मैं बहुत कन्फ्यूज्ड थी!
स्नेहा क्लास 11 के लिए अपने सब्जेक्ट्स चुनते समय बहुत तनाव महसूस कर रही थी। उसने अपना निर्णय गलत कारणों की वजह से लिया और बाद में उसे पछतावा भी हुआ। आखिरकार उसे अपनी गलती का एहसास कैसे हुआ? उसने अपनी कहानी टीनबुक से शेयर की।
फोटो: शटरस्टॉक/Creativa Images/फोटो में व्यक्ति मॉडल है। नाम बदल दिए गए हैं।
समय नहीं था!
मुझे लगता है कि मैं पढ़ाई में अच्छी हूँ। कक्षा 10 में, जब मेरी बोर्ड की परीक्षा थी, तो मेरा ध्यान पढ़ाई पर इतना ज़्यादा लगा हुआ था कि मैंने अगले साल के सब्जेक्ट्स चुनने के बारे में सोचा भी नहीं।
कक्षा 10 के अंत में, हम सभी को भरने के लिए एक फॉर्म मिला, जहां हमें कक्षा 11 और 12 के लिए अपने सब्जेक्ट्स चुनने थे। मैं परेशान थी। मुझे लगा कि मेरे पास और समय होगा। मुझे एहसास हुआ कि मुझे जल्दी फैसला लेने की जरूरत थी। मैंने घबराकर उन सब्जेक्ट्स को ढूंढ़ना शुरू कर दिया जो मुझे पसंद या नापसंद थे।
लेकिन उन सब्जेक्ट्स के लिए मेरी पसंद या नापसंद के बावजूद, मैंने ठान रखा था, कि मैं फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स ही चुनूँगी। मैं बताती हूँ क्यों!
अलग नहीं होना चाहती थी
सबसे पहली वजह थे मेरे दोस्त और ये कि वो कौन से सब्जेक्ट्स चुन रहे थे। मैंने उनसे बात की और पता चला कि उनमें से ज़्यादातर ने साइंस लेने का फैसला किया था और केवल कुछ ही लोग कॉमर्स या आर्ट्स ले रहे थे। और जो लोग साइंस नहीं ले रहे थे वो उन्हें जज कर रहे थे!
मैं सबसे अलग नहीं होना चाहती थी, जब मेरे पास सबके साथ रहने का इतना अच्छा मौका था। साइंस लेने की ये भी एक वजह थी।
“स्कूल खत्म करने के बाद कॉमर्स और आर्ट्स वाले छात्रों की तुलना में, तुम्हारे पास करियर चुनने के ज़्यादा ऑप्शन होंगे, स्नेहा!” तारिणी ने कहा।
मुझे अपने दोस्तों की बात पर बहुत आसानी से यकीन हो गया था। उसके ऊपर, मेरे रिश्तेदारों ने भी मेरे निर्णय पर टिप्पणियां की थी।
मुझे कुछ महीने पहले यह बताते हुए मेरे चाचू याद आए, “मैथ्स बहुत ज़रूरी है बेटा। उसके बिना तुम्हारे ऑप्शंस बहुत ही कम हो जाएंगे। तब तुम क्या करोगे?”
बहुत बड़ा संघर्ष
हालाँकि मेरे माँ-पापा ने इसमें मेरा बहुत साथ दिया। उन्होंने मुझे समझाया कि ये निर्णय मुझे किसी और की परवाह किये बिना लेना चाहिए पर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और साइंस ही ली।
मुझे लगा कि मैं सही कर रही हूँ और मेरे सभी दोस्त मेरे साथ होंगे। मज़ा आएगा! पर मैं बहुत गलत थी!
क्लास 11 में दो महीने बाद ही मुझे एहसास होने लगा कि मैं क्लास में पढ़ाए गए सब्जेक्ट्स ना समझ पा रही हूँ ना याद रख पा रही हूँ। और क्लास 10 के बाद मुझे वो सब बहुत मुश्किल लग रहा था!
मैं समझ नहीं पा रही थी कि ये बात अपने माँ-पापा को कैसे बताऊं इसलिए मैंने अपनी एक सीनियर से बात करने का फैसला लिया।
“अरे रिलैक्स स्नेहा! तुम्हे ये बात अपने माँ-पापा को बता देनी चाहिए क्योंकि समय के साथ पढ़ाई और मुश्किल होती जाएगी और फिर तुम्हे पछतावा होगा कि तुमने समय रहते अपने सब्जेक्ट्स क्यों नहीं बदले”, शमिता दीदी ने कहा।
माता-पिता से बात
अपने सीनियर के अनुभव सुनने के बाद, मैंने आखिरकार अपने माँ-पापा से बात करने का फैसला किया। मेरे माँ-पापा खुश थे कि मुझमें उनसे बात करने की हिम्मत थी। तो बहुत सारी रिसर्च और अपनी पसंद, नापसंद, योग्यता और भविष्य को ध्यान में रखते हुए मैं एक निर्णय पर आई।
मैंने मैथ्स के साथ आर्ट्स लेने का फैसला किया। मेरे स्कूल ने सभी बच्चों को दो महीने का समय देने का फैसला किया था, जिससे अगर किसी को मेरी तरह अपने सब्जेक्ट्स बदलने हो तो वे ऐसा कर सकें!
लेकिन अफ़सोस, सभी स्कूल अपने छात्रों को यह ऑप्शन नहीं देते हैं। इसलिए क्लास 11 में अपने सब्जेक्ट चुनते समय ये बहुत ज़रूरी है कि आप किसी भी दबाव में ना आए। इसलिए अपने भविष्य के लिए ज़रूरी निर्णय लेते समय अपनी रिसर्च करें और सभी चीज़े ध्यान में रखें।।
मेरी कुछ राय
मेरी सलाह – अपने अंतर्मन की सुनो। अपने साथ वालों, दोस्तों या परिवार के दबाव में आकर नहीं। आपको पता है कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है। अगर आप परेशान महसूस करते हो तो किसी काउंसलर से बात करो पर जल्दबाज़ी में ये निर्णय बिलकुल भी ना लो। अपना समय लो।
और यहाँ तक की अगर आपने अपने कोई सब्जेक्ट्स ले लिए हैं पर नहीं समझ पा रहे हैं, तो घबराना नहीं। अपने घरवालों से या टीचर से बात करें। जितनी जल्दी उतना अच्छा!
फोटो: शटरस्टॉक/Daniel M Ernst/फोटो में व्यक्ति मॉडल है। नाम बदल दिए गए हैं।
क्या आप कभी ऐसी स्थिति में आए हैं? आपने कैसा महसूस किया? क्या आपने इसके बारे में कुछ किया? नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ शेयर करें। याद रखें, कोई भी व्यक्तिगत जानकारी कमेंट बॉक्स में न डालें।