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फीलिंग्स एक्सप्रेस

‘मैंने अपना इंस्टा अकाउंट बंद कर दिया’

“क्या सोशल मीडिया पर हमेशा ऐक्टिव रहना ज़रूरी है, हर चीज के लिए समय पर जवाब दो, लोगों को जन्मदिन की शुभकामनाओं दो, हर नई पोस्ट पर अपनी राय दो, भले ही मेरा मन भी ना हो”, सान्या ने टीनबुक के साथ अपनी डायरी का एक पेज शेयर किया जो उसने दक्षिण भारत के एक गाँव में गांव में हथिनी को पटाखे खिलाए जाने वाले वाकये के बाद लिखा था।

पोस्ट करना होगा

मुझे इंस्टाग्राम पर तीन साल हो गए हैं। मुझे इंस्टा पर अपने दोस्तों से बात करना, हस्तियों और दिलचस्प एकाउंट्स को फॉलो करना पसंद है। मैंने बहुत सी चीजें सीखी, कई लोगों के साथ जुड़ी भी और तो और मुझे बहुत से क्रिएटिव लोगों के साथ बातचीत करने का मौका भी मिला। और ये सब मुझे पसंद भी था पर कल से पहले तक!

इस टॉपिक पर नीचे दिया गया वीडियो ज़रूर देखें :

पिछले हफ्ते नमन ने मुझसे पूछा कि मैंने उस घटना के बारे में कुछ पोस्ट क्यों नहीं किया, जहां एक गर्भवती हाथी की मौत हो गई क्योंकि कुछ गाँव वालों ने उसे एक नारियल के अंदर पटाखे  खिला दिए थे। मैंने खबर के बारे में सुना था और मुझे बहुत बुरा भी लगा।

मैंने नमन को बताया कि मुझे इस घटना के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी इसलिए मैं इसके बारे में कुछ कहना नहीं चाहती थी ।

लेकिन नमन नाराज़ होकर कहने लगा की मुझे हमेशा ऐसे गंभीर चीज़ों के बारे में बोलना ही चाहिए। उसका कहना था कि अगर मैं उस हाथी के बारे में आवाज़ नहीं उठाऊँगी तो सबको लगेगा की मैं उन घायल जानवरों की फ़िक्र नहीं करती।

पोस्ट करना होगा

काली भेड़ नहीं हो सकती

निया, अयान और मेरे अन्य दोस्तों ने भी मुझसे यही सवाल पूछा। उन सभी ने उस हाथी की तस्वीरें अपनी टाइम लाइन पर शेयर की थीं। बहुत सारे लोगों ने उनके पोस्ट पर कमैंट्स और कमैंट्स का जवाब दिया था। वे निश्चित थे कि इन मुद्दों पर एक स्टैंड होना ज़रूरी है, और अगर मैं चुप रही तो हर कोई यह मान लेगा कि या तो मैं अपनी राय पर बहस करने से डरती हूँ या मैं इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देती।

लेकिन यह सच नहीं था! मुझे परवाह है! सच्चाई यह है कि मैं इस घटना के बारे में राय रखने के लिए पूरी घटना से अच्छी तरह वाक़िफ़ नहीं थी। लेकिन नमन ने कहा, “कोई चिंता की बात नहीं है यार, हर कोई इसके बारे में पोस्ट कर रहा है, इसलिए तुम्हें भी इसके बारे में पोस्ट करना चाहिए। तुम हमारे ग्रुप की काली भेड़ तो नहीं हो सकती ना”।

मैं सिर्फ इसलिए किसी लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी क्योंकि मैंने ऐसे विषय के बारे में बात की जिसके बारे में मुझे सही जानकारी नहीं थी। हालांकि, मुझे अपने ग्रुप में एक काली भेड़ होने का भी डर था। उफ़ इतना दबाव! इसलिए मैंने कल अपना अकाउंट ही बंद कर दिया। उसके बाद मुझे थोड़ा अच्छा लगा, पर शायद थोड़ा ही।

सही या नहीं?

लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो मुझे इंस्टाग्राम याद आता है। मुझे लग रहा है कि मैंने अपना अकाउंट बंद कर के गलती की है। मैं इसके बारे में दीदी से बात करुँगी। लेकिन अब मैं सोच रही हूँ, क्या सोशल मीडिया पर हमेशा ऐक्टिव रहना ज़रूरी है, हर चीज के लिए समय पर जवाब देना, लोगों को जन्मदिन की शुभकामनाओं का जवाब देना, हर नई पोस्ट पर अपनी राय देना भले ही मेरा मन भी ना हो।

मुझे आश्चर्य है कि लोग किसी और को समझने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं और तुरंत उन्हें जज करना शुरू क्यों कर देते हैं। मुझे आशा है कि किसी के पास इन सवालों के जवाब होंगे!

सही या नहीं?

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