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सुकून वाला कोना

मम्मी-पापा का एक ‘शाबाश!’ दिल को इतना सुकून क्यों देता है?

कभी सोचा है मम्मी-पापा का एक छोटा सा “शाबाश!” सुनकर इतना अच्छा क्यों लगता है? असल में इसके पीछे साइंस है! और ये आपकी आत्म-विश्वास, इमोशन्स को संभालने और टेंशन को कम करने में बहुत मदद करता है।तो चलो आज की साइंस लैब में जानते हैं, ये तारीफ़ या बढ़ावा देना क्यों ज़रूरी है और कैसे आपके मन की सेहत के लिए फायदेमंद है।

पॉज़िटिव रिइन्फोर्समेंट क्या होता है?

जब कोई आपकी अच्छी बातों को देखकर आपको शाबाशी देता है, गले लगाता है या आपकी मदद करता है—उसे कहते हैं पॉज़िटिव रिइन्फोर्समेंट। इसका मतलब है कि जब आप कुछ अच्छा करते हो और कोई आपको प्यार से तारीफ देता है, तो आपके मन को खुशी मिलती है और आप उस अच्छा काम को दोबारा करने के लिए मोटिवेट होते हो।
जैसे जब आप कोई प्रोजेक्ट अच्छे से बनाते हो या किसी दोस्त की मदद करते हो, और मम्मी-पापा कहते हैं “वाह! बहुत अच्छा किया!”—तो इससे आपको और अच्छा करने का मन करता है।

ये कैसे मदद करता है?

  1. आत्म-विश्वास बढ़ता है
    सोचो आपने स्कूल की नाटक ऑडिशन दी लेकिन लीड रोल नहीं मिला। अब अगर मम्मी-पापा कहें “बहुत हिम्मत दिखाई तुमने ऑडिशन देने में!”—तो आप खुश हो जाते हो। इससे आपको सिर्फ रिज़ल्ट नहीं, अपनी मेहनत पर भी गर्व होता है। और आगे चलकर आपको नई चीज़ें आज़माने में भी आसानी होगी। 
  2. इमोशनल ताकत बनती है
    मान लो मैथ्स का सवाल बहुत मुश्किल है और आप हार मानने वाले हो। लेकिन मम्मी कहती हैं, “कोशिश तो कर रहे हो, यही सबसे ज़रूरी है।” इससे आप हार नहीं मानते और सीखना जारी रखते हो। ऐसा हौसला बढ़ाना आपको रेसिलिएंस सिखाता है — यानी मुश्किलों से लड़कर फिर से उठ खड़े होने की ताक़त।
    और ये ताक़त तो मानो दिमाग़ी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी होती है!
  3. मम्मी-पापा से प्यार और भरोसा बढ़ता है
    एक हग, एक हाई-फाइव या “हम तुमसे बहुत खुश हैं”—ये बातें दिल को सिक्योर फील कराती हैं। फिर आप आसानी से अपने दिल की बातें भी शेयर कर पाते हो।और तो और इससे लम्बे समय में एंग्जायटी या स्ट्रेस भी कम होता है। 
  4. हार को भी समझदारी से संभाल पाते हो
    फेल होना किसी को भी पसंद नहीं होता पर तारीफ या बढ़ावा मिलने से अपनी गलतियों से सीखना थोड़ा आसान हो जाता है। जैसे अगर कोई टेस्ट खराब गया और मम्मी-पापा कहते हैं “गलती से ही सीखते हैं,” तो आप खुद को दोषी नहीं मानते बल्कि अगली बार बेहतर करने का सोचते हो।
  5. दोस्ती और रिश्ते मज़बूत बनते हैं
    अगर आपको तारीफ़ मिलती है कि “तुमने अपने दोस्त की कितनी मदद की,” या “तुम एक बहुत अच्छे दोस्त हो!” तो आप और अच्छे दोस्त बनने की कोशिश करते हो। इससे रिश्ते मजबूत होते हैं।
  6. स्ट्रेस कम होता है, पॉज़िटिविटी बढ़ती है
    अगर कोई बोले “कोई बात नहीं, अगली बार ज़रूर कर लोगे,” तो मन खुश होता है। परफेक्ट बनने का प्रेशर कम होता है और दिमाग शांत रहता है।
  7. दिमाग खुलता है, नए आइडिया आते हैं
    जब मम्मी कहती हैं “ये तो बहुत अच्छा आइडिया है!” तो आप नए आइडिया सोचने लगते हो और कुछ नया करने में मज़ा आता है।

पॉज़िटिव रिइन्फोर्समेंट कैसा दिखता है?

ज़रूरी नहीं कि हर बार गिफ्ट ही मिले। कभी-कभी छोटे-छोटे काम भी बहुत मायने रखते हैं:

  • होमवर्क पूरा करने पर शाबाशी

  • “आज तुमने अपने दोस्त के लिए बहुत अच्छा किया!”

  • काम पूरा करने पर एक्स्ट्रा खेलने का टाइम

  • कोई छोटा सा सेलिब्रेशन जैसे आपकी पसंदीदा डिश

  • लगातार मेहनत पर एक मज़ेदार मूवी नाइट

आख़िर में

पॉज़िटिव रिइन्फोर्समेंट मतलब झूठी तारीफ़ नहीं। इसका मतलब है आपकी असली कोशिश को पहचानना और सराहना करना। इससे आप खुलकर सोचते हो, सीखते हो और आगे बढ़ते हो।

तो अगली बार जब कोई दोस्त मेहनत करता दिखे, तो बोल देना – “तुम कर सकते है!”
खुद पर भरोसा रखो, सीखते रहो और हमेशा ज़बरदस्त बने रहो!

क्या आपके पास साइंस लैब के लिए कोई प्रश्न हैं? उन्हें नीचे टिप्पणी बॉक्स में पोस्ट करें। हम अपने आगामी लेखों में उन्हें जवाब देंगे। कृपया कोई पर्सनल जानकारी न डालें। 

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