मुझे नए स्कूल के पहले दिन बहुत डर लग रहा था
नए स्कूल में जाना थोड़ा डरावना हो सकता है, नए चेहरे और समझना की इन सब में कैसे मिलना-जुलना है। विनायना ने टीनबुक के साथ अपनी डायरी का पेज शेयर किया, जिसमें उसने बताया कि एक दिन जो घबराहट से शुरू हुआ, वो आखिरकार एक खूबसूरत दोस्ती में कैसे बदल गया!
प्रिय डायरी,
आज भी मुझे याद है जब मैं पहली बार उस क्लास में जा रही थी, तो मैं बहुत घबराई हुई थी। मैंने नया स्कूल जॉइन किया था, और नया स्टूडेंट होना हमेशा डरावना होता है—और जब आप व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं, तो और भी ज्यादा। मेरी क्लास के बच्चे मेरे बारे में क्या सोचेंगे? क्या वे मुझे घूरेंगे? क्या मुझे नज़रअंदाज़ करेंगे? या फिर मुझ पर दया करेंगे?
मैंने एक गहरी सांस ली और जितना हो सकता था मुस्कुराई। मुस्कुराना हमेशा मुझे बेहतर महसूस कराता है, भले ही मुझे खुद पर यकीन न हो।
जैसे ही मैं क्लास में जा कर बैठी, मैंने एक लड़की को देखा – उसके घुंघराले बाल और उत्सुक चेहरा था। वह बार-बार मुझे देख रही थी, लेकिन कुछ कह नहीं रही थी। मुझे लगा कि वह मुझसे बात करना चाहती है, लेकिन उसे शुरू करने का तरीका नहीं समझ आ रहा था। मैं भी कुछ कहना चाहती थी, लेकिन उससे पहले ही हमारी टीचर ने उसे हिम्मत दी।
वह थोड़ी झिझकते हुए मेरे पास आई और बोली, “हाय, मैं मीरा हूँ। क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूं?” उसकी आवाज़ नर्म थी, और मैं समझ सकती थी कि वह थोड़ी घबराई हुई थी।
“बिल्कुल!” मैंने कहा, ताकि वह थोड़ा बहतर महसूस करे।
मीरा मेरे पास बैठी और हम बात करने लगे। उसने मेरी व्हीलचेयर और सेरेब्रल पाल्सी ( मेरी विकलांगता जिसकी वजह से मैं चल नहीं पाती और ठीक से बात नहीं कर पाती) के बारे में पूछा। मुझे उसकी ईमानदारी बहुत अच्छी लगी—यह मेरे लिए नया था। मैंने समझाया, “इसका मतलब है कि मेरे मांसपेशियां हमेशा वैसे काम नहीं करतीं जैसे मुझे चाहिए। कभी-कभी मुझे मदद की जरूरत होती है, लेकिन मैं बहुत सी चीजें कर सकती हूं, बस अपनी तरह से।”
फिर उसने मुझे अपने बारे में बताया— कि उसे ड्राइंग करना और कहानियाँ बनाना बनाना कितना पसंद है। मेरी आँखें चमक उठीं। “मुझे भी स्केचिंग देखना बहुत पसंद है, और मैं सोच रही थी कि एक लड़की पर कहानी लिखूँ जो जानवरों से बात करती है।”
उसके बाद तो हमारी बात ऐसे होने लगी जैसे हम पहले से दोस्त थे। हम मस्ती करते हुए हंसी-मज़ाक करते, आर्ट पर भी हमने बहुत बातें करते, और यहां तक कि लंच में भी साथ बैठे।
दिन ख़तम होने तक, मैं हल्का और बहतर महसूस कर रही थी। मीरा सिर्फ दयालु ही नहीं, वह जिज्ञासु, मजेदार और सच्ची थी। उसने मेरी व्हीलचेयर को कोई रुकावट नहीं समझा; उसने मुझे वैसे ही देखा जैसी मैं हूं।
जब हम घर जा रहे थे, मुझे एक बात समझ में आई: नई शुरुआत डरावनी हो सकती हैं, लेकिन वो आपके लिए बहुत अच्छी भी हो सकती हैं। मैंने यहाँ अपनी पहली दोस्त बनाई—एक ऐसी दोस्त, जिसने उन बातों पर ध्यान देने की जगह जो हमे अलग बनती हैं, उन बातों को देखा जिनमे हम बिलकुल एक जैसे हैं।
क्या आप अपनी भावनाओं को टीनबुक के साथ साझा करना चाहेंगे? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में भेजें! याद रखें, कोई भी व्यक्तिगत जानकारी कमेंट बॉक्स में न डालें।