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जिज्ञासा स्टेशन

‘वह थेरेपिस्ट के पास क्यों जाता है?’

जिया के (14) दोस्त मुकुंद ने हाल ही में अपनी व्यवहारिक दिक्कतों को लेकर एक थेरेपिस्ट को देखना शुरू किया है। वह नहीं जानती कि थेरेपिस्ट कौन होता है और वो कैसे उसके दोस्त की मदद कर सकता है। क्या उसे अपनी माँ से इसके बारे में पूछना चाहिए?

क्या हुआ, मुकुंद?

रोज़ की तरह ही स्कूल का दिन है जिसमे सब बच्चे फ्री पीरियड में बातें और खेल कूद कर रहे हैं। जिया अपनी सीट पर बैठकर अपना काम कर रही थी जब उसने देखा कि मुकुंद थोड़ा परेशान लग रहा है- वो अपने नाखून चबा रहा था और अपने पैर हिला रहा था। वो गहरी साँस भी ले रहा था जैसे खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा हो।

पिछले कुछ हफ्तों से मुकुंद के व्यवहार में बदलाव आया था। पहले उसका सभी के साथ झगड़ा हो रहा था और लगभग सभी शिक्षकों से डांट भी खा रहा था। पर अब ऐसा कम होने लगा था।

“क्या हुआ मुकुंद? तुम कुछ परेशान लग रहे हो!” जिया ने पूछा।

मुकुंद ने कहा, “मैं सिर्फ वही करने की कोशिश कर रहा हूँ जो मिस निहारिका ने मुझे करने के लिए कहा था”।

“वह कौन है? कोई नई टीचर? उनके बारे में कभी सुना नहीं”, जिया ने कहा।

“अरे नहीं नहीं वह स्कूल में शिक्षक नहीं है। वह मेरी थेरेपिस्ट है। मैं उन्हें स्कूल के बाद मिलता हूँ और उन्होंने मुझे शांत होने के कुछ तरीके सिखाए हैं जब मैं बेचैनी या गुस्सा महसूस कर रहा हूँ तो”, मुकुंद ने जवाब दिया।

“क्या हुआ, मुकुंद? सब ठीक तो है? तुम्हारा मतलब है तुम एक डॉक्टर देख रहे हो?” जिया से पूछा।

“नहीं, नहीं, डॉक्टर नहीं। वह एक थेरेपिस्ट है। यह थोड़ा अलग है। तुम्हें तो पता है कैसे मेरा सबसे झगड़ा हो जा रहा था और मुझे गुस्सा भी बहुत आने लगा था। मुझे कितनी बार प्रिंसिपल ऑफिस भी जाना पड़ा”, मुकुंद ने समझाया ।

तभी घंटी बजी और अगली क्लास का समय हो गया। इससे पहले कि वे अंदर जाते, मुकुंद ने जिया से कहा, “मेरे थेरेपिस्ट के बारे में किसी को मत बताना। वरना सब मुझे ‘पागल’ कह कर चिढ़ाएंगे!”

क्या हुआ, मुकुंद

थेरेपिस्ट कौन है?

“मम्मा, थेरेपिस्ट क्या होता है?” जिया ने घर पहुँचते ही पूछा। उनकी मां, अंजलि, कपड़े तह कर रही थीं और जब उनकी बेटी ने यह अचानक ही ये सवाल पूछा तो थोड़ा हैरान हो गईं।

“तुम यह शब्द कहाँ सुना?” अंजलि से जिया से पूछा।

“मम्मा, आपको मुकुंद याद है? मेरा सहपाठी जिसका गुस्सा हमेशा उसकी नाक पर रहता था? उसने आज मुझे बताया कि वह स्कूल के बाद एक थेरेपिस्ट को देख रहा है”, जिया ने उत्तर दिया।

“जिया, लोग अक्सर एक थेरेपिस्ट के पास जाते हैं जब वे अपनी भावनाओं को समझने में परेशानी महसूस कर रहे होते हैं। मुकुंद की बात करें तो- मुझे लगता है वो ज़रूर उसके गुस्से को लेकर होगा।”

“लेकिन मम्मा, मुकुंद इतना स्ट्रांग है। वह हमेशा शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहता है और फुटबॉल भी खेलता है। वह बीमार या अस्वस्थ भी नहीं दिखता है”, जिया कुछ आश्चर्यचकित थी।

“जिया, थेरेपिस्ट हमें मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने या भावनाओ को बेहतर कण्ट्रोल करने में मदद करते है। शारीरिक तकलीफों लिए नहीं। भले ही कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से बीमार नहीं दिखता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे मानसिक या भावनात्मक रूप से ठीक हैं”, अंजलि ने जवाब दिया।

“सही मम्मा, उसका गुस्सा अब थोड़ा नियंत्रित हो गया है। इस हफ्ते उसका झगड़ा नहीं हुआ! तो क्या अब वह बिलकुल ठीक हो गया हैं’, जिया ने पूछा।

“हो सकता हैं पर अक्सर, यह एक लंबी प्रक्रिया होती है और इसमें समय लगता है”, अंजलि ने जवाब दिया।

“तो मम्मा हम क्या हम थेरेपिस्ट को तभी देखते हैं जब हमसे अपना गुस्सा या उदासी काबू नहीं होता?

“नहीं, जिया। आप एक थेरेपिस्ट को तब भी देखते हैं जब आप परेशान महसूस कर रहे हों, बेहद दुखी हों, या कुछ भावनात्मक या मानसिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हों जो जो आपके और आपके आस पास वालों की रोज़ की के जीवन में बाधा डालता है। 

लोग थेरेपिस्ट के पास तब भी जाते हैं जब वे किसी मानसिक बीमारी से गुज़र रहे होते हैं, जिससे वो अपना इलाज करवा पाएं, वैसे ही जैसे हम किसी शारीरिक बीमारी का इलाज कराते हैं। थेरेपिस्ट आपको बेहतर महसूस करने में मदद करता है”, अंजलि ने धैर्य से जवाब दिया।

यह कैसे काम करता है?

“पर ये कैसे काम करता है मम्मा? एक थेरेपिस्ट से बात करना?” जिया ने फिर पूछा।

“जिया, जब हम एक थेरेपिस्ट के पास जाते हैं, तो हम अपनी समस्याओं और अपनी भावनाओं को उनके सामने व्यक्त करते हैं, वे धैर्य से सुनते हैं और उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। इस तरह से हम अपने बुरे अनुभव और विचारों का बोझ हल्का करपाते हैं। वे हमारी बात को समझते हैं और हमारी इस सब में मदद भी करते हैं। इस से हम भी बेहतर महसूस करते हैं और हमे अपनी समस्याओं का सामना करने में मदद भी मिलती है”, अंजलि ने बताया।

“लेकिन मम्मा, आप तो मुझे हमेशा अजनबियों से बात करने के लिए मना करती हैं तो मैं अपनी भावनाओं के बारे में किसी अजनबी से बात क्यों करूँ?” जिया ने पूछा।

“थेरेपिस्ट पेशेवर हैं जो आपकी समस्याओं और उनके पीछे के विभिन्न कारणों को समझने में आपकी सहायता करते हैं। ये उनका काम होता है, अजनबियों से बात कर के उनकी समस्याओं का हल निकलने में उनकी मदद करना। वह आपको खुद को बेहतर समझने में भी मदद करते हैं”, अंजलि ने जवाब दिया।

यह नार्मल है

“एक और सवाल मम्मा। मुकुंद ने यह भी कहा कि मैं ये किसी को ना बताऊँ की वह थेरेपिस्ट के पास जाता हैं नहीं तो सब तो  उसे ‘पागल’ जैसे नामों से पुकारेंगे! उसने ऐसा क्यों कहा? क्या एक थेरेपिस्ट को देखना सामान्य हीं है?” जिया ने पूछा।

“जिया, एक थेरेपिस्ट के पास जाने में कुछ भी गलत नहीं है अगर आपको लगता है कि आपको किसी भी प्रकार के मार्गदर्शन या सहायता की आवश्यकता है, यह पूरी तरह से सामान्य है। वो आपको होने वाली सभी समस्याओं से निपटने में प्रभावी रूप से मदद करते हैं। एक थेरेपिस्ट से अपनी समस्याओं के लिए मदद माँगने में कुछ भी गलत नहीं है। यह बहुत आम बात है”, अंजलि ने समझाया कि मदद के लिए किसी थेरेपिस्ट से मिलना आपको असामान्य या मानसिक नहीं बनाता है।

“मैं मुकुंद को यह बताऊँगी”, जिया ने मुस्कराते हुए कहा।

“मुझे तुम पर गर्व है जिया। अगर तुम्हें कभी भी थेरेपिस्ट पर जाने की ज़रूरत महसूस हो तो घबराना मत, मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूंगी। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ”, अंजलि ने जवाब दिया और जिया को गले लगाया।

थेरेपिस्ट कौन है

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