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सुकून वाला कोना

और मेरी लाइफ बदल गई…

15 साल की अंजली बहुत ही बिंदास लड़की थी लेकिन उसकी लाइफ में अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसके चेहरे की हंसी गायब हो गई। फिलिंग एक्सप्रेस में अंजली ने अपनी कहानी हमारे साथ शेयर की है। आइए जानते हैं कि अंजली के साथ क्या हुआ था.. 

मैं बहुत बिंदास लड़की हुआ करती थी और क्लास 8 तक मेरी परेशानी केवल मेरे क्रश, स्कूल प्रोजेक्ट्स, क्रिकेट क्लासेज और क्लास में टॉप पोजिशन पर रहने की हुआ करती थी लेकिन जब मैं क्लास 9 में आई, तब मेरे लाइफ में बहुत बड़ा बदलाव आ गया। हालांकि मेरे पैरेंट्स ये मुझसे छुपाना चाहते थे लेकिन जब पापा ने सुबह उठकर तैयार होकर ऑफिस जाना छोड़ा, मां ने पापा के लिए लंच बनाना छोड़ दिया तब मुझे कुछ अजीब लगा। हालांकि मैंने बेडरुम से आती उनकी आवाज़ सुन ली थी कि पापा की जॉब चली गई है। मेरे पापा एक मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और मेरी मां एक होम मेकर हैं। 

पापा की जॉब जाने के बाद हम सबकी लाइफ बदल गई। पहले हम हर संडे को रेस्टोरेंट जाया करते थे और डिनर किया करते थे। मम्मी और मैं वीकेंड पर शॉपिंग जाते थे लेकिन सबकुछ बंद हो गया और हम मॉल की जगह नॉर्मल दूकानों से सामान खरीदने लगे। मुझे तो डर लगने लगा कि मेरी क्रिकेट क्लासेज ना बंद हो जाए। इसके बाद मुझे ये भी डर था कि कहीं मेरी स्कूलिंग भी ना बंद हो जाए। हालांकि कुछ महीनों तक सेविंग के कारण परेशानी नहीं हुई लेकिन मम्मी-पापा के बीच बहस बढ़ती चली गई। मेरे घर में टेंशन का माहौल रहने लगा। 

लगने लगे बिल्स के ढेर 

किचेन के काउंटर पर बिल्स के ढेर लगते चले गए। अब हम बहुत नॉर्मल लाइफ जीने लगे थे। मेरा भी फ्रेंड्स के साथ बाहर घुमना-फिरना बंद हो गया लेकिन धीरे-धीरे मुझे ऐसा लगने लगा कि मुझे कुछ करना चाहिए, वरना हालत और खराब हो जाएंगे।

एक दिन जब एक दिन मेरी मां किचेन में खाना बना रही थीं, तब मैंने उनसे कहा, “शायद मुझे हमारी बिल्डिंग के छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू करना चाहिए। मैं मैथ्स में अच्छी हूं और मैं उनके होमवर्क में उनकी मदद कर सकती हूं। यह ज़्यादा तो नहीं है लेकिन मैं कुछ पॉकेट खर्च कमा सकती हूं।”

मेरी मां की आंखों में आंसू आ भर आए। उन्होंने मुझसे कहा, “बेटा, तुम्हें इन चीज़ों की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। तुम अभी छोटी हो।” लेकिन जब मैंने जोर देकर कहा, तो मेरी मां तैयार हो गईं। 

ट्युशन से मिली मदद

स्कूल के बाद मेरे पास पड़ोस के बच्चों का एक ग्रुप आने लगा और मैं उन्हें पढ़ाने लगी। नयी किताबें खरीदने के बजाय मैंने लाइब्रेरी से बुक्स लेकर पढ़ना शुरू किया। 

मेरे इन छोटी कोशिशों से चीजें धीरे-धीरे थोड़ी नॉर्मल हुईं और मेरी मम्मी ने केक बनाने का काम शुरू किया। मेरे पापा ने फ्रिलांस काम करना शुरू किया फिर हमारी लाइफ ठीक होने लगी। 

एक रात जब सब डिनर कर रहे थे, तब मेरे पापा ने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा, “जानती हो, अंजलि, तुमने हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखाई हैं। यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि हमारे पास कितने पैसे है बल्कि इस बारे में है कि हम एक फैमिली के रूप में मिलकर किस प्रकार चुनौतियों का सामना करते हैं।” 

इससे मैंने भी सीखा कि अपने अंदर की फिलिंग को एक्सप्रेस करना जरूरी है क्योंकि अगर मैं अपनी फिलिंग मां को नहीं बताई होती, तो शायद मैंने ट्युशन पढ़ाना शुरू किया और हमारी लाइफ थोड़ी ठीक होनी शुरू नहीं हुई होगी। फाइनली, अब धीरे-धीरे मेरे घर का माहौल भी सही हो रहा है और पापा की जॉब सर्चिंग चल रही है। मेरी मम्मी के बनाए केक की काफी डिमांड बढ़ गई है और मैं भी बच्चों की फेवरेट मैथ्स टीचर बन गईं हूं और लगता है कि शायद मैं, बड़े होकर टीचर बनूं या पता नहीं, कुछ और भी!

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