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जिज्ञासा स्टेशन

ये रेनबो फ्लैग किस देश का है?

जून की महीना चल रहा है। 13 साल की आहना ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर कई इंद्रधनुषी झंडे देखे। उसे नहीं मालूम कि यह किस देश का झंडा है और हर कोई इसे जून में क्यों पोस्ट कर रहा है! क्या उसे अपनी मॉम से पूछना चाहिए?

ये रेनबो फ्लैग किस देश का है

लोगों का झंडा

‘मॉम ये इंद्रधनुषी रंगों वाला झंडा किस देश का है? हैप्पी प्राइड मंथ का क्या मतलब है? ’आहना ने अपनी मां से पूछा। उस वक्त उसकी मॉम अपने लैपटॉप पर काम कर रही थीं।

ताहिरा पिछले तीन महीनों से घर से काम कर रही है। आज शुक्रवार था और आज का काम वो लगभग खत्म ही कर चुकी थी।

ताहिरा ने अपना लैपटॉप बंद करते हुए कहा, ‘एक ही बार में इतने सारे सवाल! हुआ क्या है तुम्हें? ”

‘मॉम, दरअसल, मैंने आपके फोन में अपने इंस्टा अकाउंट पर इंद्रधनुषी झंडा देखा। हमारे स्कूल के कई सीनियर्स ने भी इंद्रधनुषी थीम वाली प्रोफाइल फोटो लगा रखी है। लोग प्राइड मंथ और एलजीबीटी हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं। आखिर इसका क्या मतलब है? ‘, आहना ये सब जानने को इतनी उत्सुक थी कि सारे सवाल एक सांस में पूछ लिए!

आहना, इंद्रधनुषी झंडा किसी भी देश का झंडा नहीं है। यह एक ऐसा झंडा है जो लोगों के एक समूह का प्रतीक है। यह किसी एक देश का झंडा नहीं है बल्कि हर कोई इसका इस्तेमाल प्राइड मंथ मनाने के लिए कर रहा है। प्राइड मंथ हर साल जून में मनाया जाता है। यह एलजीबीटी समुदाय और उनका समर्थन करने वाले लोगों द्वारा मनाया जाता है। रुको, मैं तुम्हें इसके बारे में विस्तार से बताती हूं। एक एक करके।’

ठीक है मॉम, वैसे भी मैं आज पूरे दिन खाली ही हूं! ‘

राजा और राजा की कहानी 

ताहिरा ने कहा, “आहना, हम सब बचपन से ही राजा और रानी, राजकुमार-राजकुमारी, रोमियो और जूलियट, अलादीन और जैस्मीन की कहानियां सुनकर बड़े हुए हैं, है ना? उन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है, वे अपना घर बसाते हैं और इसके बाद खुशी- खुशी अपना जीवन बिताते हैं। ठीक है ना? “

‘हां मॉम, मुझे ऐसी कहानियां बहुत अच्छी लगती थीं। अब आप मुझे कहानियां क्यों नहीं सुनाती? आहना बोली।

आहना, अब सुना रही हूँ ना ! चलो अब हम एक दूसरे नज़रिये से सोचते हैं। अगर एक राजा किसी दूसरे राजा के साथ रहे, या दो राजकुमारियां एक-दूसरे से प्यार करें, या यूं कहें कि अलादीन को राजकुमारी जैस्मीन के बजाय एक जिन्न से प्यार हो जाता है तो कहानी क्या होगी? क्या तुमने कभी इसके बारे में सोचा है? ’ताहिरा ने पूछा।

वाह मॉम, तब तो बहुत मजा आएगा! लेकिन आप सही कर रही हैं, मैंने तो इसके बारे में कभी सोचा ही नहीं। आपका मतलब है कि दो पुरुष घर बसा सकते हैं और एक महिला दूसरी महिला से प्यार कर सकती है! ” आहना यह सुनकर हैरान थी।

‘हां बिल्कुल। यह सम्भव है। समान लिंग के प्रति किसी का आकर्षित होना बिल्कुल सामान्य है। लड़के का लड़कों की तरफ आकर्षित होना और लड़की का लड़कियों की तरफ आकर्षण भी संभव है,’  ताहिरा ने समझाया।

अपने ही जैसे सेक्स के प्रति आकर्षित होने वाले व्यक्ति को होमोसेक्सुअल, लेस्बियन, गे या बाइसेक्सुअल कहा जाता है, जो इस पर निर्भर करता है कि वह किसे पसंद करता है।

ट्रांसजेंडर इससे एक अलग पहचान होती है। इसका मतलब है कि ऐसा व्यक्ति जो जिस सेक्स के साथ के साथ पैदा हुआ है उसके साथ जुड़ाव या खुद को अंदर से वैसा महसूस नहीं कर पाता। जैसे कि, तुम एक लड़की के रूप में पैदा हुई हो, लेकिन एक लड़के की तरह महसूस करती हो, तो तुम्हें ट्रांसजेंडर कहा जाएगा।

जून में प्राइड मंथ

ताहिरा ने कहा, ‘अब प्राइड मंथ पर आते हैं। LGBT (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) समुदाय के सभी लोग दुनिया भर में जून के महीने को प्राइड मंथ के रूप में मनाते हैं। वे मार्च निकालते हैं, कार्यक्रम और संगीत समारोह आयोजित करते हैं और वे जो भी हैं उस पर खुश होते हुए गर्व महसूस करते हैं। ग्लोबल प्राइड डे 27 जून को मनाया जाता है।

‘क्या कोई भी उनके मार्च में शामिल हो सकता है?’ आहना ने पूछा

‘हां भले ही आप LGBT समुदाय से नहीं हैं, लेकिन यदि आप उनके समर्थन में आना चाहते हैं, तो बेशक आप एक सहयोगी या मित्र के रूप में समारोह में शामिल हो सकते हैं। ताहिरा ने बताया कि यह उस समुदाय के अपने दोस्तों को समर्थन देने, उन्हें सुनने और उनके जीवन के बारे में अधिक जानने का अच्छा अवसर है।

क्या यह भारत में भी मनाया जाता है? ” आहना ने पूछा।

हां, यह भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है। अब लगभग दो दशकों से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु सहित अधिकांश बड़े शहरों में प्राइड मार्च आयोजित किए जाते हैं। यह भुवनेश्वर, केरल, भोपाल सूरत, हैदराबाद, चंडीगढ़, गुवाहाटी, भवानीपटना (ओडिशा), गुरुग्राम और यहां तक कि देहरादून जैसे शहरों में भी आयोजित किया जाता है।

‘मॉम, दिल्ली में प्राइड परेड कब हो रही है? ‘

‘ताहिरा, मुझे नहीं लगता कि यह इस साल होगा। दुर्भाग्य से, 2020 में COVID-19 महामारी की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को बनाए रखने के लिए बहुत सारे उत्सवों का आयोजन ऑनलाइन किया जा रहा है।’

‘हम्म, यह तो बड़े दुःख की बात है, काश एक दिन मैं प्राइड परेड देख पाती। बहुत मजा आता!’

‘बेशक, अगले साल हम प्राइड परेड देखने जाएंगे’, ताहिरा ने आहना को आश्वासन दिया।

अतीत में झांकना

‘लेकिन मॉम, यह सब कैसे शुरू हुआ – मेरा मतलब प्राइड मंथ कब से मनाया जा रहा है?’ आहना के सवाल अभी खत्म नहीं हुए थे।

‘अच्छा सवाल पूछा तुमने!’

ताहिरा ने बताया, ‘खैर, यह शुरुआत थोड़ी दुखद है। 28 जून 1969 को न्यूयॉर्क में एक गे बार पर पुलिस ने छापा मारकर लोगों को गिरफ्तार किया क्योंकि उस समय समलैंगिक लोगों को स्वीकार नहीं किया जाता था। अमेरिका में भी इनका तिरस्कार किया गया। लोगों ने विद्रोह कर दिया और तीन दिनों तक दंगे चले। इन दंगों ने न केवल अमेरिका में बल्कि अन्य देशों में भी एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के लिए आंदोलन का रास्ता साफ कर किया।

एकता के रंग

मॉम यह सब कितना रोचक हैं, लेकिन इंद्रधनुषी झंडा कैसे सामने आया?,’ आहना ने पूछा।

‘मैं इसके बारे में सच में नहीं जानती! रुको एक मिनट मुझे गूगल करने दो।’

ताहिरा ने फोन से पढ़ते हुए बताया कि, ‘आहना, 1978 में आर्टिस्ट और डिजाइनर गिल्बर्ट बेकर ने सैन फ्रांसिस्को के प्राइड मंथ के समारोहों के लिए पहला इंद्रधनुषी झंडा बनाया था। ताहिरा ने कहा कि इंद्रधनुष के रंग एलजीबीटी समुदाय के भीतर कई समूहों का प्रतीक हैं।

‘ओह एकता के लिए इतना सुंदर प्रतीक! मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है!,’ आहना ने अपनी मॉम को गले लगाते हुए कहा, ‘आपसे बातचीत करके मुझे कितना कुछ जानने को मिला।’

‘क्या हम आज प्राइड मंथ मनाने के लिए पिज्जा ऑर्डर कर सकते हैं?’, आहना ने कहा

‘चलो आज घर पर ही बनाते हैं! तुम्हारा क्या कहना है? लेकिन हम इंद्रधनुषी पिज्जा बनाने की कोशिश करेंगे ! ‘ताहिरा मुस्कुराई और आहना को अपने साथ किचन में ले गई।

क्या आपके मन में ऐसे कोई बात है जो आप हमसे पूछना चाहते हैं? अपनी बात कमेंट बॉक्स में लिखे। लेकिन याद रहे असभ्य भाषा का प्रयोग बिलकुल नहीं! कमेंट बॉक्स में कोई निजी जानकारी भी न लिखे।

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