दूसरों को समझना: एक दुनिया, कई रंग
आरव को समझ नहीं आया जब साहिल ने उसे बोला की वह उसे पसंद करता है। हर कोई एक ही तरह से बड़ा नहीं होता है। सभी को एक जैसा महसूस नहीं होता। सभी का जीवन अलग होता है और सबके विकल्प भी समान नहीं होते। इन सभी विभिन्नताओं को समझना और अपनी जीवन शैली में उतारना महत्वपूर्ण है।
वो मुझे पसंद करता हैं
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कल हम क्लास के बाद एक गेम खेल रहे थे। सभी को एक पर्ची पर अपने नाम के साथ उस व्यक्ति का नाम लिखना था जिसे वो पसंद करते हैं और जिन पर उनका ‘क्रश’ है। फिर उस पर्ची को एक बोतल में डालना था। मेरे नाम वाले पर्ची पर सिर्फ़ मेरा नाम था! यह देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई।बाद में जब मैं घर जा रहा था तो साहिल मेरे पास आया और उसने कहा कि वो उसकी ही पर्ची थी। उसने यह भी कहा कि वह मुझे पसंद करता है और फिर अपने घर चला गया। साहिल मुझे पसंद करता है? हम्म … उसने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अब मैं करूँ?
साथ ही, नीचे विविधता पर एक दिलचस्प वीडियो देखें।शेष लेख वीडियो के नीचे है।
अलग-अलग लोग, अलग-अलग पसंद
- जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम विपरीत लिंग (लड़का-लड़की) या समान लिंग (लड़का-लड़का और लड़की-लड़की) के लोगों कि तरफ आकर्षित हो सकते हैं।
- इसे लैंगिक झुकाव या सेक्सुअल ओरिएंटेशन कहा जाता है।
- जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हम अपने लैंगिक झुकाव के बारे में अधिक जानना और समझना शुरू कर देते हैं।
- यह भी संभव है की ज़िंदगी के कुछ साल बिताने के बाद ही हम समझ पाएं कि हम कैसा महसूस करते हैं। इसलिए जल्दबाज़ी ना करें या दबाव में ना आएं।
- जब आप बड़े हो रहे होते हैं तो समान लिंग के प्रति आकर्षण होना आम बात है। यह संभव है कि लड़के लड़कों की तरफ और लड़कियां लड़कियों की तरफ आकर्षित हों।
- यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को एक ही समय एक ही जैसी ही जैसा महसूस हो। अगर आप किसी के प्रति आकर्षित नहीं हैं तो यह भी पूरी तरह सामान्य है।
- पुरुषों और महिलाओं के बीच रोमांटिक आकर्षण और संबंध को विषमलैंगिकता (हेट्रोसेक्सुएलिटी) कहा जाता है।
- समान लिंग के लोगों के बीच रोमांटिक आकर्षण और संबंध को समलैंगिकता कहा जाता है। यदि यह संबंध दो पुरुषों के बीच है, तो इसे ‘गे’ रिलेशनशिप कहा जाता है।
- दो महिलाओं के बीच के रोमांटिक संबंध को ‘लेस्बियन’ रिलेशनशिप कहा जाता है।
- पुरुष और महिला दोनों के प्रति आकर्षण को ‘बाइसेक्सुएलिटी’ कहा जाता है।
श्री, सुश्री, श्रीमान, श्रीमती
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हर कोई ये क्यों कहता रहता है कि मुझे लड़कियों की तरह कपड़े पहनना चाहिए! लड़कियों जैसे कपड़े पहनने का क्या मतलब है! सच यह है की मैं लड़की की तरह महसूस ही नहीं करती, मुझे कभी लगा ही नहीं ऐसा। काश लोग ऐसा कहना बंद कर देते। मुझे जो पसंद है मैं वही पहनना चाहती हूं।
लड़की और लड़के के अलावा बहुत कुछ
- जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके जननांगों के आधार पर उसे लड़का या लड़की के रूप में पहचान मिलती है।
- जैसे कि यदि बच्चे की शिश्न (पीनस) है तो वह लड़का और यदि बच्चे की योनि है वह लड़की होती है। इससे व्यक्ति के लिंग का पता चलता है ना कि जेंडर का।
- सेक्स और जेंडर दो अलग चीजें हैं। हर किसी का जेंडर वो होता हैं, जो वो अपने बारें में अंदर से महसूस करें।
- यह व्यक्ति के जन्म के समय निर्धारित किये गए सेक्स/लिंग के समान या इससे अलग हो सकता है।
- एक व्यक्ति जो अपने जन्मजात सेक्स को अपने जेंडर के रूप में भी स्वीकार करता है उसे ‘सिस जेंडर’ कहा जाता है।
- एक व्यक्ति जिसका जन्म एक लड़के के रूप में हुआ है और वह अपने आप को लड़का ही महसूस करता हैं उसे ‘सिस मैन’ कहते हैं।
- वहीं अगर कोई व्यक्ति जो जन्म से एक लड़की है और अपने आप को लड़की ही महसूस करती हैं, उसे ‘सिस वुमन’ कहा जाता है।
- ऐसे कई लोग हैं जो अपने जन्मजात लिंग से विपरीत महसूस करते हैं। उन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है।
- इसलिए कोई व्यक्ति जिसने लड़के के रूप में जन्म लिया हो लेकिन लड़की के जैसा महसूस करे उसे ‘ट्रांस वुमन’ कहते हैं।
- इसी तरह जिसने लड़की के रूप में जन्म लिया हो लेकिन लड़के के जैसा महसूस करे और उस रूप में पहचाना जाता हो उसे ‘ट्रांस मैन’ कहते हैं।
- किसी भी व्यक्ति की भावनाएं और सोच उसके जेंडर को दर्शाती हैं। जब तक कोई व्यक्ति आपसे बताता नहीं है, तब तक आप उसके जेंडर के बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।
- यहां तक कि आप उसके कपड़े के आधार पर भी जेंडर की पहचान नहीं कर सकते हैं।
- लिंग में अंतर होना दो लोगों के बीच दोस्ती और रिश्ते को प्रभावित नहीं करता है।
- जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हम अपने लैंगिक झुकाव के बारे में अधिक जानना और समझना शुरू कर देते हैं।
- यह भी संभव है की ज़िंदगी के कुछ साल बिताने के बाद ही हम समझ पाएं कि हम कैसा महसूस करते हैं। इसलिए जल्दबाज़ी ना करें या दबाव में ना आएं।
मैं आपकी की समझ से अलग हूँ
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नैना पिछले हफ्ते हमारी कक्षा में नई आयी। वह बहुत अच्छा गाती है और मिमिक्री भी करती है। स्पोर्ट्स क्लास के बाद जब उसने ‘डोनाल्ड डक’ की नकल उतारी तो हम सभी हंसते हंसते लोटपोट हो गए। कल उसने हमें बचपन में अपने साथ हुई एक दुर्घटना के बारे में बताया जिसके कारण अब वह व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती है।
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आज हमारे स्कूल में सिबलिंग डे था। सूरजा ने आख़िरकार मेरा स्कूल देख ही लिया। वह बहुत खुश थी। मेरी बहन स्पेशल है। उसे कोई भी काम करने के लिए थोड़ी ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। वह मेरे सभी दोस्तों से मिलने के लिए बहुत उत्साहित थी और उन सभी को इस वीकेंड पर अपने जन्मदिन की पार्टी में आने के लिए कहा!!
विकलांगता में योग्यता
- हम में से कुछ लोग जन्म से विकलांग होते हैं या किसी कारण जीवन में विकलांगता के शिकार हो जाते हैं।
- लेकिन विकलांगता कोई बीमारी नहीं है।
- विकलांगता कई प्रकार की हो सकती है – शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक।
- शारीरिक विकलांगता में देखने, सुनने या चलने में कठिनाई होती है।
- मानसिक विकलांगता में सीखने और समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- भावनात्मक या व्यवहारिक विकलांगता ऐसी विकलांगता है जो किसी व्यक्ति की प्रभावी ढंग से पहचानने, समझाने, भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता को प्रभावित करती है।
- विकलांगता किसी व्यक्ति की पहचान नहीं होती है। यह उनके जीवन का काफी चुनौतीपूर्ण पहलू है, लेकिन सिर्फ़ विकलांगता पर ध्यान देने की बजाय उस व्यक्ति को समझना और भली-भांति जानना बेहद ज़रूरी है।
- विकलांग व्यक्तियों से सवाल करना और उनकी विकलांगता के बारे में पूछने में कोई बुराई नहीं है।
- लेकिन सवाल किस तरह के पूछे जाये और किस तरह से पूछे जाएं यह बहुत ज़रूरी है। सहानुभूति रखना बेहद जरूरी है।
- उनसे बात करते समय सही शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, विकलांग व्यक्ति के लिए लंगड़ा या मंदबुद्धि जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना गलत है।
चुभती हैं कुछ बातें
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आपको पता है ये बात मुझे कितना परेशान करती है। मैं लड़की हूँ लेकिन लड़के की तरह रहती हूं, इस बात को लेकर सब मुझे चिढ़ाते हैं। मुझे इस नए स्कूल में अच्छा नहीं लग रहा है। कल किसी ने मेरे स्नैपचैट एकाउंट पर भी गंदे कमेंट किए।
मैं बहुत अकेला महसूस करती हूं और अपने पुराने स्कूल के दोस्तों को याद करती हूं। मैं इतनी अलग क्यों हूं? मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करुं।
अलग लेकिन बराबर
- हम सबकी पसंद-नापसंद, सोचने के तरीके, शरीर, रूप-रंग, शौक और ऐसी जाने कितनी ही चीजें अलग होती हैं।
- हमारा ‘अलग’ होना ही (दूसरों की तुलना में) हम में से हर एक को ख़ास और अनोखा बनाता हैं।
- जैसे कि अगर हर कोई विराट कोहली की तरह बल्लेबाजी कर सकता और सानिया मिर्जा की तरह टेनिस खेल लेता तो विराट और सानिया कैसे ख़ास कहलाएंगे?
- अगर हमारे अंतर ही हमें ख़ास बनाते हैं, तो फिर जिन लोगों को हम ख़ुद से थोड़ा अलग पाते हैं उन्हें कैसे चिढ़ा सकते हैं?
- अगर आप में कोई चीज दूसरों से अलग हैं और इसके लिए आपको कोई चिढ़ाता तो आपको कैसा लगता?
- हमें सभी के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। दया, सहानुभूति और एक बेहतर समझ।
- सभी को ऐसे समूह का हिस्सा बनाना चाहिए जहाँ वो सुरक्षित और खुश महसूस करें। क्या आप ख़ुद उस के लिए पहल करेंगें?
अब मुझे पता हैं
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अब मैं साहिल की भावनाओं को समझ पा रहा हूं और जान गया हूँ कि मुझे उससे क्या कहना चाहिए। बस विनम्र रहना है, जो मैं पहले से ही हूं!
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मुझे खुशी है कि हम इस बारे में बात कर रहे हैं। सच तो यह है कि हम सभी को इससे बहुत कुछ सीखने को और समझने को मिला है।
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अब मैं यह मानती हूं कि हमें हर किसी को अपने समूह का हिस्सा मानना चाहिए और सबको सुरक्षित महसूस कराना चाहिए।
विविधता के बारे में कुछ ख़ास बातें
- बड़े होने का मतलब यह भी है आप अपने आप को और अपनी भावनाओं को बेहतर समझने लगे।
- यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोगों और रिश्तों में विविधता होती है और यह बिलकुल सामान्य है।
- हम जिस तरह से यौन, रोमांटिक और शारीरिक रूप से किसी और के प्रति आकर्षित होते हैं, वही हमारे ओरिएंटेशन (लैंगिक झुकाव) को बताता है।
- एक ही लिंग के लोगों के बीच रोमांटिक आकर्षण को समलैंगिकता कहा जाता है।
- विपरीत लिंग के लोगों के बीच रोमांटिक आकर्षण को विषमलैंगिकता के रूप में जाना जाता है।
- सेक्स और जेंडर दो अलग चीजें हैं। किसी व्यक्ति के सेक्स के विपरीत, जेंडर वह है जो वह अपने बारे में महसूस करता है।
- ट्रांसजेंडर वे लोग हैं जो जन्म के समय निर्धारित सेक्स को स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
- हम में से कुछ लोग जन्म से विकलांग होते हैं या किसी कारण जीवन में विकलांगता के शिकार हो जाते हैं।
- विकलांगता किसी व्यक्ति की पहचान नहीं है। यह उनके जीवन का एक पहलू है, जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण है, लेकिन किसी व्यक्ति की विकलांगता पर ध्यान देने के बजाय उनके हुनर को समझना, उन्हें अच्छी तरह जानना और समझना बेहद ज़रूरी है।