कछुए, खरगोश की रेस – कौन जीतेगा?
तो पेश है कछुए और खरगोश की कहानी एक टीनबुक तड़के के साथ! बस इसमें ऐनी (11) को कछुआ और क्लास के सारे बच्चों को खरगोश मान लीजिये। क्या इस बार कछुआ रेस जीत पाएगा? चलो पता करते हैं!
‘ना स्मार्ट ना कोई टैलेंट’
जैसे ही ब्रेक की घंटी बजी, ऐनी के क्लास के सभी बच्चों ने अपने अपने टिफिन बॉक्स पकड़े और खाने, चैट करने और खेलने के लिए कक्षा से बाहर निकल गए। सिवाय ऐनी – एक 15 साल की लड़की के – जिसका कोई दोस्त नहीं था। उन सभी टीनएजर्स से अलग जो अपने दोस्तों के साथ गॉसिप, खेल-कूद और मज़े करते थे, ऐनी हमेशा अपनी क्लास के एक कोने में अकेली बैठी रहती थी।
वो स्कूल में हमेशा अलग महसूस करती थी क्योंकि वो अपने साथ के बाक़ी बच्चों की तरह खेल या पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी। वो नील की तरह बनना चाहती थी जो बहुत अच्छा डांस करता था, या प्रेरणा की तरह जो ड्रॉइंग में बहुत अच्छी थी। वो ज़हीर की तरह गाना चाहती थी या शायद विन्नी की तरह बडंमिंटन में बहुत सारे मेडल जीतना चाहती थी या राधा के जैसे मैथ्स में सबसे आगे बढ़ना चाहती थी।
उस दिन उसकी टीचर ने उसे वहाँ अकेले बैठे देख लिया। मिस नंदिनी उसके पास और उससे पूछने लगी,”अरे तुम यहाँ अकेले क्यों बैठी हो? अपने दोस्तों के साथ बाहर क्यों नहीं हो?
“मैडम, मेरे कई दोस्त नहीं हैं।”
“और ऐसा क्यों है, ऐनी?”
“मैं उनकी तरह ना तो स्मार्ट हूँ और ना ही मुझ में कोई ख़ास टैलेंट है”, ऐनी ने जवाब दिया और उसकी आँखों में आँसू आ गए।
उसकी टीचर ने उसे बहुत प्यार से समझाते हुए कहा, “बेटा आपको सबके साथ के लिए उनके जैसा बनने की ज़रूरत नहीं है। सब अपने आप में ख़ास होते हैं। तुम्हें बस अपना टैलेंट ढूंढ कर उस पर मेहनत की ज़रूरत है।”
बस थोड़ी सी मदद
टीचर उसे देख कर मुस्कुराई और वहाँ से चली गयी। ऐनी अपनी टीचर की कही बातों के बारे में सोचती रही पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो यही सोच रही थी कि उसकी वो ख़ास बात क्या है।
कुछ दिनों बाद मिस नंदिनी ने कक्षा में एक घोषणा की, “छात्रों, एक हफ्ते में हमारी कक्षा को एक टैलेंट शो करना है और मैं चाहती हूँ कि आप सभी इसमें हिस्सा लें। कृपया उसी के लिए अपने नाम जमा करें।”
हर कोई सच में इसे लेकर उत्साहित था। नील ने डांस, प्रेरणा ने रंगोली और ज़हीर ने एक गीत के लिए अपने नाम दिए, वहीं ऐनी अभी भी सोच में पड़ी थी।
“और तुमने अपना नाम किसमें दिया है ऐनी?”, मिस नंदिनी ने उससे पूछा जब वो क्लास के बाकी बच्चों के नाम ले रही थी।
“मैं किसी भी चीज़ में अच्छी नहीं हूँ, मुझे क्या करना चाहिए?”, उसने सर झुका कर अपनी टीचर से पूछा।
” हम्म। ऐनी, क्या तुम इन सभी परफॉरमेंस को संभालने और टैलेंट शो को व्यवस्थित करने में मेरी मदद करोगी?” मिस नंदिनी ने उससे पूछा।
“हाँ, क्यों नहीं! यह बहुत अच्छा होगा!”, ऐनी ने बहुत उत्साह के साथ जवाब दिया।
धन्यवाद ऐनी!
सप्ताह भर ऐनी ने अपने शिक्षक को प्रदर्शन, वेषभूषा, अन्य लॉजिस्टिक्स, आर्डर भेजने और दर्शकों के बैठने की व्यवस्था तय करने में मदद की।
एक दिन, जब वे तैयारी कर रहे थे, प्रेरणा मिस नंदिनी के पास आई, और कहा, “सजावट के लिए हमारा प्लान दिए हुए बजट से ज़्यादा हो गया है। और हमारे पास कुछ नया सोचने का समय भी नहीं है। अब हम क्या करेंगे?”
जिस पर ऐनीने जल्दी से कहा, “हम पूरी कक्षा को क्राफ्ट के पेपर, ड्राइंग शीट, पेंटिंग के रंग, पेस्टल, रिबन और स्टेशनरी जैसा कुछ सामान अपने घर से लाने को कह सकते हैं। इस तरह हमे और पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ेंगे।”
“यह एक अच्छा विचार है ऐनी, धन्यवाद!”
शो का दिन आखिरकार आ ही गया। जब हर कोई अपने प्रदर्शन के लिए तैयार हो रहा था, ऐनी ने उन सभी 250 दर्शकों के लिए बैठने की व्यवस्था को देखा, जो उसने खुद किया था। इसके बाद वह सभी तकनीकी और लॉजिस्टिक व्यवस्था की जाँच करने के लिए बैकस्टेज चली गई।
अचानक नील ने अपने शिक्षक के पास आकर कहा, “मैडम, हमने अपनी प्लेलिस्ट ऑनलाइन डाल दी है, लेकिन स्टेज पर कोई इंटरनेट सिग्नल नहीं आ रहे हैं, अब हम क्या करें?!”
ऐनीने कहा, “चिंता मत करो, मेरे पास सारे गाने बैकप के तौर पर एक पेनड्राइव पर हैं। हम उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।”
“ये बहुत थॉटफुल था ऐनी! धन्यवाद!”
बैकस्टेज स्टार
शो का अंत कुछ शानदार परफॉरमेंस के साथ हुआ। अंत में, शिक्षक ने सभी कलाकारों को बुलाया और प्रदर्शन करने के लिए धन्यवाद दिया! फिर उसने ऐनीको मंच पर बुलाया! ऐनी को विश्वास नहीं हुआ। वह मंच पर गई।
मिस नंदिनी ने कहा, “ऐनी इस शानदार शो का एक बहुत बड़ा हिस्सा थी। शो की व्यवस्था से लेकर उसमे जान डालने तक, ये कुछ भी ऐनी के बिना नहीं हो पाता। अपनी तेज़ सोच और हर समस्या का हल निकलने वाले दिमाग से उसने आज सभी कलाकारों की बहुत मदद की।”
ऐनीके चेहरे पर मुस्कान थी। “जब हम बाकी सब टैलेंट की तारीफ करते हैं तो हमे ऐनी को भी उसकी मेहनत के लिए सराहना चाहिए।”
दर्शकों और उसके सहपाठियों में हर कोई उसके लिए खुश था! ऐनी भी बहुत अच्छा महसूस कर रही थी। उसने खुद को महत्व देना सीख लिया था और समझ गई थी कि हर कोई अपने तरीके से खास है। उस टैलेंट शो ने ऐनीको बदल दिया। अब वह खुद से खुश, आत्मविश्वास और संतुष्ट थी।
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