा, “बेशक, हो सकता है सिर्फ यह करना तुम लोगों के लिए काम ना करे, लेकिन मेरे पास कुछ और बातें हैं, जिन्हें तुम अपने मम्मी-पापा के साथ बेहतर बातचीत के लिए ध्यान में रख सकते हो।”

आरव चिढ़ाते हुए कहता है, “हमें ज्ञान दो, हे ईमानदार सीनियर।”

आदित्य हंसते हुए कहता है, “ज़रूर बालक! शुरुआत करने के लिए एक सही मौका चुनो जब तुम और तुम्हारे मम्मी-पापा दोनों अच्छे मूड में हों।”

“हां, ये सही कहा।”

बात करने में दो लगते हैं

आदित्य आगे बोलता है, “मेरी दूसरी सलाह यह याद रखना कि बात करना सिर्फ एक तरफ का काम नहीं है। वे जो कह रहे हैं, उसे केवल सुनो ही नहीं बल्कि उसके पीछे की चिंता को समझो। इससे तुम्हे अपना पक्ष बेहतर ढंग से समझाने में मदद मिल सकती है।”

रिया इंप्रेसड दिखती है, “वाह, मैंने इसके बारे में कभी इस तरह से नहीं सोचा था।”

आदित्य ने सिर हिलाया, “हाँ! और कोशिश करो कि जब तुम ऐसा कर रहे हों तो एक दूसरे पर इलज़ाम भी मत लगाओ। किसी पर उंगलियां उठाकर यह महसूस कराने की बजाय कि वह मुसीबत में है, “मैं” का उपयोग करके उनसे बात करने की कोशिश करो। इसका मतलब है कि तुम इस पर ध्यान दो कि तुम कैसा महसूस करते हो और क्या सोचते हो।’

सानिया कहती हैं, “ऐसा लगता है जैसे तुमने सचमुच इस बहुत पर सोचा है।”

आदित्य मुस्कुराता, “सोचा तो है। शुरुआत में मुझे यह भी नहीं पता था कि अपने पैरेंट्स से कैसे बात करनी है। इसे सफल बनाने में बहुत प्रयास और गलती हुई और इन चीज़ों ने सच में मदद की है। इसके माध्यम से सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक शांत और धैर्यवान बने रहना है।”

“लेकिन कभी-कभी यह बहुत दुखी कर देने वाला होता है। मैं बस चीखना चाहती हूं”, रिया कहती है।

“मुझे पता है कि यह निराशाजनक हो सकता है, लेकिन अपना धैर्य खोने से किसी भी समाधान के बजाय केवल और अधिक बहस होगी इसलिए धैर्य रखो। वे जो कह रहे हैं, उसे सुनों और फिर मिलकर समाधान निकालो। मेरा विश्वास करो, इससे बहुत फर्क पड़ेगा” आदित्य ने उसे आश्वस्त किया।

रिया ने कहा, “हां मैं कोशिश करूंगी कि मैं ना चिल्लाऊं।”

थैंक यू बोलो

आदित्य ने कहा, “और हां, एक और बात तुम्हारे पैरेंट्स जो कुछ भी तुम्हारे लिए करते हैं, उसके लिए थैंक यू बोलना मत भूलना। थोड़ी सी कृतज्ञता बहुत आगे तक जा सकती है क्योंकि दिन के अंत में उनके पास तुम्हारे लिए केवल प्यार और चिंता है।” 

सानिया ने जवाब दिया, “हाँ। मैं अगर कभी कभी ही उन्हें “आई लव यू” बोल देती हूँ तो वो इतना खुश होजाते है। थैंक यू बोलने का तो मैंने कभी सोचा ही नहीं। आज मैं उनके लिए केक बनाउंगी।पक्का। मुझे यकीन है कि उन्हें यह पसंद आएगा।”

आरव कहता है, “मज़ाक से हटके। मुझे लगता है हम ये सब कुछ सच में कर सकते हैं।”

रिया ने हंसते हुए कहा, “तुमने कर दिखाया आदित्या। तुमने आरव को सीरियस कर दिया”

इस पर सभी लोग हँसते है और ब्रेक ओवर हो जाता है। 

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