‘मुझे लगा मैं बेवकूफ़ हूँ!’
आकाश (16) साइंस में मदद मांगने के लिए अरियाना (16) के पास आता है। भले ही वो बेमन से हाँ बोलती है, पर जल्द ही वो लोग घंटो चैटिंग करने लगते हैं। एक दिन अरियाना की सहेलियों ने उसे बताया की आकाश ये सब सर्फ एक शर्त जीतने के लिए कर रहा था।अरियाना को इस पर यकीन नहीं हुआ और उसने आकाश से बात करने का फैसला लिया। आगे क्या होता है, यह जानने के लिए पढ़ते रहिये।
‘सबसे होशियार लड़की’
मै ब्रेक के दौरान सना और मेहर के साथ कैंटीन में थी जब आकाश आकर मेरे बगल में बैठ गया। उसने मुझे बताया कि उसे साइंस के काम में कुछ मदद चाहिए। मैंने झिझकते हुए कहा, “मुझे देखने दो। मुझे लगता नहीं मेरे पास उसके लिए समय है। ”
“क्या तुम उसकी मदद करोगी?” सना ने पूछा।
“वैसे उसे सच में साइंस में सच में बहुत बुरा ग्रेड मिला है!” मेहर ने कहा।
काश स्कूल के बाद फिर से मुझसे मिला और कहने लगा,“प्लीज़ अरियाना। मुझे पता है कि तुम क्लास की सबसे स्मार्ट लड़की हो। स्कैन में मेरे बहुत बुरे हाल हैं। प्लीज़ मेरी मदद कर दो!”
“ठीक है, मुझे अपना टॉपिक बताओ”, मैंने कहा।
अगले दिन, स्कूल के बाद, आकाश ने मुझसे मेरा नंबर माँगा जिससे वो प्रोजेक्ट में कोई परेशानी होने पर मुझे कॉल कर पाए। मैंने इसके बारे में ज़्यादा नहीं सोचा और उसे नंबर दे दिया।
‘विराट और बिरियानी’
उसने मुझे उसी दिन मैसेज करना शुरू कर दिया। चुटकुले और बाकी चीज़े। मैं ईमानदारी से उसके प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी और मैंने उसे वो भेज भी दिया। उस रात उसने कुछ पूछने के लिए मुझे कॉल किया और जल्द ही हम दोनों स्कूल और अपनी पसंद की बाक़ी चीज़ों को लेकर बात करने लगे। उससे बात करके मुझे भी अच्छा लगता था।
उस दिन के बाद से तो जैसे रोज़ रात को बात करना हमारी आदत बन गई। मेरे पास मेहर और सना के लिए भी समय नहीं बचता था।
वीकेंड पर हम सुबह 3:00 बजे तक बात करते थे क्योंकि अगली सुबह स्कूल के लिए उठने की कोई जल्दी नहीं होती थी।
उसने मुझे बताया कि उसे क्रिकेट में विराट और खाने में बिरियानी पसंद हैं। मैं अक्सर अपनी माँ के हाथ की बिरियानी उसके लिए स्कूल ले जाने लगी।
‘यह सच नहीं हो सकता!’
एक दिन, जैसे ही में स्कूल पहुंची, मुझे ऐसा लगा जैसे क्लास में हर कोई मुझे देख रहा है और मेरे बारे में बात कर रहा है । मैंने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। लाइब्रेरी क्लास में सना और मेहर मेरे बगल में बैठे। “तुम्हारे और आकाश के साथ जो हुआ, मुझे उसके लिए बुरा लग रहा है। वो एक लूज़र है। तुम ठीक तो हो ना?” मेहर ने पूछा।
मुझे पता नहीं था कि वे किस बारे में बात कर रहे थे। “तुम दोनों किस बारे में बात कर रहे हो?” मैंने पूछा।
“तुम्हें नहीं पता? मैंने तुम्हें कल फोन करने की कोशिश भी की पर तुमने मेरा कॉल नहीं उठाया। आकाश ने अपने दोस्तों से शर्त रखी थी कि वह तुमसे बात कर कर तुम्हारा नंबर ले सकता है और वो जीत गया। आज हमने उन्हें स्कूल के बाहर हँसते हुए सुना।!” सना ने बताया ।
मुझे बहुत दुख हुआ और मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। “तुम झूठ बोल रही हो, सना। यह सच नहीं हो सकता है!” मैंने उन्हें बताया और बाथरूम मैं भाग गई। मेरी आँखों में आँसू आ गए। मुझे गुस्सा भी आ रहा था और मैं बेवकूफ़ जैसा भी महसूस कर रही थी। क्लास में सब मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे?
सना मेरे पीछे आई। वह सॉरी कहती रही लेकिन उसने कहा कि उसे ये बात सूर्यांश ने बताई थी जो आकाश के दोस्तों में से एक था। सूर्यांश सना का अच्छा दोस्त था इसलिए उसने ये बात उसे बताई थी।
‘अभी भी दोस्त’
मैंने दरवाज़ा नहीं खोला, मैं अपने आप से परेशान थी। मैं बस चाहती थी कि स्कूल किसी तरह खत्म हो जाए और मैं घर चली जाऊँ। उसके बाद मैं अपनी क्लासेज़ पर भी ध्यान नहीं दे पाई। मैं इतनी बुद्धू कैसे हो सकती हूँ? मैं ही क्यों? क्या उसके लिए ये सब एक मज़ाक था? यही सवाल मुझे परेशान कर रहे थे।
उस दिन मैं घर पहुँचते ही सीधा सोने चली गई। मैंने मम्मा से कहा कि मेरी तबियत खराब है पर मैं रात भर रोती रही। आकाश ने मुझे रोज़ की तरह उस दिन भी कॉल किया पर मैंने उसका कोई फ़ोन नहीं उठाया।
इस सब के बावजूद मैंने उससे सामने से ये बात पूछने का फैसला लिया। तो ब्रेक के समय में, मैंने उसे अकेले देखा और उससे सिर्फ एक सवाल पूछा, “क्या यह सच है – तुम्हारी शर्त के बारे में?”
उसे मुझसे यह उम्मीद नहीं थी। उसके गाल लाल हो गए, आँखें नीची हो गईं और उसने कहा, “मेरे दोस्तों ने मुझे एक चुनौती दी थी। मेरा मतलब तुम्हें चोट पहुँचाने का नहीं था।”
मैंने कुछ नहीं कहा और मैं वहाँ से चली गई। वह “सॉरी” कहता रहा और बोला, “अरी, लेकिन हम अभी भी दोस्त हैं …”
पर मुझे अब उससे एक पल के लिए भी अपना दोस्त कहना गंवारा नहीं था। मैंने स्कूल से घर आकर अपने फ़ोन से उसका नंबर डिलीट कर दिया, और सारे सोशल मीडिया से उसे ब्लॉक कर दिया।
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