एक दिन के लिए लड़की बनने की कोशिश करो?
क्या होगा अगर एक दिन आप कुछ अलग महसूस करें? सिर्फ मन से नहीं शरीर से, एक अलग लिंग बन जाए? क्रिश के साथ कुछ ऐसा ही हुआ और उसने अपने इस अजीब सपने को टीनबुक के साथ शेयर किया।
लड़कियों वाला गेम
क्रिश और दीया पंद्रह साल के जुड़वां भाई-बहन थे। दोनों बिलकुल एक जैसे थे। उन्हें खेलना अच्छा लगता था, दोनों स्कूल क्रिकेट टीम में भी थे। लेकिन क्रिश को अपनी बहन के साथ एक ही टीम में खेलना मुश्किल लगता था और उसके बॉय गैंग में अक्सर उसे छेड़ा जाता था।
एक शाम क्रिश ने अपनी बहन से कहा, “दीया, तुम कोई लड़कियों वाला गेम क्यों नहीं खेलती!”
दीया, जिसे मशीनों में भी बहुत रुचि थी, अपने दादाजी के रेडियो को ठीक करने में व्यस्त थी। यह सुनकर उसने थोड़ा गुस्से में हँसते हुए ऊपर देखा, “लड़कियों वाला गेम? और वह क्या होगा?”
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“अरे टेनिस या बैडमिंटन या कुछ और। तुम्हे क्रिकेट क्यों खेलना है?”, क्रिश ने जवाब दिया।
दीया अब उसका मतलब समझ गई पर उसने खुद को शांत रखा। “अच्छा, इसका मतलब राफेल नडाल और रोहन बोपन्ना भी लड़कियाँ हुई, हैना?”, वह हँसी।
दीया के मजाक ने क्रिश को नाराज कर दिया। “हम जुड़वा हैं इसका मतलब ये नहीं कि तुम मुझे हर चीज़ में कॉपी करो। क्रिकेट लड़कों का खेल है। हाँ उसमे लड़कियों की टीम भी है पर उन्हें देखता कौन है? कम से कम लोग महिला टेनिस देखते तो है। और वैसे भी तुम्हे क्रिकेट खेलना बिलकुल नहीं आता।”
“तुम्हे पता है ये सच नहीं है क्रिश। मैं तुमसे अच्छी गेंदबाज़ी करती हूँ।”, दीया ने कहा।
“और देखो मैंने दादाजी के टूटे रेडियो को भी ठीक कर दिया”, उसने गर्व से आखिरी पेंच ठीक करते हुए कहा। “पर तुम्हारे अनुसार, यह भी एक आदमी का काम होगा, हैना?”
“इसे तो कोई भी ठीक कर सकता था, तुम इतनी भी स्मार्ट नहीं हो”, क्रिश ने उत्तर दिया।
“क्रिश अपनी बहन को परेशान करना बंद करो। उसका मज़ाक मत उड़ाओ”, उसकी माँ ने कहा।
“माँ मैं बस-“
“क्रिश एक लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं है। आप दोनों समान रूप से सक्षम हैं। अब उससे सॉरी बोलो।”
“माँ, नहीं! कुछ चीज़े सिर्फ लड़कों के लिए होती हैं और कुछ सिर्फ लड़कियों के लिए। इस बात के लिए मई सॉरी नहीं बोलूँगा, बस!”, क्रिश हताशा से चिल्लाया और फिर अपने कमरे में चला गया।
मैं तुम्हारा बेटा हूँ, बेटी नहीं!
अगले दिन जब वह उठा तो उसे बहुत अलग और अजीब लगा। वह अपने बिस्तर से उठा, आईने में देख कर चौंक गया। वह अपनी बहन की तरह लग रहा था। वह चिल्लाया, उसकी आवाज भी एक लड़की की तरह लग रही थी। वह नीचे भागा और अपनी माँ के पास जा कर रोने लगा। उसकी माँ हैरान थी। उसने कहा, “क्या हुआ? क्यों रो रही हो बेटी?”
“माँ, क्या तुम मुझे नहीं पहचानती? मैं तुम्हारा बेटा हूँ।”
“अरे ये कैसी हुई? तुम तो मेरी प्यारी बेटी हो। अब ये मज़ाक छोड़ो और स्कूल के लिए तैयार हो जाओ।”
क्रिश को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। वह पूरी तरह सदमे में था। वह अपने कमरे में गया और स्कूल के लिए तैयार होने लगा, उसने उसके लिए रखी स्कर्ट और शर्ट पहनी। जब वह स्कूल बस में बैठा तो कुछ मतलबी लोगों ने उसकी पोनीटेल खींचने की कोशिश की और उसका मजाक उड़ाया।
स्कूल में घुसने पर उसके शिक्षक ने उसे रोका और उसकी स्कर्ट की छोटी लंबाई के लिए उसे डांटा, और उसे एक नई स्कर्ट लेने के लिए कहा। हालाँकि क्रिश को अपनी यूनिफॉर्म बिलकुल ठीक लग रही थी।
खेल के दौरान, क्रिकेट के लिए उस सबसे आखिर में चुना गया क्योंकि कोई भी अपनी टीम में एक लड़की को नहीं लेना चाहता था ये सोच कर कि लड़कियाँ क्रिकेट नहीं खेल सकती। क्रिश को बहुत बुरा लगा। उसे अब सिर्फ घर जाने का इंतज़ार था।
उसके साथ पहले कभी ऐसा व्यवहार नहीं किया गया था। खुद को खुश करने के लिए उसने अपने दोस्त अयान को फोन किया।
बाहर खेलने जाना है
“हैलो, अयान, तुम मेरे घर क्यों नहीं आते, हम वीडियो गेम खेलेंगे।”
“हाहाहा”, अयान हँसा। “मैं एक लड़की के साथ वीडियो गेम क्यों खेलूँगा? तुम्हे रिमोट चलाना आता भी है? या इतने सारे बटन देख कर ही तुम्हारा दिमाग घूम गया?”
क्रिश ये मज़ाक बर्दाश्त नहीं कर सका, उसने फोन पटक दिया। उसने सैर के लिए बाहर जाने का फैसला किया, लेकिन उसकी दादी ने उसे बुलाया और घर के कामों में उसकी मदद करने को कहा। उसने पहले कोई काम नहीं किया था और उन्हें करने में मजा नहीं आया।
“दादी, मुझे ये काम नहीं करने। मुझे बाहर खेलने जाना है।”
“बाद में खेलना, पहले इन कामों को करना सीखो। एक लड़की को हमेशा पता होना चाहिए कि सभी काम कैसे करने है।”
क्रिश चुपचाप सारे काम करने लगा, अब उसने सोचा कि जब उसकी बहन से सारे काम करवाए जाते थे तो वह सारा समय कैसे खेलता था। घंटों के बाद, आखिरकार, वह काम ख़तम हुआ, और वह खेलने के लिए बाहर भागा। अचानक उसके दादा ने उसे रोका, “दीया, बाहर अंधेरा हो रहा है, खेलने के लिए बाहर मत जाओ।”
“लेकिन दादाजी, सभी लड़के पार्क में खेल रहे हैं, मैं क्यों नहीं?”
“लड़कियों के लिए इस समय बाहर रहना सुरक्षित नहीं है। अपने कमरे में वापस जाओ।”
सॉरी, दीया!
क्रिश अपने कमरे में वापस आ गया, उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसका दिन कितना ख़राब गया। उसे एहसास हुआ कि सिर्फ लड़की होने के कारण उसके साथ कितना अलग बर्ताव हुआ और वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगा और अचानक उसकी नींद खुल गई..
रोते-रोते क्रिश हैरान रह गया। जो कुछ हुआ था वह सब उसके सपने में था। उसने तुरंत बिस्तर से कूद कर शीशा चेक किया। उसने अपने चेहरे और अपने शरीर को छुआ, कुछ भी नहीं बदला था।
वह नीचे गया और अपनी बहन को गले लगाया, “आई एम सो सॉरी दीया!”
“क्या हुआ क्रिश?”
क्रिश ने दिया को अपना सपना बताया।
“दीया मुझे अब एहसास हुआ कि मैंने तुम्हारे साथ कितना गलत बर्ताव किया, प्लीज़ मुझे माफ़ करदो। लड़की होने की वजह से अलग बर्ताव होना बहुत गलत है। मुझे अब समझ आया उसदिन माँ क्या कह रही थी। लड़कों और लड़कियों में कोई फर्क नहीं है और दोनों को अपने मन की चीज़ें करने के पूरा हक़ है।”
“मुझे खुशी है कि अब तुम मुझे समझते हो भाई, भले ही यह इस अजीब से सपने के बाद था।”
“हाँ हाँ हाँ और अब मे तुम्हारी काम करने में भी मदद करूँगा।”
“ओह सच में? तुम इन पौधों में पानी क्यों नहीं देते? …”
फोटो: शटरस्टॉक/Dragon Images/गोपनीयता का ध्यान रखते हुए नाम बदल दिए गए हैं और फोटो में मॉडल् हैं।
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